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राजीव गांधी हत्याकांड में रिहाई पर कांग्रेस बोली- देश के लिए दुखद दिन

राजीव गांधी हत्याकांड में रिहाई पर कांग्रेस बोली- देश के लिए दुखद दिन

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन को आख़िर किन परिस्थितियों में रिहा करने का आदेश दिया गया? क्या राजनीतिक रूप से ऐसी स्थिति पैदा की गई? जानिए कांग्रेस का आरोप।

कांग्रेस ने बुधवार को राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी ए जी पेरारिवलन की रिहाई पर दुख और निराशा व्यक्त की है। इसने सरकार पर आरोप लगाया है कि एक पूर्व प्रधानमंत्री के हत्यारे को रिहा कराने के लिए 'क्षुद्र और घटिया राजनीति' के तहत अदालत में ऐसी 'स्थिति' पैदा की गई। कांग्रेस ने इसके लिए सरकार की खिंचाई की।

आज कुछ घंटे पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया है। वह क़रीब 30 साल से सलाखों के पीछे है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यपाल, राज्य मंत्रिमंडल की रिहाई की सिफारिश को ऐसे नहीं लटकाए रह सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा है कि तमिलनाडु राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचारों पर पेरारिवलन को छूट देने का निर्णय लिया। पीठ ने आगे कहा कि तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने में अत्यधिक देरी न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकती है। पीठ ने माना कि हत्या के मामलों से संबंधित क्षमा/छूट याचिकाओं पर राज्यपाल को सहायता और सलाह देने का राज्य सरकार के पास अधिकार है।

बहरहाल, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आज कहा कि इस घटनाक्रम को लेकर न केवल कांग्रेस के हर कार्यकर्ता में बल्कि भारत और भारतीयता में विश्वास रखने वाले हर नागरिक में दुख और रोष है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'आतंकवादी एक आतंकवादी होता है और उसके साथ एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए। आज हम राजीव गांधी के हत्यारे की रिहाई के सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले से बहुत दुखी और निराश हैं।'

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'आज का दिन देश के लिए एक दुखद दिन है। न केवल कांग्रेस के हर कार्यकर्ता में बल्कि भारत और भारतीयता में विश्वास करने वाले हर भारतीय में दुख और ग़ुस्सा है, जो उग्रवाद और हर उस ताकत के खिलाफ लड़ने में विश्वास रखता है, जो देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देती है।'

उन्होंने इस पर भी आश्चर्च जताते हुए सवाल किया कि क्या आजीवन कारावास की सजा काट रहे लाखों दोषियों को रिहा किया जाना चाहिए?

उन्होंने कहा कि यह राजीव गांधी के बारे में सवाल नहीं है, बल्कि एक प्रधानमंत्री के बारे में है, जो मारे गए, आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाले हर व्यक्ति की आत्मा को चोट पहुंचाई गई है।

एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार सुरजेवाला ने कहा, 'राजीव जी ने कांग्रेस के लिए नहीं देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। और अगर आज की सरकार हत्यारों को उनकी क्षुद्र और घटिया राजनीति के लिए रिहा कराने के लिए अदालत में स्थिति पैदा करती है, तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और यह निंदनीय है।'

बता दें कि हत्याकांड के समय पेरारिवलन 19 साल का था। उस पर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी LTTE के शिवरासन के लिए 9-वोल्ट की दो बैटरी खरीदने का आरोप था। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के लिए बम में बैटरियों का इस्तेमाल किया गया था। शिवरासन हत्या का मास्टरमाइंड था।

पेरारिवलन को 1998 में एक आतंकवाद विरोधी अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। अगले साल सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा लेकिन 2014 में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया। इस साल मार्च में शीर्ष अदालत ने उसे जमानत दे दी थी।

इसके बाद पेरारिवलन ने जेल से जल्द रिहाई की मांग की थी। केंद्र ने पेरारिवलन की याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने मामले को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास भेज दिया है, जिन्होंने अभी इस पर फैसला नहीं किया है।

शीर्ष अदालत ने मामले में देरी और राज्यपाल की कार्रवाई पर सवाल उठाया था। पिछले हफ्ते सुनवाई में, केंद्र ने कहा था कि दया के मामलों में केवल राष्ट्रपति के पास विशेष शक्तियां हैं। इस पर अदालत ने कहा कि इसका मतलब यह होगा कि इन सभी वर्षों में राज्यपालों द्वारा दी गई दया असंवैधानिक होगी।

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