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महाराष्ट्र: एनसीपी के पास आज का दिन, कैसे बनेगी सरकार?

महाराष्ट्र: एनसीपी के पास आज का दिन, कैसे बनेगी सरकार?

महाराष्ट्र में कौन सरकार बनाएगा, इसे लेकर सस्पेंस बरक़रार है। एनसीपी के पास मंगलवार रात 8.30 बजे तक का वक़्त है और वह कांग्रेस के फ़ैसले के इंतजार में है। 

महाराष्ट्र में सरकार कैसे बनेगी, इसे लेकर सस्पेंस बरक़रार है। बीजेपी की ओर से सरकार बनाने में हाथ खड़ा करने के बाद शिवसेना भी राज्यपाल की ओर से दिये गये समय में बहुमत के लिये ज़रूरी विधायकों का आंकड़ा नहीं जुटा पाई। इसके बाद राज्यपाल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को मौक़ा दिया है और मंगलवार रात 8.30 बजे तक अपना दावा पेश करने को कहा है। लेकिन सोमवार के पूरे दिन भर का घटनाक्रम पर अगर आप ग़ौर करेंगे तो यह कहना बेहद मुश्किल है कि एनसीपी राज्य में सरकार बना पाएगी। 

24 अक्टूबर को चुनाव नतीजे आने के बाद महाराष्ट्र की सियासत के अखाड़े में चल रहे दंगल में सबसे ज़्यादा नुक़सान शिवसेना को होता दिख रहा है। चुनाव नतीजे आने के बाद से ही शिवसेना मुख्यमंत्री की कुर्सी के बंटवारे को लेकर अड़ी रही और अंतत: सोमवार को उसने एनसीपी की शर्त मानते हुए केंद्र सरकार में शामिल अपने एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत से इस्तीफ़ा दिलवा दिया। 

शिवसेना के पास सरकार गठन को लेकर अपना दावा पेश करने के लिये सोमवार शाम 7.30 बजे का वक्त था और अपने मंत्री के इस्तीफ़े के बाद उसे उम्मीद थी कि वह एनसीपी और कांग्रेस के दम पर सरकार बनाने के लिये ज़रूरी समर्थन जुटा लेगी। लेकिन सोमवार को दिन भर माथापच्ची करने के बाद भी कांग्रेस शिवसेना को समर्थन देने पर अपना रुख साफ़ नहीं कर सकी। यहाँ तक कि सरकार गठन को लेकर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से भी बात हुई। लेकिन शिवसेना को समर्थन देने को लेकर कांग्रेस असमंजस में है। 

एनसीपी स्पष्ट कर चुकी है कि वह शिवसेना के साथ सरकार में शामिल होना चाहती है लेकिन उसका कहना है कि उसे अपनी सहयोगी कांग्रेस के फ़ैसले का इंतजार है। मंगलवार को कांग्रेस इस बारे में कोई फ़ैसला ले पाती है या नहीं, निगाहें इस पर टिकी रहेंगी।

महाराष्ट्र की विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिये 145 विधायकों का समर्थन चाहिए। विधानसभा चुनाव में शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 और एनसीपी को 54 सीटें मिली हैं और इनका योग 154 बैठता है। ऐसे में तीनों दल साथ आते हैं तो सरकार तो बन सकती है लेकिन जिस मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिये शिवसेना ने बीजेपी से 30 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया, उसका यह लक्ष्य कैसे पूरा होगा। क्योंकि शिवसेना सरकार बनाने के लिये ज़रूरी विधायकों की संख्या राज्यपाल को नहीं दिखा पाई है, इसलिए माना जा रहा है कि सरकार बनाने का उसका दावा खारिज हो गया है। अब ऐसे हालात में क्या होगा? क्या शिवसेना अब एनसीपी का सीएम बनाने के लिए राज़ी होगी? हालाँकि अगर एनपीपी-कांग्रेस मिलकर अगर शिवसेना का सीएम बनाने के लिए राजी होते हैं तो देखना होगा कि क्या राज्यपाल इस दावे को स्वीकार करेंगे?

एनसीपी के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यही है कि वह कांग्रेस को शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए कैसे राजी करे। इस बीच एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजीत पवार ने कहा है कि उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है और सरकार बनाने को लेकर कोई भी फ़ैसला कांग्रेस के समर्थन से लिया जाएगा। पवार ने कहा कि वह राज्यपाल के पास जाने से पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी बात करेंगे। उन्होंने कहा कि एनसीपी को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है लेकिन ऐसे राजनीतिक हालात में राज्य में स्थिर सरकार देने की भी जिम्मेदारी उन पर है। 

सब कुछ कांग्रेस पर निर्भर

महाराष्ट्र में सरकार का गठन इस बात पर निर्भर है कि कांग्रेस क्या फ़ैसला लेती है। क्योंकि अगर यह मान लें कि एनसीपी अगर कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़कर शिवसेना के साथ सरकार बनाना चाहेगी तो भी सरकार किसी भी सूरत में बनना संभव नहीं है। एनसीपी खुलकर कह चुकी है कि उसे कांग्रेस के फ़ैसले का इंतजार है और वह शिवसेना के साथ सरकार बनाना चाहती है। महाराष्ट्र कांग्रेस के भी कई विधायक और बड़े नेता शिवसेना के साथ सरकार में शामिल होना चाहते हैं लेकिन पार्टी अब तक इसे लेकर दुविधा की स्थिति में है और अगर वह इस दुविधा को आज की तय समय सीमा तक ख़त्म नहीं कर पाई तो एनसीपी के हाथ से भी सरकार बनाने का मौक़ा निकल जाएगा। 

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