एमपी: उपचुनाव से पहले कांग्रेसी विधायक बीजेपी में शामिल क्यों?
मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव के नतीजों के इंतज़ार के ठीक पहले विरोधी दलों के विधायकों को ‘अपने साथ’ करने के बीजेपी के प्रयासों ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। रविवार को कांग्रेस के एक और विधायक को ‘तोड़ते’ हुए बीजेपी ने अपने कुनबे में शामिल कर लिया।
दमोह विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक राहुल लोधी का इस्तीफ़ा हुआ। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में लोधी ने बीजेपी के कद्दावर नेता और लंबे वक़्त तक शिवराज सरकार में वित्त मंत्री रहे जयंत मलैया को हराया था। राहुल लोधी आज सुबह विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा से मिले और उन्हें अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। शर्मा ने बिना देर किये उनके इस्तीफ़े को स्वीकार कर लिया।
इस्तीफ़े के कुछ देर बाद लोधी बीजेपी दफ्तर पहुँचे और बीजेपी का दामन थाम लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा और शिवराज सरकार में मंत्री भूपेन्द्र सिंह मौजूद रहे।
लोधी के बीजेपी से गलबहियाँ करने संबंधी ख़बरें इसी साल मार्च में कांग्रेस विधायकों की तोड़फोड़ और कमलनाथ सरकार को गिराने के लिये चले खेल के दौरान भी सुर्खियों में रही थीं। लोधी ने यह कहकर सनसनी फैलाई थी कि बीजेपी में शामिल होने के लिए उन्हें तमाम प्रलोभन दिये जा रहे हैं। करोड़ों की राशि का प्रस्ताव दिया गया है।
लोधी ने तब यह भी कहा था, ‘कांग्रेस में वे अंगद के पैर की तरह अडिग रहेंगे। उनके ईमान को बीजेपी नहीं खरीद सकती। किसी भी सूरत में कांग्रेस पार्टी से दगा नहीं करेंगे। पार्टी उनकी माँ है।’
विधायक पद से इस्तीफ़े, कांग्रेस छोड़ने और बीजेपी ज्वाइन करने को लेकर राहुल लोधी ने आज कहा, ‘कमलनाथ की अगुवाई वाली सरकार में घुटते और कुढ़ते रहा। क्षेत्र का विकास ठप रहा। पन्द्रह महीने बनाम शिवराज सरकार के छह माह के कार्यकाल के आकलन के बाद कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने का फ़ैसला किया।’
राहुल लोधी के विधायक पद से इस्तीफ़े और बीजेपी ज्वाइन करने के बाद विधायक पद छोड़ने वाले कांग्रेस विधायकों की संख्या अब बढ़कर 26 हो गई है। मार्च में कमलनाथ सरकार को गिराते वक़्त 19 विधायकों ने इस्तीफ़े दिये थे। बाद में छह और विधायकों ने कांग्रेस और विधायक पद छोड़ा।
‘बीजेपी की ज़मीन खिसक रही है, इसलिये तोड़फोड़’
पूर्व केन्द्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने ‘सत्य हिन्दी’ से बातचीत में कहा, ‘उपचुनाव के नतीजों को लेकर आ रहे तमाम सर्वे रिपोर्टों ने बीजेपी की नींद उड़ाई हुई है। बीजेपी जान रही है कि सत्ता अब कुछ ही दिनों तक उसके हाथों में रहने वाली है। कमल नाथ और कांग्रेस, सत्ता में लौटकर आने वाले हैं, लिहाज़ा बौखलाकर अपनी सरकार को बनाये रखने के लिए कांग्रेस और अन्य विधायकों को अपने खेमे में लाने का खेल बीजेपी ने तेज़ कर दिया है।’
अरुण यादव ने यह भी कहा,
‘बीजेपी लाख प्रयास कर ले, 10 नवंबर को उपचुनाव नतीजे आने के बाद शिवराज सिंह की सरकार बच नहीं पायेगी। कमलनाथ की अगुवाई में फिर राज्य में कांग्रेस की सरकार बनेगी।’
शिवराज सिंह क्या बोले
राहुल लोधी के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा,
‘ना केवल राहुल लोधी बल्कि अनेक कांग्रेसी विधायक हैं, जिनकी उम्मीदें टूट चुकी हैं। कांग्रेस से मोह भंग हो चुका है। क्षेत्र के विकास की छटपटाहट कांग्रेसियों को बीजेपी में ला रही है।’
शिवराज सिंह ने कमलनाथ को अरबों की संपत्ति को लेकर भी घेरा। उन्होंने कहा, ‘कोई व्यापार ना करने वाले कमलनाथ को बताना चाहिए की अरबों रुपयों की संपत्ति उनके और उनके परिवारजनों के पास आख़िर कहाँ से और कैसे आयी’ शिवराज ने आत्मचिंतन करने की सलाह भी कमलनाथ को दी।
अब जयंत मलैया का क्या होगा
दमोह में बीजेपी के वरिष्ठ नेता जयंत मलैया को हराने वाले राहुल लोधी के बीजेपी में आ जाने से मलैया और उनके बेटे के भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गये हैं। लोधी ने मलैया को हराकर 2018 में विधानसभा में प्रवेश किया। लोधी लंबे समय तक केन्द्रीय मंत्री और दमोह से बीजेपी सांसद प्रहलाद पटेल के ख़िलाफ़ भी आवाज़ बुलंद करते रहे। लोधी को ये नेता कैसे पचा पायेंगे एक बड़ा सवाल प्रेक्षक यह भी उठा रहे हैं।
बता दें, सांची विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता डाॅक्टर गौरीशंकर शैजवार और शैजवार के पुत्र मुदित शैजवार नाराज़ बताए जा रहे हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में प्रभुलाल चौधरी (अब भाजपा के प्रत्याशी हैं) ने मुदित शेजवार को हराया था। आरोप है कि पिता-पुत्र चौधरी के लिए काम नहीं कर रहे हैं। अपने समर्थकों को भी काम करने से रोक रहे हैं।
लोधी को तोड़ने में भूपेन्द्र सिंह ने निभाया अहम रोल
मध्य प्रदेश बीजेपी के उपचुनाव प्रबंधन समिति के मुखिया भूपेन्द्र सिंह ने राहुल लोधी को तोड़ा। मार्च महीने में कांग्रेस के विधायकों के दलबदल में भी भूपेन्द्र सिंह का बेहद अहम रोल रहा था।
मध्य प्रदेश विधानसभा की 28 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजों को लेकर इंदौर सट्टा बाजार कांग्रेस को ‘भारी’ बतला रहा है। बाजार के रूख़ के अनुसार कांग्रेस को ज्यादा सीटें मिलने की संभावनाएं बनी हुई हैं। उधर बीजेपी दावा कर रही है कि 22 से 25 के बीच सीटें उसे मिलेंगी। बीजेपी मान रही है कि तीन से छह सीटों पर मुकाबला कड़ा है। जबकि मध्य प्रदेश कांग्रेस और कमल नाथ दावा कर रहे हैं, ‘जनता टिकाऊ के उसके मूल मंत्र को भरपूर तवज्जो दे रही है। बिकाऊ को वोटर एकतरफा हरा रहे हैं।’
मध्य प्रदेश कांग्रेस के दावों के अनुसार सर्वे में कांग्रेस के क्लीन स्वीप संबंधी ख़बरों से बीजेपी बौखलाई और घबराई हुई है। अपनी सरकार को बचाने के लिए बसपा और सपा के अलावा निर्दलीय विधायकों पर भी बीजेपी ने पहले डोरे डाले हैं। अब कांग्रेस विधायकों को तोड़कर नंबर गेम में जुट गई है।
विधानसभा में मौजूदा गणित
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल 230 सीटें हैं। बहुमत के लिए ज़रूरी नंबर 116 है। अभी 28 सीटों के लिए उपचुनाव हो रहे हैं। दमोह के विधायक के इस्तीफ़े के पूर्व तक कांग्रेस के पास 88 सीटें थीं। अब यह संख्या 87 हो गई है। जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं। बसपा के दो, सपा के एक और निर्दलीय विधायकों की संख्या चार है।
तमाम राजनीतिक दाँव-पैंच के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने कांग्रेस विधायक राहुल लोधी का इस्तीफ़ा मंजूर कर लिया है। दमोह सीट को रिक्त घोषित करने संबंधी अधिसूचना भी आनन-फानन में जारी कर दी गई है।
बीजेपी के सूत्र दावा कर रहे हैं कि तीन नवंबर (इस दिन उपचुनाव के लिए वोट डाले जायेंगे) के पूर्व कांग्रेस दो से तीन विधायक इस्तीफा देकर बीजेपी में आ सकते हैं। सूत्रों का कहना है, ‘कांग्रेस को नंबरों के खेल में भाजपा इतना पीछे ढकेल देना चाह रही है कि वह विधानसभा के इस कार्यकाल में पुनः सत्ता में पहुँचने की सपने में भी ना सोच पाये।’