घोषणापत्र में युवाओं को रोजगार देने के लिए जर्मन मॉडल का वादा कर सकती है कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी लंबे समय से बेरोजगारी का मुद्दा उठाती रही है। अब सामने आई जानकारी के मुताबिक पार्टी लोकसभा चुनाव को लेकर अपने चुनावी घोषणापत्र में रोजगार के मुद्दें पर कई बड़े वादे करने जा रही है। पार्टी अपने घोषणापत्र में बेरोजगारी दूर करने के लिए कई बड़े घोषणाएं कर सकती है।
सामने आ रही जानकारी के मुताबिक कांग्रेस अपने चुनावी घोषणापत्र में युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए जर्मनी के अप्रेंटिसशिप मॉडल को लागू करने का वादा कर सकती है। इस मॉडल की दुनिया भर में तारीफ होती है, लेकिन पार्टी के लिए असल चुनौती अपने वादे में इस मॉडल को भारतीय परिस्थितियों के मुताबिक वह कैसे बनायेगी इसे बताना होगा।
अंग्रेजी अखबरा द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा सरकार के खिलाफ बेरोजगारी को अपने प्रमुख मुद्दों में से एक बनाने का फैसला कांग्रेस पहले ही कर चुकी है। अब कांग्रेस बेरोजगारी को कम करने के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र में कुछ "अनूठे" वादे करने के लिए तैयार है। कांग्रेस को उम्मीद है कि वह अपने इन वादों से युवाओं के साथ जुड़ाव पैदा कर सकेगी।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस थिंक टैंक जर्मनी के बहुप्रशंसित अप्रेंटिसशिप मॉडल पर विचार कर रहा है और इसे भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप तैयार कर रहा है।
जर्मन दोहरी शिक्षा मॉडल (व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण प्रणाली) युवाओं को व्यावसायिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान एक कंपनी में नौकरी का अवसर देता है।
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यह मॉडल युवाओं को नौकरी बाजार में प्रवेश करने का एक आकर्षक तरीका प्रदान करता है। असल चुनौती भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप मॉडल तैयार करने की है क्योंकि इसमें निजी क्षेत्र के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र को भी शामिल करना होगा।
कांग्रेस को उम्मीद है कि वह जिस अप्रेंटिसशिप मॉडल का प्रस्ताव कर सकती है, वह शहरी युवाओं को प्रभावित कर सकता है। कहा जा रहा है कि पार्टी प्रस्ताव की बारीकियों पर काम कर रही है, जिसमें अप्रेंटिसशिप अवधि और वजीफा जैसे विवरण भी शामिल हैं।
यह मॉडल युवाओं को नौकरी के लिए शुरुआत देगा। वे अधिक रोजगार के योग्य बनेंगे। यह नौकरी के अधिकार की तरह भी है। कोई भी व्यक्ति एक साल के लिए नौकरी की मांग कर सकता है और पा सकता है।
द इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट कहती है कि कांग्रेस पार्टी बार-बार हो रहे प्रश्नपत्र लीक के झटके को कम करने के वादे पर भी काम कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप राज्यों में कई परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं।
केंद्र सरकार हाल ही में पेपर लीक से निपटने के लिए एक कानून लेकर आई है, जिसमें "संगठित" पेपर लीक के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है, जिसमें अपराध को "किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा मिलीभगत से अनुचित तरीकों से की गई गैरकानूनी गतिविधि" के रूप में परिभाषित किया गया है।
कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि पार्टी एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है जिसमें पेपर लीक से प्रभावित उम्मीदवारों को मौद्रिक मुआवजे का भुगतान और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं को रद्द करना शामिल है। सूत्रों ने कहा कि इन दोनों के साथ मिलकर, युवाओं को स्टार्टअप और व्यवसायों में मदद करने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने में सहायता या निर्माण का वादा किया जा सकता है।
बेरोजगारी को लेकर कांग्रेस सरकार की कड़ी आलोचना करती रही है। मणिपुर से मुंबई तक राजनीतिक यात्रा कर रहे राहुल गांधी लगातार बेरोजगारी पर बात कर रहे हैं.
रविवार को ग्वालियर में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में युवा बेरोजगारी दर पाकिस्तान, बांग्लादेश और भूटान जैसे देशों से अधिक है।
सत्तारूढ़ भाजपा ने अक्सर कांग्रेस के इन आरोपों का विरोध किया है। उसका कहना है कि जुलाई 2022 से जुलाई 2023 की अवधि के लिए अंतिम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण से पता चला है कि बेरोजगारी दर में काफी गिरावट आई है। यह 6.6 प्रतिशत से घट कर 5.1 प्रतिशत तक आ गई है।