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नेतृत्व संकट: कांग्रेस संभले वरना सब कुछ लुटाकर होश में आए तो क्या आए!

नेतृत्व संकट: कांग्रेस संभले वरना सब कुछ लुटाकर होश में आए तो क्या आए!

कांग्रेस में नेतृत्व का संकट कब हल होगा, ये सवाल ऐसा था जिसे पार्टी आलाकमान लंबे समय तक टाल नहीं सकता था।

कांग्रेस में नेतृत्व का संकट कब हल होगा, ये सवाल ऐसा था जिसे पार्टी आलाकमान लंबे समय तक टाल नहीं सकता था। पिछले काफी समय से पार्टी के वरिष्ठ नेता मुखर होकर यह सवाल उठा रहे थे लेकिन सवाल का कोई हल मिलता नहीं दिख रहा था। घमासान बढ़ा और हालात यहां तक पहुंचे कि अचानक यह ख़बर आई कि इस मसले को सुलझाने के लिए पार्टी के अंदर फ़ैसले लेने वाली सुप्रीम संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक तुरंत बुलाई जाए। 

बैठक के बाद पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष की कुर्सी संभाल रहीं सोनिया गांधी के इस्तीफ़ा देने की ख़बर आई। शायद सोनिया गांधी इस बात से आहत हुईं कि पार्टी के 20 से ज़्यादा वरिष्ठ नेताओं ने एक पत्र लिखकर कहा कि पार्टी को एक पूर्णकालिक, ‘प्रभावी’ और ‘सक्रिय’ नेतृत्व चाहिए। 

साथ ही इसमें पार्टी नेतृत्व को आत्ममंथन करने की सलाह भी दी गई है। इस पत्र में गु़ुलाम नबी आज़ाद से लेकर कपिल सिब्बल, शशि थरूर और आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ नेताओं के हस्ताक्षर हैं। 

सोनिया के इस्तीफ़े की ख़बर के बाद कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं ने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया और उनकी राय थी कि पार्टी का अध्यक्ष गांधी परिवार से ही होना चाहिए।

राहुल के पक्ष में उतरे युवा इस बैठक के बारे में यह चर्चा उठी थी कि इसमें कांग्रेस के कुछ युवा सदस्य राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग करेंगे और यही हुआ। युवा कांग्रेसियों और कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई से जुड़े नेताओं ने ट्विटर पर हैशटैग #MyLeaderRahulGandhi के तहत ट्वीट्स की बौछार कर दी। 

हाल ही में गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हार्दिक पटेल से लेकर दिल्ली कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष देवेन्द्र यादव से लेकर तमाम युवा चेहरों ने इस हैशटैग के तहत ट्वीट किए और अपनी भावनाओं का इज़हार किया और कहा कि वे चाहते हैं कि राहुल ही पार्टी अध्यक्ष की कमान संभालें। इस मुद्दे पर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार का वीडियो- 

लेकिन यहां मुश्किल यही है कि राहुल तो अध्यक्ष बनना ही नहीं चाहते और न ही वह यह चाहते हैं कि गांधी परिवार का कोई व्यक्ति अब पार्टी की कमान संभाले। प्रियंका गांधी भी यही चाहती हैं और ये बात हाल ही में सामने आई है। 

तो अब होगा क्या। राहुल अध्यक्ष बनना नहीं चाहते, प्रियंका भी अध्यक्ष पद संभालना नहीं चाहतीं। सोनिया गांधी की उम्र काफी हो चुकी है और कांग्रेस नेताओं का नेतृत्व का संकट हल करने को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है।

हल नहीं होगा संकट

थरूर से लेकर अभिषेक मनु सिंघवी तक साफ-साफ कह चुके हैं कि अगर राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बनना चाहते तो कोई और नेता अध्यक्ष पद संभाले। ऐसे में गांधी परिवार पार्टी के नेताओं के द्वारा लगातार उठाए जा रहे इस अहम सवाल को कब तक टालता रहेगा। अब पानी सिर के ऊपर जा चुका है और इस तरह के पत्रों की ख़बरें सामने आने के बाद जिनमें ‘सक्रिय’ नेतृत्व की मांग की गई है तो आलाकमान को यह समझ जाना चाहिए कि अब गांधी परिवार से बाहर के ही किसी व्यक्ति को कमान तो देनी ही पड़ेगी। 

गांधी परिवार से बाहर के किसी शख़्स को अध्यक्ष बनाने की कोशिश पिछले साल भी बहुत हुई लेकिन हुआ कुछ नहीं। तो क्या माना जाए कि यह मसला हल नहीं होगा।

हल चाहते हैं पार्टी नेता

कांग्रेस एक साल से किसी तरह घिस-घिसकर चल रही है। प्रियंका और राहुल आम लोगों के मुद्दे सोशल मीडिया पर उठा रहे हैं लेकिन इतने भर से बीजेपी का मुक़ाबला नहीं किया जा सकता। प्रदेश, जिला, शहर, ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों में काम कर रहे नेता इस संकट का हल चाहते हैं। वे भी चाहते हैं कि पार्टी को स्थायी अध्यक्ष मिले। 

ऐसे में राहुल के हठ के बाद कांग्रेस नेताओं की यह मांग पूरी तरह जायज दिखती है कि किसी और नेता को पार्टी की कमान सौंपी जाए। लेकिन मुसीबत यह भी है कि पार्टी में ऐसे कितने नेता हैं जिनकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। चलिए, पहचान तो पार्टी का अध्यक्ष बनने के बाद संघर्ष करके बनाई जा सकती है लेकिन पहले पार्टी पहले अध्यक्ष तो चुने। वरना यही कहा जा सकता है कि सब कुछ लुटा-पिटाकर होश में आए तो क्या आए। 

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