अनुच्छेद 370 पर अपने ही नेताओं के बयानों से घिरी कांग्रेस
अनुच्छेद 370 पर क्या स्टैंड हो, इसे लेकर कांग्रेस बुरी तरह कंफ़्यूज हो गई है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के क़दम के ख़िलाफ़ बोला तो कांग्रेस के कुछ युवा और वरिष्ठ नेताओं ने सरकार के क़दम का पूरी तरह समर्थन किया। बता दें कि बीजेपी को अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के मुद्दे पर एनडीए से बाहर के दलों से भी समर्थन मिला है। इसमें बीएसपी, आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल का नाम शामिल है।
बीते कुछ दिनों से इसे लेकर जोरदार अटकलें थीं कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 को हटा सकती है। सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राज्यसभा में इस पर अपनी बात कहने से पहले विपक्षी दलों के नेताओं के साथ संसद भवन परिसर में कांग्रेस के नेताओं ने बैठक की। इसमें फ़ैसला हुआ कि पार्टी इस तरह के प्रस्ताव का विरोध करेगी और और इसमें यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी की भी सहमति थी। ग़ुलाम नबी आज़ाद ने बैठक में तय हुई सभी बातें राज्यसभा में कह दीं और अनुच्छेद 370 को हटाने का जोरदार विरोध किया। लेकिन इसके बाद शुरू हुआ कांग्रेस के नेताओं का अनुच्छेद 370 के समर्थन में बयान आने का सिलसिला।
सबसे पहले कांग्रेस के महासचिव रहे जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि आज़ादी के बाद बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानी नहीं चाहते थे कि अनुच्छेद 370 रहे। उन्होंने कहा कि राम मनोहर लोहिया उनके राजनीतिक गुरु थे और वह हमेशा इसे हटाने की बात करते थे। द्विवेदी ने कहा कि एक भूल जो आज़ादी के समय हुई थी, उस भूल को देर से सही लेकिन सुधारा गया और यह स्वागत योग्य क़दम है। हालाँकि उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह उनकी निजी राय है।
#WATCH Janardan Dwivedi, Congress on #Article370revoked : My political guru Ram Manohar Lohia ji was always against this Article. A mistake of history has been corrected today, albeit late. I welcome this. pic.twitter.com/KqBsROImgS
— ANI (@ANI) August 5, 2019
इसके बाद राज्यसभा में कांग्रेस के चीफ़ व्हिप भुवनेश्वर कालिता ने भी इस मुद्दे पर इस्तीफ़ा दे दिया। सोशल मीडिया पर वायरल एक पत्र में इस बात का दावा किया गया है कि पार्टी ने कालिता से इस मुद्दे को लेकर व्हिप जारी करने को कहा था लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। पत्र में दावा किया गया है कि अनुच्छेद 370 पूरी तरह से जनभावनाओं के ख़िलाफ़ है।
इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे और पूर्व सांसद दीपेंद्र हुड्डा का बयान आया। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि उनके मुताबिक़, 21वीं सदी में अनुच्छेद 370 के लिए कोई कोई जगह नहीं है और इसको हटा देना चाहिए। हुड्डा ने कहा कि यह देश की अखण्डता व जम्मू-कश्मीर की जनता जो हमारे देश का अभिन्न अंग है, उसके हित में भी है। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि यह मौजूदा सरकार की ज़िम्मेदारी है कि इसका क्रियान्वयन शांति व विश्वास के वातावरण में हो। अपने इस ट्वीट के साथ उन्होंने एक अख़बार की पुरानी खबर भी ट्वीट की, जिसमें उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने की वकालत की थी।
मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट कर कहा कि दुर्भाग्य से अनुच्छेद 370 के मसले को उदारवादी और कट्टरपंथ की बहस में उलझाया जा रहा है। देवड़ा ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को अपने वैचारिक मतभेदों को किनारे कर भारत की संप्रभुता, जम्मू-कश्मीर में शांति, कश्मीरी युवाओं को रोजगार और कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय के बारे में बहस करनी चाहिए।
इसके अलावा नेहरू-गाँधी परिवार के गढ़ रायबरेली से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह ने भी इस मुद्दे पर पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया है। अदिति सिंह ने ट्वीट कर कहा कि यूनाइटेड वी स्टैंड। जय हिंद। यानी अदिति ने भी पूरी तरह केंद्र सरकार के क़दम का समर्थन किया है।
अब इन युवा और वरिष्ठ नेताओं का अनुच्छेद 370 को हटाने की प्रक्रिया के समर्थन में खुलकर आना कांग्रेस के गले की फांस बन गया है। अब कांग्रेस के सामने मुश्किल स्थिति यह है कि वह आख़िर इस मुद्दे पर क्या जवाब दे। जबकि राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी वाड्रा का इसे लेकर कोई ट्वीट सामने नहीं आया और ग़ुलाम नबी आज़ाद ने जो राज्यसभा में कहा उसे ही कांग्रेस की आधिकारिक लाइन माना गया। लेकिन जब इन नेताओं ने खुलकर अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के क़दम का समर्थन किया है तो इससे पार्टी नेताओं की नींद उड़ी हुई है।
वैसे भी, इन दिनों कांग्रेस में जबरदस्त भगदड़ मची हुई है। कर्नाटक में विधायकों की भगदड़ के कारण वह सरकार खो चुकी है, गोवा में उसके 10 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी, महाराष्ट्र में नेता विपक्ष बीजेपी में शामिल हो गए। और हाल ही में गाँधी परिवार के क़रीबी और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद संजय सिंह बीजेपी में शामिल हो गए। अब कांग्रेस के रणनीतिकारों की नींद इसलिए उड़ी हुई है कि कहीं ये नेता भी बग़ावती रुख अख़्तियार न कर लें। इसलिए कांग्रेस का इस मसले पर जवाब देखना दिलचस्प रहेगा कि वह इन नेताओं के स्टैंड पर क्या बोलती है।