तीसरे चरण के ट्रायल डेटा के बिना कोवैक्सीन को मिली मंजूरी?
चीन और रूस की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने पर जिस तरह के सवाल उठ रहे थे अब वैसे ही सवाल भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने पर उठ रहे हैं। सवाल तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े को लेकर है। कांग्रेस के नेताओं ने पूछा है कि भारत बायोटेक की वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के आँकड़े प्रकाशित किए बिना वैक्सीन को मंजूरी कैसे दी गई। उन्होंने इस पर भी आशंका जताई कि ऐसा करना ख़तरनाक भी हो सकता है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, 'भारत बायोटेक अव्वल दर्जे का उद्यम है, लेकिन यह हैरान करने वाला है कि तीसरे चरण के ट्रायल से संबंधित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल को कोवैक्सीन के लिए संशोधित किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को स्थिति पर सफ़ाई देनी चाहिए।'
Bharat Biotech is a first-rate enterprise, but it is puzzling that internationally-accepted protocols relating to phase 3 trials are being modified for Covaxin. Health Minister @drharshvardhan should clarify. pic.twitter.com/5HAWZtmW9s
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 3, 2021
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया यानी डीसीजीआई के वीजी सोमानी ने आज ही एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन यानी सीडीएससीओ सीरम और भारत बायोटेक के कोविड वैक्सीन पर विशेषज्ञ समिति की सिफ़ारिश को स्वीकार करता है। उन्होंने कहा कि दोनों वैक्सीन को 'सीमित इस्तेमाल' के लिए मंजूरी दे दी गई है। इसके बाद एम्स के निदेशक ने भी मंजूरी दिए जाने को अच्छा क़दम बताया है। कोरोना वैक्सीन के लिए तय विशेषज्ञ पैनल ने सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन को 1 जनवरी और भारत बायोटेक की वैक्सीन को 2 जनवरी को हरी झंडी दे दी थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों वैक्सीन को मंजूरी मिलने पर देशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि वैक्सीन को DCGI की मंजूरी से एक स्वस्थ और कोविड मुक्त भारत की मुहिम को बल मिलेगा। प्रधानमंत्री ने उस मुहिम में जुटे वैज्ञानिकों और निवेशकों की भी सराहना की है।
उन्होंने कहा, 'यह गर्व की बात है कि जिन दो वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है, वे दोनों मेड इन इंडिया हैं। यह आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए हमारे वैज्ञानिक समुदाय की इच्छाशक्ति को दर्शाता है। वह आत्मनिर्भर भारत, जिसका आधार है- सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।'
अब डीसीजीआई द्वारा भारत बायोटेक की वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी देने के बाद इसके तीसरे चरण के ट्रायल को लेकर सवाल किया जा रहा है। इस कंपनी के तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है। अभी तक इसके आंकड़े मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नहीं हुए हैं।
इसी पर सवाल उठाया जा रहा है। जयराम रमेश के अलावा कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भी यही सवाल पूछा है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, आनंद शर्मा ने भारत के ड्रग रेगुलेटर द्वारा भारत बायोटेक की वैक्सीन के 'सीमित उपयोग' की अनुमति देने पर चिंता जताई और सरकार को यह बताने के लिए कहा कि अनिवार्य प्रोटोकॉल और डेटा के सत्यापन की प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया।
गृह मंत्रालय के संसदीय पैनल के प्रमुख आनंद शर्मा ने कहा कि वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी देने के मुद्दे को सावधानी से निपटे जाने की ज़रूरत है क्योंकि किसी भी देश ने ज़रूरी तीसरे चरण के ट्रायल और डेटा के सत्यापन को दरकिनार नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ पैनल को दिए गए आवेदन के अनुसार तीसरे चरण का परीक्षण पूरा नहीं हुआ है और इसलिए, सुरक्षा और प्रभाव के आँकड़ों की समीक्षा नहीं की गई है, जो एक अनिवार्य आवश्यकता है। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल पूरे होने से पहले इसके इस्तेमाल की मंजूरी दिए जाने पर इसके ख़तरनाक होने की आशंका जताई।
The Covaxin has not yet had Phase 3 trials. Approval was premature and could be dangerous. @drharshvardhan should please clarify. Its use should be avoided till full trials are over. India can start with the AstraZeneca vaccine in the meantime. https://t.co/H7Gis9UTQb
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) January 3, 2021
रूस-चीन के टीके पर विवाद!
रूस की स्पुतनिक वैक्सीन पर भी विवाद हुआ था कि उसने वैक्सीन के ट्रायल के आँकड़े जारी नहीं किए।
31 दिसंबर को चीन सरकार ने अपनी वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। लेकिन इसने वैक्सीन के ट्रायल के आँकड़े नहीं जारी किए हैं। इस पर सवाल उठ रहे हैं। हालाँकि इसकी सफ़ाई में उसने कहा है कि उसने यह मंजूरी क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों के शुरुआती विश्लेषण में वैक्सीन के क़रीब 79 फ़ीसदी प्रभावी होने के बाद दी है। चीन ने तीसरे चरण का ट्रायल पूरा कर लिया है लेकिन इसके आँकड़े मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नहीं किए गए हैं।
चीन में जिस वैक्सीन को मंजूरी मिली है उसे चीन की सरकारी कंपनी सिनोफार्म ने तैयार किया है। सिनोफार्मा के एक कार्यकारी अधिकारी ने बिना कोई तारीख तय किए हुए कहा कि विस्तृत डेटा बाद में जारी किया जाएगा।
तो सवाल है कि क्या चीन ने यह दिखाने के लिए वैक्सीन को मंजूरी दी है कि वह पश्चिमी देशों से बायोलॉजिकल डवलपमेंट में पीछे नहीं है? या फिर सिनोफार्म की वैक्सीन को मंजूरी दिया जाना चीन की तकनीकी और कूटनीतिक महत्वाकांक्षाओं को बयां करता है?
ये सवाल इसलिए कि एक सफल वैक्सीन चीन की अमेरिका और दूसरे विकसित देशों से प्रतिद्वंद्विता में ला खड़ा करेगी। इससे चीन और इसके राष्ट्रपति शी जिनपिंग की छवि चमकेगी।
यह भी कहा जा रहा है कि एक सफल वैक्सीन से चीन की छवि भी चमक सकती है, खासकर उस दौर में जब चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की आलोचना की जा रही है। आलोचना इसलिए कि पिछले साल के अंत में वुहान शहर में कोरोना संक्रमण के मामले सामने आने पर चीन पर जानकारी छुपाने का आरोप लगाया गया था। उस पर यह आरोप तक लगाया गया कि चीन की लापरवाही के कारण ही पूरी दुनिया में यह वायरस फैला। चीन की सरकार तब से ही बार-बार यह सफ़ाई जारी करती रही है कि उस पर ग़लत आरोप लगाया जा रहा है। यानी उसे दुनिया भर में अपनी छवि की चिंता तो होगी ही।
इसी कारण जल्द एक सफल वैक्सीन आने और उसे दुनिया को उपलब्ध कराने पर चीन और उसके नेता शी जिनपिंग की पार्टी की छवि को सुधारने में मदद मिल सकती है।