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बीजेपी के ख़िलाफ़ मुहिम : सोनिया की बैठक में होंगे चार मुख्यमंत्री

बीजेपी के ख़िलाफ़ मुहिम : सोनिया की बैठक में होंगे चार मुख्यमंत्री

मानसून सत्र में विपक्षी दलों की एकजुटता से उत्साहित सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों की बैठक जल्द ही बुलाने का निर्णय किया है। 

कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बीजेपी और केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ विपक्षी दलों को एकजुट करने और विपक्षी एकता को ठोस करने के लिए विपक्ष के नेताओं की एक बैठक बुलाने का फ़ैसला किया है। इसके तहत पहले एक वर्चुअल बैठक की जाएगी और उसके बाद एक डिनर रखा जाएगा। 

मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में 15 विपक्षी दलों के एकजुट होने और संसद में आपसी समन्वय कर सरकार को घेरने की रणनीति के कामयाब होने के बाद यह निर्णय लिया गया है। 

20 अगस्त को होने वाली इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन को न्योता गया है। इसके अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार को भी आमंत्रित किया गया है। 

शिवसेना नेता संजय राउत ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि विपक्ष एकजुट है। उन्होंने कहा, 

20 अगस्त को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करेंगी। इस बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी शामिल होंगे।


संजय राउत, नेता, शिवसेना

बता दें कि संसद के मानसून सत्र के दौरान 15 से अधिक विपक्षी दलों ने एकजुट होकर सरकार के ख़िलाफ़ एक मोर्चा खोला। उन्होंने एक साथ पेगासस जासूसी कांड, ईंधन की बढ़ती कीमतों और तीन केंद्रीय कृषि कानूनों पर किसानों के आंदोलन जैसे मुद्दों पर सदन में सवाल उठाए और सरकार को घेरा।

 - Satya Hindi

विपक्षी एकता

बता दें कि इसके पहले तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी दिल्ली आई थीं और उन्होंने सोनिया गांधी व राहुल गांधी से मुलाक़ात की थी।

इसके अलावा उन्होंने शरद पवार समेत विपक्ष के दूसरे कई नेताओं से मुलाक़ात की थी। उन्होंने बीजेपी को रोकने की ज़रूरत बताते हुए उसके ख़िलाफ़ पूरे विपक्ष के गोलबंद होने की  बात कही थी। 

मानसून सत्र के दौरान पेगासस सॉफ़्टवेअर जासूसी मुद्दे पर सभी दलों ने सरकार  को घेरा और राज्यसभा व लोकसभा में आपस में समन्वय कर सरकार से सवाल पूछे।

सरकार ने विपक्ष के सवालों के जवाब नहीं दिए और दोनों सदनों में शोरगुल हुआ, कई बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी और कामकाज नहीं के बराबर ही हुआ। 

सरकार ने इस बीच अपने कई विधेयक पारित भी करवा लिए और सदन में कामकाज नहीं होने के लिए विपक्ष को ही ज़िम्मेदार भी ठहरा दिया, पर सदन में विपक्ष के बीच इस तरह का समन्वय बहुत दिनों बाद देखा गया।

डिनर पॉलिटिक्स?

याद दिला दें कि इसके कुछ दिन पहले ही कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल के घर पर रखे गए डिनर में कई दलों के नेता जुटे थे। डिनर के बाद राजनीतिक गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं हुईं क्योंकि सिब्बल कांग्रेस में उस जी-23 गुट के नेता हैं, जिसने स्थायी अध्यक्ष और आंतरिक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी में मोर्चा खोला हुआ है। 

कई बड़े नेता हुए शामिल 

डिनर का मुख्य एजेंडा 2024 में बीजेपी के ख़िलाफ़ एक फ्रंट बनाने का था।

डिनर में जो नामचीन शख़्सियतें शामिल हुईं, उनमें एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव, एसपी मुखिया अखिलेश यादव, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला थे।

इसके अलावा, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन और कल्याण बनर्जी, सीपीएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी. राजा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, आरएलडी के जयंत चौधरी, डीएमके के तिरुचि शिवा, बीजेडी के पिनाकी मिश्रा, शिव सेना के संजय राउत, अकाली दल के नरेश गुजराल और टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस के नेता भी इस डिनर में शामिल हुए थे। 

अहम बात यह रही कि बीजेडी, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस के नेता भी डिनर में शामिल हुए जबकि संसद में दिख रही विपक्षी एकता से इन दलों ने दूरी बनाए रखी है। 

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