कर्नाटक में क्या सावरकर मंज़ूर नहीं, फ्लाईओवर के नाम पर झुकी बीजेपी?
क्या कर्नाटक में सावरकर अभी भी स्वीकार्य नहीं हैं? जिस तरह से राज्य में गुरुवार को घटनाक्रम चला है उससे तो कम से कम यही लगता है। हिंदुत्व का चेहरा सावरकार के नाम पर कर्नाटक में फ्लाईओवर का नाम रखने का विरोध होने पर इसके उद्घाटन को आख़िरी समय में रद्द करना पड़ा। इसमें दोनों तरफ़ से अजीब राजनीति हुई। सावरकर के जन्मदिन पर मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा द्वारा इसका उद्घाटन किया जाना तय था। कांग्रेस और जेडीएस ने इस आधार पर विरोध किया कि स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर क्यों नहीं फ्लाईओवर का नाम रखा गया। और आख़िर में ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिका ने कोरोना वायरस लॉकडाउन को कारण बताते हुए उद्घाटन कार्यक्रम को रद्द कर दिया। सावरकर के नाम पर फ्लाईओवर का नाम रखने का विरोध सामाजिक कार्यकर्ता और कुछ दूसरे लोग भी कर रहे हैं।
वैसे, कारण जो भी बताया जाएँ, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में लगता है कि राजनीतिक तौर पर वोट बैंक के नफ़ा-नुक़सान को लेकर फ़ैसला लिया गया। और इस नफ़े-नुक़सान में किसका पलड़ा भारी रहा, यह कहने की ज़रूरत नहीं है।
हालाँकि फ्लाईओवर पर पूरा घटनाक्रम आज चला, लेकिन इस पर विवाद बुधवार से चल रहा था। तब कांग्रेस और जेडीएस ने बीजेपी सरकार के उस फ़ैसले का विरोध किया था जिसमें सरकार ने सावरकर के नाम पर फ्लाईओवर का नाम रखना तय किया था। विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, 'सावरकर के नाम पर येलहंका फ्लाईओवर का नाम रखने के लिए बीजेपी सरकार द्वारा लिया गया निर्णय कर्नाटक की धरती के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है।' निर्णय को वापस लेने की माँग करते हुए, सिद्धारमैया ने कहा, 'सावरकर के नाम पर फ्लाईओवर का नाम देने की इस जल्दबाज़ी का निर्णय एक प्रमाण है कि प्रशासन एक निर्वाचित सरकार द्वारा नहीं बल्कि पीछे से किसी और द्वारा चलाया जा रहा है ... उन्होंने (येदियुरप्पा) इस तरह के जनविरोधी निर्णय लेने से पहले विपक्षी दलों से परामर्श क्यों नहीं किया?'
जेडीएस ने भी बीजेपी सरकार पर हमला किया और कहा कि कर्नाटक से प्रख्यात हस्तियों के नाम पर इस फ्लाईओवर का नाम रखा जा सकता है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार, जेडीएस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने कहा, 'मैं सरकार से इस फ़ैसले को वापस लेने का आग्रह करता हूँ। स्वतंत्रता के पहले और बाद में, कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं जिन्होंने राज्य के विकास और कल्याण के लिए लड़ाई लड़ी। उनके नाम पर फ्लाईओवर का नाम रखा जा सकता था।'
इधर बीजेपी ने कांग्रेस को 'नामदार' पार्टी कहा। केंद्रीय कोयला और खान मंत्री प्रहलाद जोशी ने ट्विटर पर कहा, 'यह दिवालिया मानसिकता को प्रदर्शित करता है। एक तरफ़ वे वंश के एक परिवार के नाम पर राष्ट्रीय संपत्ति का नाम रखते हैं और दूसरी ओर वे बाबासाहेब आम्बेडकर, सुभाष चंद्र बोस, वल्लभभाई पटेल और ऐसे ही दूसरे हमारे राष्ट्रीय नायकों के योगदान को कम करते हैं।' उन्होंने कहा कि सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का विरोध करना इस मिट्टी के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है।
This exhibits bankrupt Congress mentality. On one hand, they name national assets after 1 family of dynasts and on the other hand, they downplay the contribution of our national heroes like Babasaheb Ambedkar, Subhash Chandra Bose, Vallabhbhai Patel and others. https://t.co/fzvV2kPdq5
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) May 27, 2020
सावरकर के नाम पर फ्लाईओवर का नाम रखने का विरोध सामाजिक कार्यकर्ता और कुछ दूसरे लोग भी कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इसका विरोध हो रहा है। बनवासी बालगा के कन्नड़ कार्यकर्ता अरुण जवागल ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि यह पहली बार नहीं है कि सरकार इन्फ़्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट किसी नेता के नाम पर रख रही है जिनको कर्नाटक में लोग जानते ही नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'कर्नाटक से कई स्वतंत्रता सेनानी हुए हैं... सरकार इस तरह के प्रोजेक्ट के लिए उनके नामों पर क्यों विचार नहीं कर रही है?' वह कहते हैं कि कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने भी राजनीतिक दलों के नेताओं के नाम पर प्रोजेक्ट का नाम रखा है। वह कहते हैं कि उन्होंने सिद्धारमैया सरकार द्वारा शुरू किए गए इंदिरा कैंटीन का भी विरोध किया था और कहा था कि 12वीं सदी की कवि अक्का महादेवी के नाम पर कैंटीन का नाम रखा जाए।