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यूएन में मोदी सरकार के रुख का समर्थन करने के बावजूद कांग्रेस नरम नहीं, भारतीय छात्रों को लेकर दबाव बढ़ाया

यूएन में मोदी सरकार के रुख का समर्थन करने के बावजूद कांग्रेस नरम नहीं, भारतीय छात्रों को लेकर दबाव बढ़ाया

विदेश मामलों की समिति में कांग्रेस का मोदी सरकार को समर्थन का गलत मतलब निकाला गया। कांग्रेस ने यूएन में मोदी सरकार के रुख पर सरकार का साथ दिया है। भारतीय छात्रों की वापसी पर उसका पुराना रुख कायम है।  

कांग्रेस ने आज भले ही यूक्रेन पर यूएन में हुए मतदान से गैरहाजिर रहने पर केंद्र सरकार का समर्थन किया है लेकिन पार्टी का मूल स्टैंड यही है कि मोदी यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को लाने में नाकाम रही है। उसने पहले से कोई प्लान नहीं बनाया। हालांकि विदेश मंत्रालय सलाहकार समिति की बैठक में आज कांग्रेस के समर्थन का मीडिया का एक वर्ग कुछ और ही मतलब निकाल रहा है। मीडिया के उस वर्ग का कहना है कि कांग्रेस ने भारतीय छात्रों को लाने में सरकार के प्रयासों की तारीफ की है। लेकिन यह सच नहीं है। पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आज ही एक भारतीय छात्रा का वीडियो शेयर करते हुए सरकार पर हमला बोला।

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने आज ऑपरेशन गंगा पर संसदीय समिति के सदस्यों को जानकारी दी। बैठक के बाद, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि विपक्षी दलों की विदेश मंत्री के साथ "अच्छी बैठक" हुई। उन्होंने कहा कि हर कोई एकजुट था। थरूर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यूक्रेन पर आज सुबह विदेश मामलों की सलाहकार समिति की शानदार बैठक। हमारे सवालों और चिंताओं पर स्पष्ट प्रतिक्रिया के लिए डॉ एस जयशंकर और उनके सहयोगियों को मेरा धन्यवाद। यही वह भावना है जिसमें विदेश नीति को चलाया जाना चाहिए।

इस बैठक में 6 राजनीतिक दलों के नौ सांसद शामिल हुए जिसमें राहुल गांधी, आनंद शर्मा और थरूर मौजूद थे। थरूर से पार्टी सहमत नहींकांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इससे पहले केंद्र सरकार की यूक्रेन पर की जा रही कार्रवाइयों को सही ठहराया था। थरूर का सरकार समर्थक बयान तब आया था जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी सरकार पर लगातार हमले कर रहे थे। इस पर कांग्रेस के विदेश मामलों के विशेषज्ञ और पूर्व मंत्री आनंद शर्मा ने साफ किया था कि थरूर का बयान कांग्रेस पार्टी का बयान नहीं है। कांग्रेस पार्टी का मानना है कि भारतीय छात्रों को वापस लेने के मामले में मोदी सरकार से लापरवाही हुई है।

आज जब विदेश मामलों की संसदीय समिति की बैठक हुई तो कांग्रेस ने यूएन में भारत सरकार के रुख का समर्थन किया लेकिन इस बैठक में राहुल गांधी ने भारतीय छात्रों को लेकर तमाम सवाल उठाए।

राहुल ने आज उस बैठक में कहा कि यूक्रेन से भारतीय नागरिकों को निकालना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार ने अपनी एडवाइजरी में जो सलाह भारतीय छात्रों को दी, वो गुमराह करने करने वाली थी।

सूत्रों के मुताबिक इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि छात्रों को उनकी शैक्षणिक स्थिति के बारे में खुद संदेह था और यूक्रेनी सरकार वहां सामान्य हालात होने का भरोसा दे रही थी। विदेश मंत्री ने इसके बाद भारतीय छात्रों की निकासी और मौजूजा स्थिति पर एक प्रेजेंटेशन दिया।

विदेश मामलों की समिति में सरकार और कांग्रेस के बीच बनी कथित सहमति पर कांग्रेस के नेताओं ने बयान देकर आज ही साफ कर दिया कि उनका पुराना रुख कायम है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भारतीय छात्रों की एनडीटीवी से बातचीत के वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है - इस बहादुर लड़की ने भारत सरकार के फर्जी पीआर का भेद खोल दिया है। जब प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और रक्षा मंत्री चुनाव रैलियों में व्यस्त हैं, हमारे छात्र बहुत बुरे हालात का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस नेता इस मुद्दे पर सरकार को लगातार घेर रहे हैं। राहुल ने अभी कल ही ट्वीट करके लिखा था - और त्रासदी ना हो इसके लिए केंद्र सरकार को बताना होगा: 1. कितने छात्रों को बचाकर ला चुके हैं। 2. कितने अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। 3. हर क्षेत्र के लिए विस्तृत निकास प्लान। राहुल ने कहा - इन परिवारों को एक स्पष्ट रणनीति बताना हमारी ज़िम्मेदारी है।

इस मुद्दे पर कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर हैशटैग "SpeakUpForStudents" का इस्तेमाल करते हुए अपना ऑनलाइन अभियान शुरू किया, जिसमें देश भर के कई नेताओं ने छात्रों के लिए आवाज उठाई और सरकार से सभी भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया।

कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल पर कहा, अगर देश में एक मजबूत और स्पष्ट नेतृत्व होता। तो स्टूडेंट्स को इतनी समस्या नहीं आती। नकली राष्ट्रवाद केवल सरकार की छवि को बचाएगा, देश के हितों को नहीं।

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