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मोदी विरोधी वोटों के लिए आम्बेडकर को मनाने में जुटी कांग्रेस

मोदी विरोधी वोटों के लिए आम्बेडकर को मनाने में जुटी कांग्रेस

महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी-शिवसेना गठजोड़ को हराने के लिए कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस आघाडी यानी गठबंधन की नज़र प्रकाश आम्बेडकर-असदउद्दीन ओवैसी की वंचित आघाडी पर है।

महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी-शिवसेना गठजोड़ को हराने के लिए कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस आघाडी यानी गठबंधन की नज़र प्रकाश आम्बेडकर-असदउद्दीन ओवैसी की वंचित आघाडी पर है। बीजेपी-शिवसेना गठबंधन में जगह नहीं मिलने की वजह से नाराज़ चल रहे रामदास आठवले भी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस नेताओं से क़रीबी का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस प्रकाश आम्बेडकर के साथ गठबंधन करने पर ज़्यादा बल दे रही है। और इसका कारण है वंचित बहुजन आघाडी की हाल ही में मुंबई के शिवाजी मैदान में विशाल जनसभा हुई थी। शिवाजी मैदान में आमतौर पर शिव सेना की सभाएँ होती रहती हैं और वंचित बहुजन आघाडी की इस सभा में भीड़ उससे कम नहीं, कहीं ज़्यादा दिखी थी। 

इस आघाडी की यह पहली बड़ी सभा नहीं थी, सोलापुर और अहमदनगर में भी ऐसी ही सभाएँ हुई थीं। मुंबई की सभा में प्रकाशआम्बेडकर ने कांग्रेस के लिए सन्देश दिया था कि उनके दरवाज़े गठबंधन के लिए खुले हैं। आम्बेडकर के इस सन्देश को लेकर गठबंधन की कवायदें तेज़ हो गयी हैं। राष्ट्रवादी नेता शरद पवार ने उसके बाद मीडिया में आकर प्रकाश आम्बेडकर के सन्देश का जवाब भी दिया और कहा कि उन्हें क्या चाहिए वह बताएँ तो सही। 

शरद पवार समान्य तौर पर गठबंधन की बातें या किसी नेता को जवाब मीडिया के ज़रिए नहीं देते। लेकिन मामले की गंभीरता उन्हें अच्छी तरह से पता है, इसलिए वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि गठबंधन जितना हो सके उतना मज़बूत बने।

उन्हें पता है कि बहुजन वंचित आघाडी यदि अलग से लड़ी तो पाँच-छह सीटों पर मत विभाजन का फ़ायदा शिवसेना-बीजेपी को होगा। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने भी तीन दिन पहले यह कहा था कि प्रकाश आम्बेडकर के मन में क्या है यदि वह बताएँ तो उस पर चर्चा होगी।

आम्बेडकर के संपर्क में कांग्रेस नेता

अपने भाषणों और सभाओं में प्रकाश अम्बेडकर 12 सीटों की माँग करते हैं। लेकिन उन्हें भी पता है कि इतनी सीटें कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस उन्हें नहीं देने वाली हैं। प्रकाश आम्बेडकर से गठबंधन के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण वार्ता कर रहे हैं। आम्बेडकर के राष्ट्रवादी कांग्रेस से अच्छे सम्बन्ध नहीं हैं और ना ही उसके नेता शरद पवार से। राष्ट्रवादी से उनकी दूरी का कारण पार्टी में मराठाओं का वर्चस्व होना है। आम्बेडकर खुल कर इस बात को बोलते भी हैं कि राष्ट्रवादी कांग्रेस में ओबीसी नेता नहीं हैं और सिर्फ़ मराठाओं की ही चलती है।
  • लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता छगन भुजबल के प्रकाश अम्बेडकर से बहुत पुराने और घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। उसका कारण है-- भुजबल का ओबीसी होना। इसलिए राष्ट्रवादी कांग्रेस ने प्रकाश अम्बेडकर को मनाने के लिए भुजबल को आगे किया है। प्रकाश अम्बेडकर को पहले कांग्रेस की तरफ़ से 4 सीटें देने की बात कही गयी थी लेकिन वह उस पर राज़ी नहीं हुए। अब चर्चा के नए दौर में उन्हें एक-दो अतिरिक्त सीटें भी दी जा सकती है। 

सियासी समीकरण बदलेंगे

लेकिन प्रकाश आम्बेडकर को अब मोदी विरोधी फ़्रंट की थ्योरी के तहत मनाने की कवायद की जा रही है। उन्हें यह भी हक़ीक़त बताई जा रही है कि वंचित बहुजन आघाडी यदि अकेले लड़ेगी तो मुश्किल से वह दो सीट जीत पाएगी लेकिन चार -पाँच सीटों पर मत विभाजन का फ़ायदा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की चाह रखने वाले गठबंधन को होगा। प्रकाश आम्बेडकर को भीमा कोरेगाँव आन्दोलन का भी हवाला दिया जा रहा है कि कैसे केंद्र सरकार ने प्रदेश के बड़े दलित नेता व सामाजिक कार्यकर्ताओं को माओवादी बताकर जेल में ठूँस दिया है। प्रकाश आम्बेडकर इन सामाजिक कार्यकर्ताओं की लड़ाई लड़ रहे हैं और भीमा कोरेगाँव में हुई ग़िरफ़्तारियों के विरोध में उन्होंने प्रदेश भर में जो आन्दोलन खड़ा किया उसकी वजह से दलित-पिछड़ों के बीच उनका कद बढ़ा है। इसी के चलते कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस रामदास आठवले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

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