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क्रोनोलॉजी साफ है- चंदा दो- धंधा लो, चंदा दो- प्रोटेक्शन लो: कांग्रेस 

क्रोनोलॉजी साफ है- चंदा दो- धंधा लो, चंदा दो- प्रोटेक्शन लो: कांग्रेस 

चुनावी बॉन्ड पर एसबीआई द्वारा समय मांगे जाने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का विपक्ष ने स्वागत किया है और मोदी सरकार पर हमला किया है। जानिए, इसने मोदी सरकार पर क्या आरोप लगाया। 

चुनावी बॉन्ड की जानकारी मुहैया कराने के लिए एसबीआई को तीन महीने का समय नहीं दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को विपक्ष ने लोकतंत्र की जीत बताया है। कांग्रेस ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला पारदर्शिता, जवाबदेही, और लोकतंत्र में बराबरी के मौक़े की जीत है।

राहुल गांधी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी के ‘चंदे के धंधे’ की पोल खुलने वाली है! उन्होंने इसके माध्यम से क्रोनोलॉजी समझाई है। उन्होंने कहा, 'क्रोनोलॉजी स्पष्ट है -चंदा दो- धंधा लो, चंदा दो- प्रोटेक्शन लो!'

राहुल ने कहा, '100 दिन में स्विस बैंक से काला धन लाने का वायदा कर सत्ता में आई सरकार अपने ही बैंक का डेटा छिपाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सिर के बल खड़ी हो गई। इलेक्टोरल बॉन्ड भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला साबित होने जा रहा है, जो भ्रष्ट उद्योगपतियों और सरकार के नेक्सस की पोल खोल कर नरेंद्र मोदी का असली चेहरा देश के सामने लेकर आएगा।'

उन्होंने आगे कहा, 'चंदा देने वालों पर कृपा की बौछार और आम जनता पर टैक्स की मार, यही है भाजपा की मोदी सरकार।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि 'मोदी सरकार के भ्रष्टाचार, घपलों और लेन-देन की कलई खुलने की ये पहली सीढ़ी है।' हालाँकि, इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'अब भी देश को ये नहीं पता चलेगा कि भाजपा के चुनिंदा पूँजीपति चंदाधारक किस-किस ठेके के लिए मोदी सरकार को चंदा देते थे, उसके लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट को उचित निर्देष देने चाहिए।'

खड़गे ने आगे कहा, 'इलेक्टोरल बॉन्ड प्रकाशित करने के लिए एसबीआई द्वारा साढ़े चार महीनें माँगने के बाद साफ़ हो गया था कि मोदी सरकार अपने काले कारनामों पर पर्दा डालने की हर संभव कोशिश कर रही है। आज के माननीय सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से देश को जल्द इलेक्टोरल बॉन्ड से भाजपा के चंदा देने वालों की लिस्ट पता चलेगी।'

कांग्रेस अध्यक्ष की यह टिप्पणी तब आई है जब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एसबीआई को 12 मार्च तक भारतीय चुनाव आयोग को चुनावी बांड के चंदा देने वालों की पूरी जानकारी जमा करने का आदेश दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने ज्यादा समय की मांग करने वाली एसबीआई की याचिका को खारिज कर दिया।

हालांकि सरकार ने जाने-माने वकील हरीश साल्वे को भी अदालत में उतारा था, लेकिन उनके तर्क सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने टिक नहीं सके। अदालत ने कहा, 'एसबीआई को 12 मार्च, 2024 के बिजनेस ऑवर के अंत तक तमाम जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया जाता है। केंद्रीय चुनाव आयोग सारी जानकारी संकलित करेगा और अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर पूरी जारकारी 15 मार्च, 2024 शाम ​​5 बजे तक प्रकाशित करेगा।'

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपल ने कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र को इस शासन की कुटिल साजिशों से बचाने के लिए आया है। एसबीआई द्वारा एक दिन के साधारण से काम के लिए एक्सटेंशन की मांग करना हास्यास्पद था। सच तो यह है कि सरकार को डर है कि उनके सारे राज़ सामने आ जायेंगे।'

उन्होंने कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रमाणित यह महाभ्रष्टाचार घोटाला, भाजपा और उसके भ्रष्ट कॉर्पोरेट आकाओं के बीच अपवित्र सांठगांठ को उजागर करेगा।'

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने तंज कसते हुए कहा कि जिस एसबीआई का बाक़ी सारा काम डिजिटल है, उसने बस इलेक्टोरल बॉन्ड का महाकाव्य ताम्रपत्र पर लिख रखा है।

उन्होंने कहा, 'लेकिन अब उसको सार्वजनिक करने का आदेश आ चुका है - नाम तो बताने होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कल मतलब 12 मार्च तक एसबीआई को यह बताना होगा: 1. किस डोनर ने कितने के बॉण्ड ख़रीदे उनके नाम। 2. राजनीतिक पार्टियों ने कितने के बॉण्ड भुनाये।'

उन्होंने कहा, 'असल में तो सुप्रीम कोर्ट का यह कहना कि एसबीआई को बॉन्ड के खरीदार को राजनीतिक दल से जोड़ने की ज़रूरत नहीं है- बीजेपी के लिए बड़ी राहत है। पर सोचिए 70 साल की पाई-पाई का हिसाब मांगने वाले की इलेक्टोरल बॉन्ड का हिसाब देने में हवा इतनी टाईट क्यों है?' 

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