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गहलोत को कांग्रेस का 'अभयदान', सीएम ने बजट के लिए सुझाव मांगे

गहलोत को कांग्रेस का 'अभयदान', सीएम ने बजट के लिए सुझाव मांगे

राजस्थान में चल रही उठापटक के बाद फिलहाल शांति छा गई है। सीएम अशोक गहलोत आज शनिवार को जिस तरह बीकानेर में बयान देकर सक्रिय नजर आए, उससे यही संकेत मिला। वैसे भी 48 घंटे में कांग्रेस अध्यक्ष को नए सीएम पर फैसला लेना था लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष के ही संकेत पर गहलोत ने खड़गे के नामांकन में सक्रिय हुए। लगता यही है कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने माफ कर दिया है। जानिए पूरा घटनाक्रम।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस आलाकमान की ओर से अभयदान मिल गया लगता है। कांग्रेस आलाकमान को पिछले 48 घंटों में राजस्थान का अगला सीएम तय करना था लेकिन लगता यही है कि गहलोत को ही काम करते रहने को कहा गया है। इसके संकेत आज शनिवार 1 अक्टूबर को उस समय मिले जब उन्होंने राज्य के युवकों से अगले बजट के लिए सुझाव मांगे। साथ ही राजस्थान की जनता के नाम अपील जारी कि उनकी सरकार को फिर से चुना जाए।

अशोक गहलोत शनिवार को बीकानेर में थे और उनके हावभाव बता रहे थे कि उन्होंने बतौर सीएम फिर से काम करना शुरू कर दिया है। राजस्थान में चली उठापटक की वजह से अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगी और खुद ही मीडिया में बयान दिया था कि राजस्थान के नए मुख्यमंत्री का फैसला करना अब सोनिया जी के ऊपर है। लेकिन अशोक गहलोत ने शनिवार को संकेत दिया कि अब वही सीएम हैं। यानी उनकी कुर्सी बरकरार रहेगी।

बीकानेर में जब पत्रकारों ने गहलोत से पूछा कि राज्य का अगला बजट कौन पेश करेगा, तब गहलोत ने जनता से बजट के बारे में अपने सुझाव भेजने का आग्रह करते हुए जवाब दिया। उन्होंने कहा कि हम छात्रों और युवाओं के लिए बजट पेश करेंगे। मैं एक बार फिर से दोहरा रहा हूं और प्रदेश के युवाओं, छात्रों और जनता से अपील कर रहा हूं कि उनके मन में जो सुझाव हैं, वे सीधे मेरे पास भेजें। मैं उन योजनाओं को लाना चाहता हूं जो उनके दिल में हैं। क्योंकि देश का भविष्य युवा हैं।

गहलोत का यह बयान स्पष्ट रूप से रणनीतिक है, जो बता रहा है कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अभयदान दे दिया है।

यहां यह बताना भी जरूरी है कि गहलोत के वफादार विधायकों ने जब अपनी अलग बैठक बुलाई और वो विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं हुए तो गहलोत ने 25 सितंबर को संवाददाताओं से कहा था कि वह अगले बजट के लिए छात्रों और युवाओं के लिए योजनाओं के बारे में सुझावों पर “अगले मुख्यमंत्री” को जानकारी देंगे।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस समय, उनके बयान को एक संकेत के रूप में देखा गया था कि गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ने को तैयार थे। उन्होंने यह भी कहा कि नई पीढ़ी को मौका दिया जाना चाहिए।

बहरहाल, कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ से हटने के बाद, गहलोत फिर से सक्रिय हो गए हैं। गहलोत से जुड़े दूसरे घटनाक्रम पर भी गौर कीजिए। गहलोत ने जब सोनिया गांधी से मिलकर माफी मांग ली तो वो दिल्ली में जमे रहे और जयपुर नहीं लौटे। उसके बाद गहलोत ने मल्लिकार्जुन खड़गे के फॉर्म पर शुक्रवार को बतौर प्रस्तावक हस्ताक्षर किए। इसी से साफ हो गया कि कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें ऐसा करने का निर्देश देकर उनका महत्व बनाए रखा और उसी में यह संकेत भी छिपा है कि वो फिलहाल मुख्यमंत्री बने रहेंगे। राजस्थान में कांग्रेस अगला विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ेगी।

गहलोत और उनके प्रतिद्वंदी सचिन पायलट के खेमों के विधायकों ने फिलहाल चुप्पी साध ली है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक गहलोत गुट के एक वरिष्ठ मंत्री, जो पिछले एक सप्ताह में पायलट के वफादारों पर हमला करने में सबसे आगे थे, ने कहा, हमें किसी भी तरह का बयान नहीं देने के लिए कहा गया है। महासचिव के. सी. वेणुगोपाल के बयान के बारे में पूछे जाने पर कि सोनिया तय करेंगी कि एक-दो दिनों में राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा, उस मंत्री ने कहा: फिलहाल, ऐसा नहीं लगता कि कोई बदलाव होगा।

पायलट खेमे में, 25 सितंबर की सीएलपी बैठक की घोषणा के बाद जिस तरह से उत्साह नजर आया था, वह संकेत दे रहा था कि 45 वर्षीय पायलट को मुख्यमंत्री पद मिल सकता है। लेकिन अब उनके वफादार भी खामोश हो गए हैं। इस मामले में कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन की भूमिका को लेकर भी कांग्रेस में चर्चाओं का दौर जारी है, जिन्होंने मामले को संभालने की बजाय मामले को बिगाड़ने में ज्यादा भूमिका निभाई। लेकिन अभी चारों तरफ चुप्पी है और सिर्फ गहलोत ही बोल रहे हैं।

गहलोत ने और क्या कहा

गहलोत ने बीकानेर में कहा: “मैं जनता से कह रहा हूं कि आप बार-बार (हर पांच साल के बाद) सरकार बदलते हैं, भले ही उनका काम अच्छा हो। कभी आप मोदी जी की लहर से बहक गए, एक बार राज्य सरकार के कर्मचारियों ने मेरा विरोध किया क्योंकि हम उनसे बातचीत नहीं कर सके और उन्होंने हड़ताल की…। फिर भी हमारी सरकार को वोट दिया गया, हम इसे स्वीकार करते हैं। मेरे पहले कार्यकाल (1998-2003) में संवाद की कमी के कारण सरकार गिर गई थी। अगली बार (2008-2013) मोदीजी के पक्ष में देश में ऐसा माहौल बना कि (दिल्ली की सीएम) शीला दीक्षित भी चुनाव हार गईं। हम मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीतने वाले थे लेकिन हम वहां भी हार गए। 

मैं जनता से अनुरोध कर रहा हूं कि इस बार हमें एक और मौका दें। मैं अपनी अंतिम सांस तक राजस्थान के लोगों की सेवा करूंगा।


- अशोक गहलोत, सीएम राजस्थान, 1 अक्टूबर को बीकानेर में

मोदी पर हमला

गहलोत ने खुद को विनम्र व्यक्ति बताते हुए कहा कि इस छवि का मुकाबला करने के लिए पीएम मोदी शुक्रवार की देर शाम अबू रोड की अपनी यात्रा के दौरान जनता के सामने तीन बार झुके। भगवान उन्हें विनम्र बनाए रखे और देश को एक संदेश मिले। लेकिन हम उनसे बार-बार अनुरोध कर रहे हैं कि आप भाईचारे और प्रेम का भी संदेश दें और कहें कि मैं हिंसा बर्दाश्त नहीं करूंगा। वह इस सलाह को नहीं मान रहे हैं, लेकिन तीन बार झुककर क्या कहना चाहते हैं?

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