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कांग्रेस समर्थित 687 फ़ेसबुक पेज हटे, पर बीजेपी को 'सिल्वर टच' नुक़सान

कांग्रेस समर्थित 687 फ़ेसबुक पेज हटे, पर बीजेपी को 'सिल्वर टच' नुक़सान

चुनाव से पहले वोटरों को ठगने के प्रोपगेंडा का फ़ेसबुक ने भंडाफोड़ क्या किया राजनीतिक दल एक-दूसरे को फ़ेक न्यूज़ फैलाने वाले बताने लगे। इसने क़रीब 700 फ़ेसबुक पेज और खातों को हटा दिया। 

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक दस दिन पहले फ़ेसबुक ने क़रीब 700 पेज हटा दिए हैं। फ़ेसबुक की यह कार्रवाई कांग्रेस से ज़्यादा नुक़सानदेह बीजेपी के लिए लगती है। फ़ेसबुक ने कहा कि कांग्रेस आईटी सेल के लोगों से जुड़े 687 फ़ेसबुक पेजों और खातों को हटाया गया है, वहीं बीजेपी समर्थित प्रचार करने वाले 15 फ़ेसबुक ग्रुप, पेज और खातों को हटाया गया है। ये 15 पेज आईटी फ़र्म सिल्वर टच नाम की कंपनी से संबंधित थे। 

भले ही हटाये गये कांग्रेस समर्थित पेजों की संख्या ज़्यादा हों, लेकिन बीजेपी को 'सिल्वर टच' वाला नुक़सान कहीं ज़्यादा चुभने वाला लगता है।

फ़ेसबुक की रिकॉर्ड के अनुसार, हटाये गये कांग्रेस समर्थित 687 पेजों के कुल 2.06 लाख फ़ॉलोअर थे और इन पेजों पर विज्ञापनों पर क़रीब 39 हज़ार डॉलर ख़र्च किया गया। जबकि हटाए गये सिल्वर टच से जुड़े और बीजेपी समर्थित प्रचार करने वाले 15 फ़ेसबुक ग्रुप, पेज और खातों के 26 लाख फ़ॉलोअर थे और इन पेजों पर विज्ञापनों 70 हज़ार डॉलर ख़र्च किए गये। इसका सीधा मतलब यह है कि कांग्रेस के इन फ़ेसबुक पेजों की तुलना में बीजेपी समर्थित पेजों की पहुँच काफ़ी ज़्यादा थी और इसका ज़्यादा नुक़सान भी बीजेपी को ही हुआ।

फ़ेसबुक ने जिस सिल्वर टच नाम की फ़र्म से फ़ेसबुक पेजों पर कार्रवाई की है। बताया जाता है कि यह फ़र्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नमो ऐप से जुड़ी हुई है। लेकिन बीजेपी ने एक बयान में कहा है कि न तो पार्टी का और न ही पार्टी के मोबाइल ऐप का इस कंपनी से कोई लेनादेना है। बीजेपी के बयान के बाद देर रात जारी एक बयान में फ़ेसबुक ने साफ़ किया कि उसे भी इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि सिल्वर टच कंपनी फ़ेसबुक के प्लेटफॉर्म पर नमो ऐप से जुड़ी है।

तो सिल्वर टच किसके लिए काम कर रहा था

फ़ेसबुक द्वारा हटाये गये पेजों में एक बीजेपी समर्थित पेज 'द इंडिया आई' भी शामिल है। इसके 20 लाख से ज़्यादा फॉलोअर थे। इस पेज पर बीजेपी से जुड़ी प्रचार सामग्री की भरमार थी और दक्षिणपंथी विचारों वाले पोस्ट थे। अब सवाल है कि क्या इस पेज का बीजेपी से कोई लेना-देना है अलग-अलग रिपोर्टों में इसके संकेत मिलते रहे हैं। 

'द क्विंट' ने 'एनडीटीवी' की 2017 में की गयी एक पड़ताल की रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें भार्गव जानी नाम के व्यक्ति का नाम आया था जिसने ख़ुद को लिंक्डइन पर बीजेपी का सोशल मीडिया मैनेजर बताया था। जानी ने यह भी बताया था कि प्रधानमंत्री ट्विटर पर उनको फॉलो करते हैं। इसके साथ ही जानी ने तब ख़ुद को सिल्वर टच टेक्नॉलजी में दिसंबर 2016 से ही सोशल मीडिया मैनेजर भी बताया था। 

एनडीटी की रिपोर्ट के अनुसार सिल्वर टच के पोर्टफ़ोलियो में 46 सरकारी वेबसाइटों का ज़िक्र किया गया है और इसमें राष्ट्रपति, विदेश मंत्रालय जैसे विभागों के लिए ऐप विकसित करने का दावा किया गया है। 

ऑल्ट न्यूज़ ने हिमाँशु जैन नाम के एक व्यक्ति के हवाले से भी 'द इंडिया आई', सिल्वर टच और बीजेपी के बीच जुड़ाव को बताया है। हिमाँशु जैन सिल्वर टच के पूर्णकालिक निदेशक हैं। 'द इंडिया आई' वेबसाइट का डोमेन नेम भी हिमाँशु जैन के नाम से 24 जून 2016 को दर्ज किया गया। उसी दिन 'चेंजिंग इंडिया' नाम के फ़ेसबुक पेज को 'द इंडिया आई' कर दिया गया। वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार हिमाँशु जैन का फ़ेसबुक पेज 'द इंडिया आई' पेज से जुड़ा हुआ दिखा था। इसके अलावा 'द इंडिया आई' फ़ेसबुक पेज पर दर्ज फ़ोन नंबर से ही 'HeMan NAMO' नाम का एक ट्विटर हैंडल था।

कांग्रेस ने क्या दी प्रतिक्रिया

इस पर कांग्रेस की ओर से प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, 'जो न्यूज़ रिपोर्टें आ रही हैं, हम उस पर प्रतिक्रिया देना नहीं चाहते। हमें इसकी जाँच करनी होगी कि क्या वे फ़ेसबुक पेज हमसे लिंक्ड थे और इसके बाद ही हम कोई टिप्पणी करेंगे।' हालाँकि इससे पहले फ़ेसबुक में साइबर सुरक्षा के प्रमुख नैथेनियल ग्लेइशर ने हटाये गये कांग्रेस से जुड़े 687 पेजों पर कहा कि ये सभी पेज भारत में ‘आपसी तालमेल से प्रमाणहीन व्यवहार करते पाए गए’ और ये सभी कांग्रेस के आईटी सेल से जुड़े व्यक्तियों के खाते हैं। इन्हें हटाने का कारण यह है कि इसमें फ़र्ज़ी अकाउंट के नेटवर्क के माध्यम से तालमेल कर के प्रमाणहीन व्यवहार किया जा रहा था। उन्होंने साफ़ किया कि इन पेजों और खातों को इनकी सामग्री की वजह से नहीं हटाया गया है।

बता दें कि चुनाव से पहले वोटरों को ठगने का सोशल मीडिया पर प्रोपगेंडा चल रहा है और इसकी पुष्टि फ़ेसबुक ने ही की है। फ़ेसबुक का कहना है कि इन पेजों पर चलाई जा रहीं गतिविधियाँ अप्रमाणिक पायी गई हैं। देश में फ़ेसबुक की ओर से किसी मुख्य राजनीतिक पार्टी से जुड़े पन्नों पर ऐसी कार्रवाई पहले शायद ही कभी की गयी हो।

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