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अडानी ग्रुप पर आरोपों की आरबीआई, सेबी जाँच करे: कांग्रेस

अडानी ग्रुप पर आरोपों की आरबीआई, सेबी जाँच करे: कांग्रेस

क्या अडानी ग्रुप की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं? हिंडनबर्ग की रिसर्च के बाद आख़िर अडानी ग्रुप बैकफुट पर क्यों है? जानिए कांग्रेस ने अब क्या मांग की है।

कांग्रेस ने शुक्रवार को अडानी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट के बाद भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी की जाँच की मांग की है। कांग्रेस ने कहा है कि इस मामले की 'गंभीर जांच' होनी चाहिए। हिंडनबर्ग रिसर्च ने उद्योगपति गौतम अडानी की कंपनियों पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। हालाँकि अडानी ने इन आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि यह उसको बदनाम करने के लिए किया गया है। इसने क़ानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।

बहरहाल इन्हीं आरोपों के बीच कांग्रेस ने ट्वीट कर इस मामले की जाँच की मांग की है।

कांग्रेस ने कहा है कि एक राजनीतिक दल को आम तौर पर एक हेज फंड द्वारा तैयार की गई एक व्यक्तिगत कंपनी या व्यावसायिक समूह पर एक शोध रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, लेकिन हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के फोरेंसिक विश्लेषण पर कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया की ज़रूरत है। उन्होंने कहा है कि ऐसा इसलिए भी है क्योंकि अडानी समूह कोई सामान्य समूह नहीं है, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तब से जुड़ा हुआ है जब वह मुख्यमंत्री थे।

कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने बयान में कहा कि इसके अलावा भारतीय जीवन बीमा कंपनी और भारतीय स्टेट बैंक जैसे वित्तीय संस्थानों के अडानी समूह से जुड़ाव का वित्तीय स्थिरता और उन करोड़ों भारतीयों के लिए निहितार्थ है।

बता दें कि दो दिन पहले ही अमेरिका की जानी-मानी निवेश शोध फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर स्टॉक बाज़ार में हेरफेर करने का एक सनसनीखेज आरोप लगाया। इसने कहा कि अडानी समूह एक स्टॉक में खुलेआम हेरफेर करने और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल था। हिंडनबर्ग अमेरिका आधारित निवेश रिसर्च फर्म है जो एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलिंग में एकस्पर्ट है। रिसर्च फर्म ने कहा कि उसकी दो साल की जांच में पता चला है कि “अडानी समूह दशकों से 17.8 ट्रिलियन (218 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के स्टॉक के हेरफेर और अकाउंटिंग की धोखाधड़ी में शामिल था।

यह रिपोर्ट अडानी समूह के प्रमुख अडानी एंटरप्राइजेज की 20,000 करोड़ रुपये की फॉलो-ऑन शेयर बिक्री से पहले आई है। समूह फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) 27 जनवरी से शुरू होगा और 31 जनवरी को बंद होगा। अडानी समूह इस रिपोर्ट के बाहर आने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इन आरोपों की तथ्यात्मक जांच के लिए समूह से संपर्क किए बिना ही इस रिपोर्ट के बाहर आने से वह हैरान है।

हिंडनबर्ग रिसर्च के इस आरोप पर अदानी समूह ने कहा है कि दुर्भावनापूर्ण, निराधार, एकतरफा और उनके शेयर बिक्री को बर्बाद करने के इरादे ऐसा आरोप लगाया गया है।

इसने कहा है कि अडानी समूह आईपीओ की तरह ही फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफ़र यानी एफ़पीओ ला रहा है और इस वजह से एक साज़िश के तहत कंपनी को बदनाम किया जा रहा है।

इन आरोपों के बीच ही कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड जैसे संस्थानों द्वारा आरोपों की गंभीर जाँच की ज़रूरत है जो भारतीय वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार हैं।

उन्होंने कहा कि 1991 के सुधारों के बाद से भारत के वित्तीय बाजारों के विकास और आधुनिकीकरण का लक्ष्य है पारदर्शिता में सुधार और घरेलू व विदेशी निवेशकों के लिए बराबर मौक़ा उपलब्ध कराना।

इसका ज़िक्र करते हुए कहा कि काले धन के बारे में अपने तमाम दिखावों के बावजूद क्या मोदी सरकार ने अपने पसंदीदा कारोबारी समूह की अवैध गतिविधियों पर आंखें मूंद ली हैं? उन्होंने पूछा कि क्या सेबी इन आरोपों की पूरी जांच करेगा न कि सिर्फ नाम के लिए?

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