+
ऊहापोह में कांग्रेस : हिन्दुत्व के मुद्दे को जोरों से उठाए या नहीं

ऊहापोह में कांग्रेस : हिन्दुत्व के मुद्दे को जोरों से उठाए या नहीं

कांग्रेस पार्टी हिन्दुत्व के मुद्दे को आक्रामक ढंग से उठा कर बीजेपी पर हमलावर हो या  नहीं, इस पर पार्टी में बहस चल रही है। दो खेमे साफ दिख रहे हैं। क्या है अंदर की कहानी?

कांग्रेस पार्टी के अंदर हिन्दुत्व को लेकर वैचारिक व बौद्धिक बहस छिड़ी हुई है।

 राहुल गांधी, सलमान खुर्शीद, व शशि थरूर जैसे नेता हिन्दुत्व के मुद्दे को उठा कर बीजेपी पर हमला करने की नीति अपनाना चाहते हैं और लोगों को बताना चाहते हैं कि किस तरह राजनीतिक हिन्दुत्व व हिन्दू राष्ट्रवाद मूल हिन्दू धर्म से अलग है।

वहीं, मनीष तिवारी और ग़ुलाम नबी आजाद जैसे लोगों का एक धड़ा है जो यह मान कर चलता  है कि ऐसा कर पार्टी बीजेपी के जाल में फँस जाएगी, लिहाज़ा, उसे अपने मौलिक मूल्यों की बात करनी चाहिए बीजेपी को आर्थिक व सामाजिक मुद्दों पर घेरना चाहिए। 

कांग्रेस का यह अंतरद्वंद्व बीच बीच में खुल कर सामने आ जाता है। अगले साल पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले इस मुद्दे पर पार्टी के अंदर चल रही बहस पहले से तेज़ हो गई है। 

अकादमिक बहस

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पुस्तक 'प्राइड, प्रेज्युडिश एंड पंडितरी' के विमोचन समारोह में बुधवार को मनीष तिवारी ने कहा कि यह एक अकादमिक बहस है और इसमें पड़ने के बजाय पार्टी को आज के मुद्दे उठाने चाहिए और कांग्रेस के मूल्यों और बुनियादी विचारों को मजबूत करना चाहिए। 

तिवारी ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि

जब कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता के नेहरूवादी मॉडल से भटक गई, धर्म और राज्य के बँटवारे के रूप में इसकी व्याख्या की गई और सर्वधर्म समभाव की बात कही गई, तो ढलान पर फिसलने लगी और यह फिसलन आज भी नहीं रुकी है।


मनीष तिवारी, नेता, कांग्रेस

बीजेपी का जाल?

तिवारी ने बाद में 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, "जब आप हिन्दू धर्म व हिन्दुत्व के अकादमिक बहस में पड़ते हैं और राजनीतिक मक़सद से यह भेद करते हैं तो किसी दूसरे के मैदान पर खेल रहे होते हैं।"

उन्होंने कहा,

यदि बहस होती है तो इस पर होनी चाहिए कि कांग्रेस के बुनियादी सिद्धान्तों व मूल्यों को कैसे मजबूत किया जाए। यदि कांग्रेस अपने बुनियादी मूल्यों को छोड़ देती है तो नहीं भूलना चाहिए कि लोग कृत्रिम पर असली चीज को तरजीह देते हैं।


मनीष तिवारी, नेता, कांग्रेस

कांग्रेस के मूल्य

उन्होंने कहा कि "रक्त रंजित विभाजन के दिनों में भयावह त्रासदी और विनाश के बीच भी कांग्रेस अपनी धर्मनिरपेक्षता से विचलित नहीं हुई थी।" उन्होंने ज़ोर देकर कहा, "कांग्रेस के बुनियादी मूल्य उदारवाद, बहुलतावाद और प्रगतिवाद को छोड़ कर और कुछ हो ही नहीं सकते हैं। इसलिए बहुसंख्यकवादी या अल्पसंख्यकवादी विचारधारा कांग्रेस के मूल्यों के बाहर की चीज है।"

शशि थरूर ने राजनीतिक हिंदुत्व व हिन्दुत्ववादी विचारधारा पर खुल कर चोट करते हुए कहा कि हिन्दुत्ववाद सबसे ज़्यादा अ-हिन्दू विचार है। यह विडंबना है कि ऐसे लोग हिन्दुत्व का मतलब हिन्दू होना बताते हैं।

थरूर का हमला

इस लेखक ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि "हिन्दुत्व की बात करने वालों ने वेद, वेदांत और उपनिषद के ऊँचे आदर्शों को ऐसा बना दिया है जैसा ब्रिटिश फ़ुटबॉल टीमों के गुंडे समर्थक होते हैं, जो यह कहते हैं कि यह हमारी टीम है और यदि तुमने इसका समर्थन नहीं किया तो मैं तुम्हारा सिर तोड़ दूँगा।"

कांग्रेस पार्टी का यह अंतरद्वंद्व बिल्कुल शीर्ष पर भी है। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हिन्दुत्व के मुद्दे पर बीजेपी पर हमलावर हैं और वे कई बार खुले आम इस मुद्दे पर भगवा पार्टी को निशाने पर ले चुके हैं।

क्या कहना है राहुल का?

राहुल ने बीते दिनों महाराष्ट्र के वर्धा में हुए एक कार्यक्रम में कहा था, 'आख़िर हिदू धर्म और हिंदुत्व में क्या अंतर है? क्या वे एक ही हैं? अगर दोनों एक ही चीज हैं, तो उनके नाम भी एक ही क्यों नहीं हैं? दोनों नाम अलग क्यों हैं? हम हिंदू क्यों इस्तेमाल करते हैं, आख़िर सिर्फ़ हिंदुत्व क्यों नहीं? जाहिर तौर पर दोनों अलग-अलग चीजें हैं।'

उन्होंने इसके आगे कहा था, 'और ये ऐसी चीजें हैं जिन्हें हमें तलाशना और समझना शुरू करना है, और लोगों के एक समूह को बढ़ाना है... जो इन मतभेदों को गहराई से समझते हैं, जो इन मतभेदों को मुद्दों, व्यवहारों, कार्यों पर लागू कर सकते हैं।' 

 - Satya Hindi

राहुल ने सवाल किया, "क्या हिंदू धर्म सिख या मुसलमान को पीटने के बारे में है? जबकि हिंदुत्व बेशक यही है। लेकिन क्या हिंदू धर्म अखलाक को मारने के बारे में है?"

कांग्रेस के इस पूर्व अध्यक्ष ने बीजेपी और आरएसएस पर भी निशाना साधा और कहा था, 

हमें चाहे यह पसंद हो या नहीं, लेकिन बीजेपी-आरएसएस की नफ़रत वाली विचारधारा कांग्रेस की प्यार और राष्ट्रवाद वाली विचारधारा पर भारी पड़ी है, हमें यह मानना होगा।


राहुल गांधी, नेता, कांग्रेस

उन्होंने आगे कहा था कि "हमारी विचारधारा अभी भी ज़िंदा है और जीवंत है, लेकिन इसका प्रभाव ज़रूर कुछ कम हुआ है।" उन्होंने कहा कि "इसका प्रभाव कम इसीलिए हुआ है, क्योंकि हम इसका अपने ही लोगों के बीच ठीक से प्रसार नहीं कर पाए।" 

यह साफ है कि राहुल की यह बात मनीष तिवारी की बात से बिल्कुल अलग है और दोनों के बीच के द्वंद्व को साफ देखा जा सकता है। 

मनीष तिवारी का मानना है कि नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता से भटकने की वजह से कांग्रेस का पतन शुरू हुआ, वहीं राहुल का मानना है कि बीजीपी-आरएसएस की हिन्दुत्व की विचारधारा कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता की विचारधार पर भारी पड़ी है और इस कारण कांग्रेस पिछड़ रही है।

सनराइज़ ओवर अयोध्या

कांग्रेस के इस अंतरद्वंद्व व वैचारिक ऊहापोह के बीच ही पूर्व विदेश राज्य मंत्री सलमान खुर्शीद की किताब 'सनराइज़ ओवर अयोध्या : नेशनहुड इन आवर टाइम्स' आई है, जिससे यह द्वंद्व पहले से अधिक तीखा व गहरा हुआ है। 

इस पुस्तक में कांग्रेस के इस नेता ने हिन्दुत्व को इसलामी जिहाद की तरह बताया है और उसकी तुलना इसलामिक स्टेट व तालिबान से की है। बाद में सलमान खुर्शीद के नैनीताल स्थित घर पर तोड़फोड़ व आगजनी हुई तो उन्होंने सवाल किया, "क्या मैं अब भी ग़लत हूँ कि यह हिन्दू धर्म नहीं है?"

क्या कहा आज़ाद ने?

पूर्व केंद्रीय मंत्री ग़ुलाम नबी आज़ाद ने हिन्दुत्व की तुलना इसलामिक स्टेट से किए जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा, "हम एक राजनीतिक सिद्धान्त के रूप में हिन्दुत्व से असहमत हो सकते हैं, लेकिन आईएसआईएस या जिहादी इसलाम से इसकी तुलना करना तथ्यात्मक रूप से ग़लत है और चीजों को बढ़ा चढ़ा कर कहने के समान है।"

चिदंबरम, दिग्विजय सिंह

जिस कार्यक्रम में ख़ुर्शीद की किताब का लोकार्पण हुआ था, उसमें कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और दिग्विजय सिंह भी शामिल थे। चिदंबरम ने अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर कहा कि जिस तरह जेसिका लाल को किसी ने नहीं मारा, ठीक उसी तरह बाबरी मसजिद को भी किसी ने नहीं तोड़ा।

बता दें कि जेसिका लाल की 30 अप्रैल, 1999 को पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा ने गोली मारकर हत्या कर दी थी जबकि 6 दिसंबर, 1992 को उन्मादियों की भीड़ ने बाबरी मसजिद को ढहा दिया था। 

दिग्विजय सिंह ने कहा कि हिंदुत्व का हिंदू धर्म और सनातनी परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं है और यह मूल सनातनी परंपराओं के ठीक उलट है। 

यानी दिग्विजय सिंह और पी. चिदंबरम भी हिन्दुत्व के मुद्दे पर मुखर और हमलावर हैं। 

मनीष तिवारी यह भी कहते हैं कि किसी भी पार्टी के अंदर बौद्धिक व वैचारिक बहस होनी चाहिए, यह स्वस्थ परंपरा है और ज़रूरी भी है, पर कांग्रेस को हिन्दुत्व की बहस में पड़ने के बजाय आज के दूसरे मुद्दों को उठाना चाहिए। 

इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का क्या  कहना है, यहाँ देखें। 

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें