कांग्रेस ने सहयोगी दलों को दीं 101 सीटें, जानें कितने पर हैं इसके उम्मीदवार
कांग्रेस इस बार सिर्फ़ 328 लोकसभा सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। इतनी कम संख्या में सीटों पर इससे पहले इसने कभी चुनाव नहीं लड़ा था। हालाँकि, इसने 330 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सूरत और इंदौर सीट पर आख़िरी क्षण में इसके उम्मीदवारों के पाला बदलने व चुनाव से हटने से दो सीटें कम हो गईं। तो सवाल है कि आख़िर इस बार इसकी क्या मजबूरी हो गई कि वह पहली बार 400 से कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है?
इस सवाल का जवाब है इंडिया गठबंधन। बीजेपी और पीएम मोदी के चुनावी जीत के रथ को रोकने के लिए विपक्षी पार्टियों ने गठबंधन बनाया और कांग्रेस पार्टी ने अपने सहयोगी दलों के लिए 101 सीटें छोड़ दीं। इसी वजह से कांग्रेस 2019 के चुनाव के मुक़ाबले इस बार 93 कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इस बार पार्टी ने देश भर के कुल 12 राज्यों में 2019 की तुलना में कम सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
इस बार जिन राज्यों में कांग्रेस ने अपने सहयोगियों के लिए सबसे ज़्यादा सीटें छोड़ी हैं उनमें उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्य हैं। द इंडियन एक्सप्रेस ने इस पर एक रिपोर्ट छापी है। इसमें कहा गया है कि कांग्रेस की सबसे ज़्यादा कमी उत्तर प्रदेश में हुई है। यहाँ 2019 में पार्टी ने राज्य की 80 सीटों में से 67 सीटों पर चुनाव लड़ा था और केवल एक सीट रायबरेली में सोनिया गांधी जीती थीं। इस बार इसका समाजवादी पार्टी से गठबंधन है और इसलिए कांग्रेस 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी सबसे बड़ी गिरावट पश्चिम बंगाल में है। कांग्रेस ने 2019 में 42 में से 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार पार्टी ने वाम दलों के साथ समझौते तहत सिर्फ 14 सीटों पर ही उम्मीदवार उतारे हैं।
महाराष्ट्र में कांग्रेस ने 2019 का चुनाव एनसीपी के साथ गठबंधन में लड़ा था। लेकिन शिवसेना (यूबीटी) के साथ भी गठबंधन होने के कारण पिछली बार की 25 सीटों की तुलना में कांग्रेस इस बार 17 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है।
दिल्ली में आप के साथ गठबंधन होने की वजह से पिछली बार की 7 की तुलना में इस बार कांग्रेस पार्टी ने 3 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं।
आप के साथ गठबंधन के कारण पार्टी को हरियाणा में एक और गुजरात में दो सीटें दी गईं। अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार आंध्र प्रदेश में उसने सीपीएम और सीपीआई को दो सीटें दी हैं। असम में एक सीट स्थानीय पार्टी असम जातीय परिषद को दी गई।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने खजुराहो सीट समाजवादी पार्टी को दे दी, लेकिन सपा उम्मीदवार का नामांकन खारिज कर दिया गया। राजस्थान में पार्टी ने सहयोगियों को तीन सीटें- सीकर से सीपीएम को, नागौर से हनुमान बेनीवाल की आरएलपी को और बांसवाड़ा से भारत आदिवासी पार्टी को दीं।
त्रिपुरा में उसने त्रिपुरा पूर्व सीट सहयोगी सीपीएम को दे दी है। जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस ने 2019 में पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस बार वह लद्दाख सीट समेत तीन सीटों पर मैदान में है।
कर्नाटक, ओडिशा में सीटें बढ़ीं
कांग्रेस सिर्फ कर्नाटक और ओडिशा में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है। कर्नाटक में पार्टी 2019 की 21 सीटों की तुलना में इस बार सभी 28 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। पिछली बार इसने तत्कालीन सहयोगी जद (एस) के लिए बाकी सीटें छोड़ी थीं। ओडिशा में पार्टी 2019 की 18 सीटों की तुलना में इस बार 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
बता दें कि 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 417 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इसने 2009 में 440, 2014 में 464 और 2019 में 421 सीटों पर चुनाव लड़ा।