कांग्रेस चिंतन शिविर: SC, ST, OBC व अल्पसंख्यकों को आरक्षण देगी पार्टी?
लगातार मिल रही चुनावी हार से परेशान कांग्रेस उदयपुर में होने वाले चिंतन शिविर को लेकर तैयारियों में जुटी है। उदयपुर में चिंतन शिविर 13 मई से शुरू होकर 15 मई तक चलेगा और इसमें देश भर की कांग्रेस कमेटियों से जुड़े 400 नेता शामिल होंगे। इससे पहले 9 मई को दिल्ली में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक भी बुलाई गई है। इस बैठक में चिंतन शिविर से जुड़ी तैयारियों का जायजा लिया जाएगा।
सबसे अहम बात जो इस चिंतन शिविर को लेकर सामने आई है वह यह कि इस शिविर में कांग्रेस में ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यकों को पार्टी में 50 फीसद आरक्षण दिए जाने का प्रस्ताव आ सकता है।
खबरों के मुताबिक, पार्टी के कई नेता चिंतन शिविर में ऐसे प्रस्ताव को लाने की तैयारी में जुटे हैं।
देश में लंबे वक्त तक राज करने वाली कांग्रेस अब सिर्फ 2 राज्यों में सिमट कर रह गई है। इनमें से एक राज्य राजस्थान में यह चिंतन शिविर आयोजित होने जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शिविर के लिए 6 कमेटियां बनाई हैं और इनकी जिम्मेदारी तमाम बड़े और वरिष्ठ नेताओं को सौंपी गई है। इनमें से एक कमेटी सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण की भी है।
इस कमेटी के संयोजक पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद हैं और कमेटी में दिग्विजय सिंह, मीरा कुमार, कुमारी शैलजा, तुकी नबाम, नारायण राठवा, एंटो एंटनी और के. राजू जैसे कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। इस कमेटी से जुड़ी उप कमेटियों में कांग्रेस एससी-एसटी विभाग के अध्यक्ष राजेश लिलोठिया, ओबीसी विभाग के अध्यक्ष कैप्टन अजय यादव और अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी शामिल हैं।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इस कमेटी ने ओबीसी, एससी, एसटी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से बड़े पैमाने पर बात की है और इस बातचीत के बाद इन तबकों के लिए 50 फीसद आरक्षण मांगे जाने का प्रस्ताव लाने पर बात बनी है।
यह कहा गया है कि जिस तरह संविधान में 50 फीसद आरक्षण दिया गया है उसी तर्ज पर पार्टी संगठन में भी 50 फीसद आरक्षण इन तबकों को दिया जाना चाहिए। हालांकि अभी कोई नेता इस बारे में खुलकर नहीं बोलना चाहता क्योंकि उन्हें इसे लेकर विवाद होने का डर है।
एएनआई के मुताबिक, इन नेताओं की ओर से इस संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा और इसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा जाएगा। इस काम में जुटे पार्टी नेताओं को भरोसा है कि अगर पार्टी में इस प्रस्ताव का विरोध भी होता है तो भी वह इस मांग को जोर-शोर से रखेंगे और इसे पास करने की मांग करेंगे।
इन नेताओं का तर्क है कि अगर पार्टी को बहुजन समाज के वोट चाहिए तो उन्हें उसी आधार पर संगठन में भी जिम्मेदारी देनी होगी।
कांग्रेस में एक लंबे वक्त तक ब्राह्मण नेताओं का दबदबा रहा है हालांकि दलित और मुसलमान भी पार्टी के साथ बहुत मजबूती के साथ खड़े रहे हैं। इस वजह से ही पार्टी केंद्र की हुकूमत में और राज्यों में भी लंबे वक्त तक सत्ता में रही। लेकिन अब जब पार्टी बेहद खराब दौर से गुजर रही है तो कुछ नेताओं को ऐसा लग रहा है कि ऐसे किसी प्रस्ताव को लाया जाना जरूरी है।
देखना होगा कि क्या ये नेता चिंतिन शिविर में ऐसा प्रस्ताव रखेंगे और रखेंगे तो कांग्रेस नेतृत्व इस पर क्या फ़ैसला लेता है।