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बालाकोट हमले के बाद क्या यूपी में कांग्रेस की रणनीति बदल गई? 

बालाकोट हमले के बाद क्या यूपी में कांग्रेस की रणनीति बदल गई? 

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद की परिस्थितियों ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है। कांग्रेस बीजेपी विरोधी मतों का बँटवारा रोकेगी और सपा-बसपा गठबंधन के रास्ते में रोड़े नहीं अटकाएगी।

पुलवामा हमले और बालाकोट में हवाई हमले के बाद की परिस्थितियों ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में अपनी रणनीति बदलने को मजबूर कर दिया है। कांग्रेस फ़िलहाल उत्तर प्रदेश में बीजेपी विरोधी मतों का बँटवारा रोकने की नीति पर चलेगी और गठबंधन के रास्ते में रोड़े नहीं अटकाएगी। इसी के तहत सपा से अलग होकर नयी पार्टी बना चुके शिवपाल यादव के साथ कांग्रेस के तालमेल की कवायद पर लगाम लग गई है। नये हालात में कांग्रेस को भी गठबंधन में एक बार फिर लाने की कोशिशें हुईं पर बात परवान नहीं चढ़ सकी। फ़िलहाल कांग्रेस ने अखिलेश यादव को और ज़्यादा नाराज़ न करते हुए शिवपाल से सीटों का समझौता करने की अपनी योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

सपा-बसपा गठबंधन के रास्ते बंद

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सीमा पार हवाई हमले के बाद बीजेपी के गिरते ग्राफ़ को थमता देख एक बार फिर से सपा-बसपा गठबंधन में शामिल होने की बात को आगे बढ़ाया गया। हालाँकि बीते एक महीने में कांग्रेस अपनी उत्तर प्रदेश की योजना पर इतना आगे बढ़ चुकी थी कि उसके लिए वापस लौट कम सीटों पर समझौता कर पाना संभव नहीं रह गया। 

कांग्रेस के महागठबंधन में आठ से नौ सीटें देने पर बात शुरू हुई पर कांग्रेस इसकी दोगुनी से कम सीटों पर तैयार नहीं। इधर कांग्रेस ने अन्य दलों के कई नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ाने के वादे के साथ शामिल भी कराया है। उसके चलते भी यह संभव नहीं हो पा रहा है।

क्या गठबंधन को नुक़सान पहुँचाएगी कांग्रेस

कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश में प्रत्याशियों व सीटों का चयन इस तरह करेगी कि गठबंधन के जीतने की संभावनाएँ कमज़ोर न हों। इसके लिए कांग्रेस सपा-बसपा गठबंधन के जिताऊ प्रत्याशियों की राह में रोड़े नहीं अटकाएगी। बदले में कांग्रेस के जिताऊ प्रत्याशियों की राह भी आसान करने पर गठबंधन मान सकता है। 

  • कांग्रेस नेताओं के मुताबिक़ प्रियंका व राहुल गाँधी ने अपने विश्वस्त लोगों से यूपी में 20-25 ऐसी सीटों की पहचान करने को कहा है जहाँ पूरा ज़ोर लगाया जाए और बाक़ी की सीटों पर गठबंधन को रोकने के लिए प्रयास न किया जाए बल्कि बीजेपी को नुक़सान पहुँचाने के लिए काम किया जाए।

अखिलेश की नाराज़गी से कांग्रेस चिंतित क्यों

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने अपने पहले यूपी प्रवास में ख़ुद शिवपाल को फ़ोन कर हालचाल लेने के बहाने सीटों के तालमेल की बातचीत को आगे बढ़ाया था। कांग्रेस शिवपाल की नयी पार्टी प्रगतिशील लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी को प्रदेश में 25 लोकसभा सीटें देने को भी तैयार थी। साथ ही कुछ अन्य छोटे दलों को भी साथ लेने की बात हो गयी थी। शिवपाल से बातचीत करने पर अखिलेश के कड़े रुख़ को देखते हुए कांग्रेस ने अपने पैर वापस खींच लिए हैं। 

अखिलेश का कहना है शिवपाल बीजेपी के इशारे पर यादव बेल्ट में सपा को कमज़ोर करने के लिए प्रत्याशी उतारना चाहते हैं। कांग्रेस का साथ मिल जाने के बाद वह गठबंधन को नुक़सान और बीजेपी को फ़ायदा पहुँचाएँगे।

अनुप्रिया से बातचीत आगे बढ़ रही है

अपना दल में एक और फाड़ करवाकर कुर्मी एकता को कमज़ोर करने की बीजेपी की मुहिम ने अनुप्रिया और कांग्रेस को और क़रीब ला दिया है। दरअसल, बीजेपी ने अपने पाले में ही खड़े अपना दल सांसद हरिवंश सिंह को आगे कर अनुप्रिया की पार्टी को दो हिस्सों में तोड़ दिया है। नयी पार्टी अखिल भारतीय अपना दल बनाते ही हरिवंश ने बीजेपी के साथ जाने का भी एलान किया। इससे माँ बेटी के झगड़े में अपना दल दो हिस्सों में बँट चुका था। इधर, अनुप्रिया के प्रियंका से बातचीत की ख़बरों के सामने आने के बाद बीजेपी ने उसे एक और झटका दिया। बीजेपी नेताओं का कहना है कि अब चाहे जो भी हो, कम से कम अपना दल के तीन हिस्सों में दो उसके साथ रहेंगे। पार्टी में और टूट से अनुप्रिया की सौदेबाज़ी की ताक़त भी घटी है।

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