कांग्रेस एग्जिट पोल बहस का बहिष्कार करेगी, भाजपा परेशान क्यों?
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शुक्रवार शाम को एक्स पर एग्जिट पोल बहस के बहिष्कार की घोषणा की। खेड़ा ने एक्स पर लिखा: “मतदाताओं ने अपना वोट डाल दिया है और उनका फैसला सुरक्षित हो गया है। नतीजे 4 जून को आएंगे. उससे पहले, हमें टीआरपी के लिए अटकलों और खींचतान में शामिल होने का कोई कारण नहीं दिखता। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ExitPolls पर बहस में भाग नहीं लेगी। किसी भी बहस का उद्देश्य लोगों को जानकारी देना होना चाहिए. हम 4 जून से खुशी-खुशी बहस में हिस्सा लेंगे।' यानी कांग्रेस का कहना है कि एग्जिट पोल की बहस का मकसद चैनलों की टीआरपी बढ़ाना है। इसलिए राजनीतिक दलों की खींचतान में कांग्रेस शामिल नहीं होना चाहती।
Our statement on the reason for not participating in #ExitPolls
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) May 31, 2024
Voters have cast their votes and their verdict has been secured.
The results will be out on 4th June. Prior to that, we do not see any reason to indulge in speculation and slugfest for TRP.
The Indian National…
कांग्रेस के इस बयान पर सबसे ज्यादा परेशान भाजपा है। क्योंकि 2014 और 2019 के एग्जिट पोल में टीवी चैनलों ने एकतरफा भाजपा को जिताने का काम किया। जबकि नतीजे आने के बाद कई एग्जिट पोल गलत भी साबित हुए। लेकिन उन चैनलों ने आजतक माफी नहीं मांगी। पिछले दो आम चुनाव के एग्जिट पोल में बहस के जरिए कांग्रेस को निशाना बनाया गया। टीवी चैनलों ने सत्ता पक्ष से सवाल करने की बजाय कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों को इस तरह घेरा, मानों वो खलनायक हों। मीडिया के एक बड़े वर्ग का वही नजरिया आज भी है। इसलिए कांग्रेस ने दूरी बना ली है।
पवन खेड़ा का बयान आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उसका जवाब दिया- “यह कोई नई बात नहीं है कि कांग्रेस कल (शनिवार) एग्जिट पोल पर चर्चा का बहिष्कार करेगी। कांग्रेस काफी समय से इनकार की मुद्रा में है। वे पूरे चुनाव में दावा करते रहे कि उन्हें बहुमत मिल रहा है। अब उन्हें भी पता है कि एग्जिट पोल में उनकी बुरी हार होने वाली है, इसीलिए वे एग्जिट पोल की पूरी कवायद को खारिज कर रहे हैं।
अमित शाह ने एक्स पर जवाब देते हुए लिखा है- 'एग्जिट पोल काफी समय से होते आ रहे हैं, लेकिन इस बार वे इसका बहिष्कार कर रहे हैं क्योंकि वे अपनी हार का कारण नहीं बता पा रहे हैं। और, वैसे भी, जब से राहुल गांधी कांग्रेस के कोर (कोर ग्रुप) में आए हैं, पार्टी इनकार मोड में जी रही है। वे सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हैं. वे ईवीएम पर सवाल उठाते हैं। वे संसद में बहस करने के बजाय वहां से भाग जाते हैं। वे संवैधानिक पदों का मजाक उड़ाते हैं और एजेंसियों पर भी सवाल उठाते हैं। मुझे लगता है कि राहुल गांधी के कोर ग्रुप में आने के बाद, चाहे कोई भी संस्था हो..., कांग्रेस इनकार की मुद्रा में है। यही कारण है कि वे एग्जिट पोल का बहिष्कार कर रहे हैं। मैं कांग्रेस नेताओं से कहना चाहता हूं- शुतुरमुर्ग होने से कोई मदद नहीं मिलेगी। हार का सामना साहस से करें, आत्ममंथन करें और आगे बढ़ें। भाजपा भी कई चुनाव हारी, लेकिन हमने कभी मीडिया और एग्जिट पोल का बहिष्कार नहीं किया।'
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हमला करने से पीछे नहीं रहे। नड्डा ने एक्स पर लिखा- “सातवें चरण के मतदान की पूर्व संध्या पर एग्जिट पोल में भाग नहीं लेने का कांग्रेस का निर्णय, इस बात की पुष्टि करता है कि कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनावों को स्वीकार कर लिया है। यह आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि कांग्रेस आम तौर पर उस समय चुनाव से बाहर हो जाती है जब उसे नतीजे अपने पक्ष में आने की उम्मीद नहीं होती है। उनका पाखंड किसी को भी हजम नहीं होता।
नड्डा ने लिखा है- सातवें चरण में किसी को भी उन पर अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहिए...लेकिन इससे भी अधिक चिंताजनक बात दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति कांग्रेस की नापसंदगी है, जिसमें 960 मिलियन से अधिक आकांक्षाओं की भागीदारी देखी गई। जब भारतीय अपने नेता का चुनाव कर रहे हैं, जो नई विश्व व्यवस्था में उनका नेतृत्व करेंगे, उनके जीवन में सुधार करेंगे, अवसर और समृद्धि लाएंगे, कांग्रेस उस संस्थागत प्रक्रिया को कमजोर करने के लिए पूरी मेहनत से काम कर रही है, जिस पर हमारे मजबूत लोकतंत्र की नींव टिकी हुई है।
भाजपा के इन दो बड़े नेताओं के बयान से उसकी परेशानी झलक रही है। क्योंकि इससे पहले आरोप लगते रहे हैं कि एग्जिट पोल के जरिए लीड और सीटों की संख्या बढ़ाकर जो माहौल बना दिया जाता है, जनता अगले दिन उन नतीजों को आसानी से स्वीकार कर लेती है। लेकिन चुनाव आयोग जिस तरह से सत्ता पक्ष के साथ खड़ा हो जाता है या विवादास्पद निर्णय लेता है, उससे लोगों का शक बढ़ जाता है। ईवीएम पर पहले से ही विवाद है। चुनाव आयोग ईवीएम को लेकर तमाम जन संगठनों और राजनीतिक दलों के रडार पर है। अब जब इस बार कांग्रेस बहस में शामिल नहीं होगी तो जनता के बीच यही संदेश जाने वाला है कि टीवी चैनल अपने मन से एग्जिट पोल तैयार करते हैं और भाजपा को जिता देते हैं। अगर एग्जिट पोल इतने सटीक होते तो सभी को एक जैसा होना चाहिए लेकिन उनमें 19-20 का भी फर्क नहीं होता। ऐसे में उन पर यकीन करना मुश्किल है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वकील विवेक तन्खा ने शनिवार को कहा- मैं एग्जिट पोल डिबेट के बहिष्कार के कांग्रेस के फैसले का पूरी तरह से समर्थन करता हूं। यह महज़ एक काल्पनिक अभ्यास है। हर कोई दावा करता है कि हम जीत रहे हैं। विश्लेषण का काम विशेषज्ञों और मीडिया प्रतिनिधि पर छोड़ दें। देश को पता चल जाएगा कि कौन भगवान है और कौन असली है।