भाजपा व कांग्रेस के हर 4 में से 1 लोकसभा उम्मीदवार 'परिवारवादी': रिपोर्ट
एक गैर-लाभकारी संस्था प्रजातंत्र फाउंडेशन के हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के हर चार उम्मीदवारों में से एक उम्मीदवार अपनी पारिवारिक विरासत के कारण राजनीति में आया है। यानी ऐसे उम्मीदवारों के पहले उनके परिवार के लोग राजनीति में रहे हैं और टिकट मिलने में कहीं न कहीं परिवार के राजनीति में होने का फायदा मिला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों पार्टियों ने मिलकर 768 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिनमें से 209 की राजनीतिक विरासत रही है। द प्रिंट ने प्रजातंत्र फाउंडेशन के अध्ययन पर रिपोर्ट दी है। हालाँकि, संस्था के इस विश्लेषण को अभी तक जारी नहीं किया गया है और इसको चुनाव नतीजों के बाद जारी किया जाना है।
प्रजातंत्र फाउंडेशन के अनुसार राजनीति में पारिवारिक विरासत से मतलब है- जहाँ कोई व्यक्ति अपने पारिवारिक संबंधों या स्थापित राजनीतिक रिश्तेदारों से जुड़ाव के कारण राजनीतिक क्षेत्र में आता है। इससे उसे नेटवर्क और संसाधनों तक पहुँच जैसे लाभ मिलते हैं।
संस्था ने इस अध्ययन में इन उम्मीदवारों को दूसरी, तीसरी या चौथी पीढ़ी के राजनेताओं या राजनेताओं के रिश्तेदारों के रूप में अलग-अलग पेश किया है। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार वंशवाद की राजनीति के खिलाफ़ अक्सर मुखर रहने वाली सत्तारूढ़ भाजपा के 442 उम्मीदवारों में से 110 यानी क़रीब 24.88% राजनीतिक परिवारों से आते हैं। इसकी तुलना में कांग्रेस के 326 उम्मीदवारों में से 99 की पृष्ठभूमि राजनीतिक परिवारों से है। इस तरह संख्या में तो कांग्रेस में परिवारवादी उम्मीदवार बीजेपी से कम हैं, लेकिन यदि प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो कांग्रेस के 30.36% उम्मीदवारों की राजनीतिक विरासत है।
बीजेपी
2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के राजनीतिक विरासत वाले 110 उम्मीदवारों में से 69 दूसरी पीढ़ी के राजनेता हैं। इनमें से उल्लेखनीय हैं -पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज, जो नई दिल्ली सीट से अपनी राजनीतिक शुरुआत कर रही हैं। इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्रियों बी.एस. येदियुरप्पा और राव बीरेंद्र सिंह के बेटे बी.वाई. राघवेंद्र और राव इंद्रजीत सिंह शामिल हैं। हाल ही में कांग्रेस से अलग हुए रवनीत सिंह बिट्टू पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते हैं।
भाजपा की सूची में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल और किरेन रिजिजू जैसे कई हाई-प्रोफाइल दूसरी पीढ़ी के राजनेता भी शामिल हैं।
तीसरी पीढ़ी के राजनीतिक नेताओं में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह और ज्योति मिर्धा शामिल हैं। भाजपा में शामिल होने से पहले सिंधिया और मिर्धा कांग्रेस में वरिष्ठ नेता थे। इसके अलावा, भाजपा के उम्मीदवारों की सूची में पूर्व मंत्री अर्जुन पवार की पुत्रवधू भारती पवार, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के दामाद सी.एन. मंजूनाथ, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परनीत कौर जैसे नाम शामिल हैं।
कांग्रेस
अक्सर गांधी परिवार पर वंशवादी राजनीति के लिए आलोचना की जाती है। कांग्रेस के पास 2024 के लोकसभा चुनावों में राजनीतिक विरासत वाले उम्मीदवारों की एक बड़ी संख्या है। इसके 326 उम्मीदवारों में से 99 की पृष्ठभूमि राजनीतिक है। राहुल गांधी चौथी पीढ़ी के एकमात्र राजनेता के रूप में उभरे हैं, जो केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली दोनों से चुनाव लड़ रहे हैं। प्रजातंत्र फाउंडेशन के निष्कर्षों के अनुसार, कांग्रेस के 80 उम्मीदवार दूसरी पीढ़ी के राजनेता हैं। इस सूची में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ, अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत, दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह, वाई.एस. राजशेखर की बेटी वाई.एस. शर्मिला, सुशील शिंदे की बेटी प्रणीति शिंदे और दिवंगत तरुण गोगोई के बेटे गौरव गोगोई जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। ये सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों के बच्चे हैं।
कांग्रेस ने कम से कम चार तीसरी पीढ़ी के राजनेताओं को भी मैदान में उतारा है। पटना साहिब से इसके उम्मीदवार अंशुल अविजित मीरा कुमार के बेटे और बाबू जगजीवन राम के पोते हैं। कर्नाटक के हासन से उम्मीदवार श्रेयस पटेल एस.जी. अनुपमा के बेटे और पूर्व सांसद जी. पुट्टस्वामी गौड़ा के पोते हैं। दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के बेटे और कांग्रेस नेता रणबीर सिंह हुड्डा के पोते हैं। ऐसे ही कई और नाम भी शामिल हैं।