उत्तराखंड की सभी 70 सीटों वोट डाले गए। राज्य में कुल मिलाकर 62.50 फ़ीसदी मतदान हुआ। इससे पहले शाम 5 बजे तक 59.37 फ़ीसदी वोटिंग हुई थी। इससे पहले अपेक्षाकृत वोटिंग धीमी गति से चली और दोपहर 3 बजे तक 49.24% वोटिंग हुई थी। उत्तराखंड में 82 लाख मतदाता 632 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
उत्तराखंड में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा चुनावी मुकाबला है लेकिन कई सीटों पर बीएसपी और आम आदमी पार्टी भी चुनाव में पूरी ताकत के साथ उतरे हैं। बीजेपी और कांग्रेस ने इस छोटे राज्य में अपने तमाम दिग्गजों को मैदान में उतारकर मुकाबले को और रोमांचक बना दिया।
2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली थी क्योंकि उसके कई बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2017 में बीजेपी को 57 सीटों पर जबकि कांग्रेस को 11 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन इस बार कई चुनावी सर्वे इस बात का दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस बीजेपी के साथ कड़े चुनावी मुकाबले में है। देखना होगा कि कौन सा दल राज्य में सरकार बनाने में कामयाब रहता है।
ये हैं प्रमुख उम्मीदवार
लालकुआं सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस उम्मीदवार हरीश रावत, खटीमा से मुख्यमंत्री और बीजेपी उम्मीदवार पुष्कर सिंह धामी, बाजपुर से कांग्रेस उम्मीदवार यशपाल आर्य, चकराता से कांग्रेस उम्मीदवार प्रीतम सिंह, चौबट्टाखाल से बीजेपी उम्मीदवार सतपाल महाराज, धर्मपुर से कांग्रेस उम्मीदवार दिनेश अग्रवाल, गदरपुर से बीजेपी उम्मीदवार अरविंद पांडे, कालाढूंगी से बीजेपी उम्मीदवार बंशीधर भगत, रानीखेत से करण माहरा, सल्ट से रंजीत सिंह रावत चुनाव मैदान में हैं।
बीजेपी ने पिछले साल कुछ महीनों के अंदर लगातार मुख्यमंत्रियों को बदल दिया था और इसे लेकर कांग्रेस ने उसे चुनाव प्रचार के दौरान कटघरे में खड़ा किया था।
उत्तराखंड के तराई वाले इलाकों और हरिद्वार जिले में किसान आंदोलन का खासा असर रहा था। इस बार संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों से बीजेपी को हराने की अपील की है। हालांकि मोदी सरकार ने बैकफुट पर आते हुए कृषि कानून वापस ले लिए थे लेकिन किसानों की नाराजगी कितनी कम हुई है इसका पता चुनाव नतीजे आने के बाद चलेगा।
बीजेपी और कांग्रेस दोनों को ही कई सीटों पर भितरघात का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि कई सीटों पर पार्टी के नेता निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे हैं।