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अग्नि पथ पर अब शुरू होगी राहुल की भारत जोड़ो यात्रा! 

अग्नि पथ पर अब शुरू होगी राहुल की भारत जोड़ो यात्रा! 

कांग्रेस के सामने राजनीतिक चुनौतियों का अंबार है और उसकी कोशिश भारत जोड़ो यात्रा के जरिये इन चुनौतियों पर जीत हासिल करने की है। महाराष्ट्र में भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कांग्रेस नेता उत्साहित हैं, क्या इस यात्रा से पार्टी को मजबूती मिलेगी?

आज से महाराष्ट्र में राहुल गांधी की "भारत जोड़ो यात्रा " का "अग्नि पथ” शुरु होने जा रहा है ? क्या इस यात्रा को मिल रहे जन समर्थन में कमी आएगी ? या और बड़ी संख्या में लोग इससे जुड़ते नजर आएंगे ? दक्षिण भारत के बाद अब इस यात्रा का रुख उत्तर की तरफ बढ़ने लगा है। 

अभी तक सरकार पोषित मीडिया का एक वर्ग जो कांग्रेस पार्टी की तरह ही राहुल गांधी की इस यात्रा को भी हलके में लेते हुए यह सवाल दागता रहा है कि इस यात्रा को उत्तर में तो आने दीजिये ? महाराष्ट्र, उत्तर भारत नहीं है लेकिन राजनीतिक तौर पर देखें तो इस प्रदेश की राजनीति में भी "हिन्दूत्व कार्ड" भली भांति फूला फला है। हिंदूत्व का बड़ा चेहरा बाला साहब ठाकरे ने भी अपनी राजनीति और ताकत को यहीं चमकाया। यानी भारत जोड़ो यात्रा अब उस मैदान में पंहुचने वाली है जहां का माहौल उसके विरोध वाले विचार के लिए काफी अनुकूल है। वह क्षेत्र जहां राजनीतिक सभाओं और मंचों से सत्ताधारी नेता या उनके संगठनों के प्रमुख 80 : 20, बहुसंख्यक वाद या हिन्दू : मुस्लिम बंटवारे की बात खुले आम करते हैं। 

यह कार्ड यहां की राजनीति में  कितना महत्वपूर्ण है इस बात का आंकलन इसी बात से  लगाया जा सकता है कि करीब तीन साल पहले जब शिवसेना ने साथ छोड़ा तो भारतीय जनता पार्टी के नेता उसे हिंदूत्व छोड़ चुकी पार्टी कहने लगी। शिवसेना को "औरंगजेब सेना" बोलने लगे और " व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी " के अपने नेटवर्क पर बड़े जोर शोर से उसे प्रचारित भी करने लगे। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बार बार ट्वीट कर यह कहते रहे कि शिवसेना अब बाला साहब ठाकरे की शिवसेना नहीं रही। लेकिन लगता है उन तमाम आरोपों के बावजूद भी भाजपा, शिवसेना के कद को छोटा नहीं कर पायी तो उसने उसका अलग प्रतिरूप गढ़ कर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार को ही गिरा दिया जिसमें कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस भी शामिल थे। हिन्दूत्व कार्ड पर एकाधिकार के लिए उसने "बाला साहब ठाकरे की शिवसेना” नामक पार्टी का उदय करवा दिया। इस घटनाक्रम का यहां उल्लेख करना इसलिए जरूरी है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अब "हिंदूत्व" वाले भारत में प्रवेश करने जा रही है। और यहाँ से उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती शुरु होने जा रही है। 

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कांग्रेस पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उनकी यात्रा में समर्थकों की संख्या को कम नहीं होने देने का भरसक प्रयास करेंगे लेकिन क्या यहां भी लोग उसी सहजता से राहुल गांधी से प्यार साझा करेंगे जैसा दक्षिण के प्रदेशों में देखा गया ? राजनीतिक आंकड़ों के लिहाज़ से देखा जाए तो महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा प्रदेश है जहां से 48 सांसद चुने जाते हैं। इसी तरह का महत्व बिहार का भी है जहां से 40 सांसद चुने जाते हैं। इन दोनों राज्यों का जिक्र इसलिए भी कर रहे हैं कि दोनों प्रदेशों में बड़ा राजनीतिक उलटफेर हुआ है।

महाराष्ट्र में अब उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ नहीं हैं और बिहार में नीतीश कुमार। दोनों ही प्रदेशों में अब कांग्रेस को अपने जनाधार को मजबूत करना होगा और यह भारत जोड़ो यात्रा के लिए एक बड़ी चुनौती है। इस चुनौती के साथ यह यात्रा आज महाराष्ट्र में प्रवेश करने वाली है। रात करीब सात बजे नांदेड़ जिले के देगलूर पंहुचते ही इस यात्रा का महाराष्ट्र में प्रवेश हो जाएगा। 

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प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और कांग्रेस के तमाम बड़े नेता इस यात्रा की तैयारी में पिछले एक महीने से जुटे हुए हैं। राहुल गांधी के साथ "मैं भी चलूँगा” का एक टीजर सोशल मीडिया पर रिलीज भी किया जा चूका है। यात्रा के स्वागत के लिए गीत तैयार किये जा चुके हैं।

तमाम नेताओं ने पैदल चलने का पूर्वाभ्यास भी शुरु किया हुआ है। इस पूर्वाभ्यास की तस्वीरें अपने ट्विटर हैंडल , फेसबुक और व्हाट्सअप स्टेटस से शेयर भी की हैं। यात्रा के लिए जन समर्थन जुटाने के उद्देश्य या यूं कह लें कांग्रेस कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए अनेक जिलों में भारत जोड़ो यात्रा भी हुई हैं। 

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले विधानसभा में पार्टी के नेता बाला साहब थोरात सहित करीब 28 नेताओं की एक कमिटी यात्रा के नियोजन के लिए बनायी गयी है। कांग्रेस पार्टी ने सहयोगी दलों के नेताओं को भी इस यात्रा में शामिल होने का निमंत्रण दिया है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी इस यात्रा में शामिल होने वाले हैं लेकिन कब किस मौके पर आएंगे यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। अजित पवार, आदित्य ठाकरे सहित किसान व मजदूर संगठनों के नेता भी बड़ी संख्या में इस यात्रा में शामिल होने वाले हैं। महाराष्ट्र में यह यात्रा 14 दिनों तक रहने वाली है।

देगलूर में "मशाल" के साथ राहुल गांधी की यात्रा  प्रवेश करने वाली है। मशाल हाल ही मैं उद्धव ठाकरे की पार्टी को  नया चुनाव  चिन्ह मिला है। राहुल गांधी आज रात करीब 9 किलोमीटर की मशाल यात्रा करेंगे। वे देगलूर से वन्नाली  के एक प्रसिद्द गुरूद्वारे में जाएंगे। रात में राहुल गांधी उस गुरूद्वारे में अरदास करेंगे और रात को ही वापस देगलूर कार से लौट जाएंगे जहां अगले दिन सुबह भारत जोड़ो यात्रा अपने नए पड़ाव के लिए निकलेगी। 

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महाराष्ट्र को  संतों और महात्माओं की धरती कहा जाता है। कांग्रेस पार्टी के नेता इस दौरान यह ख्याल रख रहे हैं कि राहुल गाँधी अधिक से अधिक स्थाओं पर पंहुचे। शेगांव में गजानन महाराज के आश्रम में भी उनके जाने का कार्यक्रम है। महाराष्ट्र की यात्रा में आस्था के साथ साथ राहुल गांधी को उस वर्ग को भी अपने साथ जोड़ना होगा जिसकी बातें वे लगातार करते रहे हैं।

अंबानी, अडानी के अलावा सैकड़ों औद्योगिक घरानों के प्रतिनिधि और बॉलीवुड का मुकाम मुंबई में है। राहुल गांधी की यात्रा इस वर्ग को कितना जोड़ पायेगी, यह आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। क्या पूजा भट्ट की तरह और कोई फ़िल्मी हस्ती, कलाकार हिम्मत दिखा पायेगा ? ईडी, सीबीआई की दौर वाली राजनीति में क्या डर को नकार कर देश का यह  वर्ग इस यात्रा से जुड़ पायेगा? 

सवाल बहुत से हैं और यही चुनौती हैं इस भारत जोड़ो यात्रा के आगे के सफ़र के लिए। राहुल गांधी की इस यात्रा को लेकर कांग्रेस नेताओं द्वारा बार बार सफाई दी जाती है कि यह राजनीतिक यात्रा नहीं है लेकिन इसका मकसद तो देश में सत्ता परिवर्तन के लिए माहौल बनाना ही है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। टुकड़ों में बटीं कांग्रेस पार्टी अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को एकजुट करने का उद्यम इसके माध्यम से कर रही है। 

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