पीएम मोदी आंबेडकर के लिखे कोड को सांप्रदायिक बता रहे हैं: कांग्रेस
कांग्रेस ने 78वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण पर कड़ी आपत्ति जताई है। इसने कहा है कि पीएम संविधान की शपथ लेते हैं, लेकिन भीमराव आंबेडकर द्वारा लिखे गए कोड को सांप्रदायिक कहते हैं। इसने कहा है कि उन्हें एक प्रधानमंत्री की तरह बोलना चाहिए, न कि भारतीय जनता पार्टी के एक साधारण राजनेता की तरह।
लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने नागरिक संहिता, बांग्लादेश की स्थिति, महिलाओं पर अत्याचार आदि सहित कई मुद्दों पर भाषण दिया। इसी दौरान उन्होंने देश में मौजूदा नागरिक संहिता पर ऐसा कुछ बोल दिया कि कांग्रेस इस पर आपत्ति कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मौजूदा नागरिक संहिता सांप्रदायिक है और भारत को एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पिछली सरकारों का कार्यकाल आतंकवाद से भरा हुआ था।
इस बयान को लेकर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, '...वह संविधान की शपथ लेते हैं और फिर बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा लिखे गए कोड को सांप्रदायिक कहते हैं। वह अटल बिहारी वाजपेयी के ख़िलाफ़ बोलते हैं और कहते हैं कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान आतंकवादी हमले हुए थे।'
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री की दुर्भावना और विद्वेष की कोई सीमा नहीं है। आज के उनके लाल क़िले के भाषण में यह पूरी तरह से दिखा। यह कहना कि अब तक हमारे पास कम्युनल सिविल कोड रहा है, डॉ. आंबेडकर का घोर अपमान है। डॉ. आंबेडकर हिंदू पर्सनल लॉ में सुधार के सबसे बड़े समर्थक थे, जिन्हें 1950 के दशक के मध्य तक वास्तविक रूप दिया गया। इन सुधारों का आरएसएस और जनसंघ ने काफी विरोध किया था।'
उन्होंने आगे कहा, 'और ये देखिए नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त 21वें विधि आयोग ने 31 अगस्त 2018 को पारिवारिक कानून के सुधार पर अपने 182-पृष्ठ के परामर्श पत्र के पैरा 1.15 में क्या कहा था:
“जब भारतीय संस्कृति की विविधता का जश्न मनाया जा सकता है और मनाया जाना चाहिए, तब इस प्रक्रिया में विशेष समूहों या समाज के कमजोर वर्गों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इस पर विवाद के समाधान का संकल्प सभी भिन्नताओं को खत्म करना नहीं है। इसलिए समान नागरिक संहिता न तो इस स्टेज पर जरूरी है और न ही वांछित। अधिकांश देश अब विभिन्नताओं को मान्यता देने की ओर बढ़ रहे हैं और इसका अस्तित्व भेदभाव नहीं है, बल्कि यह एक मजबूत लोकतंत्र का संकेत है।"
The non-biological PM's capacity for malice, mischief, and maligning of history knows no bounds. It was on full display today from the Red Fort.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 15, 2024
To say that we have had a "communal civil code" till now is a gross insult to Dr. Ambedkar, who was the greatest champion of reforms…
प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार से देश में अशांति के बीच हिंदुओं और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का आह्वान किया। इसको लेकर पवन खेड़ा ने पूछा कि प्रधानमंत्री ने बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं। खेड़ा ने कहा, 'हम जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री ने बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए हैं... वह खुद को हिंदू अधिकारों का संरक्षक कहते हैं, बड़े-बड़े दावे करते हैं कि हम सीएए लाएंगे, इसलिए हम जानना चाहते हैं कि अब क्या हुआ है।'