+
BHU रेप केस: '3 अन्य मामलों में शामिल थे, मौके ढूंढते रहते थे आरोपी'

BHU रेप केस: '3 अन्य मामलों में शामिल थे, मौके ढूंढते रहते थे आरोपी'

आईआईटी-बीएचयू में गैंगरेप के आरोपियों के बारे में और भी बेहद सनसनीखेज मामला सामने आया है। जानिए, वे घिनौनी हरकत के लिए क्या-क्या करते थे आरोपी। 

आईआईटी-बीएचयू में दुष्कर्म के आरोपियों के बारे में और भी चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है। तीनों आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में तीन अन्य छेड़छाड़ के मामले को अंजाम देना कबूल किया है। यही नहीं, वे लगातार रात को ऐसे 'मौक़े' की तलाश में रहते थे। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। कांग्रेस ने भी यह दावा करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा है।

कांग्रेस ने कहा, 'बीजेपी के इन बलात्कारियों ने पुलिस से बताया कि वो बीएचयू में पहले भी लड़कियों से छेड़खानी करते रहे हैं। बीजेपी के ये तीनों बलात्कारी अक्सर लड़कियों का पीछा करते, उनका दुपट्टा खींचते, उनसे छेड़छाड़ करते। खास तौर से रात के वक्त ये बीएचयू कैंपस में जाते ताकि लड़कियों को छेड़ सकें। कितनी घिनौनी मानसिकता है इनकी।' 

वाराणसी पुलिस ने 1 नवंबर की रात को हुई इस घटना के लिए बीते शनिवार को कुणाल पांडे, सक्षम पटेल और अभिषेक चौहान को गिरफ्तार किया था। लेकिन इससे पहले क़रीब दो महीने तक इनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी। एफ़आईआर भी तब दर्ज की गई जब काफी विरोध प्रदर्शन हुए और प्रशासन पर इसके लिए दबाव पड़ा। कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि इन तीनों आरोपियों के बारे में पता घटना के क़रीब एक हफ्ते में चल गया था, इसके बावजूद कार्रवाई में देरी हुई। 

इतना ही नहीं, गन प्वाइंट पर छात्रा का रेप करने वाले आरोपियों ने मध्य प्रदेश जाकर बीजेपी के लिए प्रचार किया था। वह भी ऐसा तब है जब बीएचयू कैंपस में छेड़छाड़ की ऐसी शिकायत पहले भी मिल चुकी थी। 

1 नवंबर की उस घटना से दो दिन पहले एक अन्य महिला छात्रा को भी इसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा था और उसने प्रॉक्टर कार्यालय को इसकी सूचना दी थी। संस्थान के डीन ने द इंडियन एक्सप्रेस से पुष्टि की थी कि 30 अक्टूबर की घटना के संबंध में प्रॉक्टर कार्यालय को एक शिकायत मिली है और कार्रवाई की जा रही है।

बहरहाल, समझा जाता है कि 1 नवंबर के आईआईटी-बीएचयू यौन उत्पीड़न मामले के तीन आरोपियों ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि वे परिसर में छेड़छाड़ की तीन अन्य घटनाओं में शामिल थे। जांच में शामिल अधिकारियों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि आरोपियों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड के विश्लेषण से इसकी पुष्टि हुई है, रात 11 बजे से 1 बजे के बीच परिसर में उनकी लोकेशन अक्सर दिखाई देती रही थी।

हालाँकि, पुलिस ने कहा कि उन्हें केवल एक शिकायत मिली है और वह है 1 नवंबर की घटना को लेकर। तीनों आरोपियों के फोन फोटो, वीडियो और टेक्स्ट प्राप्त करने के लिए फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। अपनी शिकायत में महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने यौन उत्पीड़न का वीडियो बनाया था। रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने कहा कि घटना के तुरंत बाद पुलिस ने परिसर के आसपास से सीसीटीवी फुटेज जुटाए। अधिकारी ने कहा, 'सत्यापन के लिए पीड़िता को तस्वीरें दिखाई गईं। इसके अलावा, पुलिस ने उनके सिम कार्ड आवेदन पत्रों से तस्वीरें जुटाईं, और उनकी गतिविधियों को सत्यापित करने के लिए उनके घरों और परिसर के पास व्यक्तियों से बात की।' 

पुलिस ने कहा कि पीड़ित द्वारा पहचान की पुष्टि करने के बाद हमने एक तलाशी अभियान शुरू किया। हालाँकि, आरोपी पहले ही अज्ञात स्थानों पर चले गए थे। 31 दिसंबर को एक गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने आखिरकार उन लोगों को पकड़ लिया।

अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, समझा जाता है कि पूछताछ के दौरान उन लोगों ने पुलिस को बताया कि वे घटना के बाद एक सप्ताह तक वाराणसी में रहे लेकिन छात्रों का विरोध तेज होने के कारण वे शहर छोड़कर भाग गए। अधिकारी ने कहा, 'वे लगभग 15 दिन पहले यह मानकर वाराणसी लौट आए कि मामला शांत हो गया है। शुरुआत में वे शहर के विभिन्न स्थानों पर छिपे रहे। आख़िरकार, सुरक्षित महसूस करते हुए उन्होंने अपने घरों पर रहना शुरू कर दिया।'

भाजपा वाराणसी (महानगर) के अध्यक्ष विद्यासागर ने कहा कि तीनों अब वाराणसी में भाजपा आईटी सेल के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने अख़बार से कहा, 'वे नवंबर तक पदाधिकारी थे। लेकिन नवंबर में आईटी सेल को भंग कर दिया गया था और तब से इसका पुनर्गठन नहीं किया गया है।'

बीजेपी की यह प्रतिक्रया आने से पहले तीनों आरोपियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर छाई रहीं। इन तीनों की तस्वीरें पीएम मोदी से लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ मिली हैं। इन सभी फोटो को तमाम राजनीतिक दलों के सोशल मीडिया हैंडल से शेयर किया गया है।

कांग्रेस ने दो दिन पहले आरोप लगाया था, '2 महीने पहले बीएचयू के कैम्पस में एक छात्रा का गैंगरेप हुआ। इस मामले को पहले दबाने की कोशिश की गई, जब दबाव बना तो जैसे-तैसे यूपी पुलिस ने एफ़आईआर लिखी। अब 60 दिन बाद इस घटना में शामिल 3 लोग पकड़े गए हैं। ये सभी BJP के पदाधिकारी हैं।' कांग्रेस ने संदेह जताया था, 'गिरफ़्तारी में देरी शायद इन वजहों से हुई होगी- ये सभी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के बेहद करीबी हैं, बीजेपी में इतनी अच्छी पकड़ है कि पीएम मोदी से सीधे मिलते हैं, बीजेपी आईटी सेल में अच्छी पोजिशन पर हैं।' कांग्रेस ने कहा है कि यही है बीजेपी का चाल- चरित्र-चेहरा।

सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा, "ये हैं भाजपा के दिग्गज नेताओं की छत्रछाया में सरेआम पनपते और घूमते भाजपाइयों की वो नयी फसल, जिनकी ‘तथाकथित ज़ीरो टॉलरेंस सरकार’ में दिखावटी तलाश जारी थी लेकिन पुख़्ता सबूतों और जनता के बीच बढ़ते गुस्से के दबाव में भाजपा सरकार को आख़िरकार इन  दुष्कर्मियों को गिरफ़्तार करना ही पड़ा, ये वही भाजपाई हैं जिन्होंने बीएचयू की एक छात्रा के साथ अभद्रता की सभी सीमाएँ तोड़ दी थीं।"

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें