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पैगंबरः सऊदी अरब के गुस्से से सीखने को तैयार नहीं बीजेपी, कतर में दूत तलब

पैगंबरः सऊदी अरब के गुस्से से सीखने को तैयार नहीं बीजेपी, कतर में दूत तलब

भारत में इस्लामफोबिया बढ़ने पर सऊदी अरब बार-बार अपनी नाराजगी जता रहा है। इसी बीच नूपुर शर्मा वाला तीसरा मामला भी सामने आ गया। भारत को हर बार कार्रवाई करना पड़ती है लेकिन वो गलतियों से सीखने को तैयार नहीं है। पैगंबर पर नूपुर शर्मा और नवीन जिन्दल की टिप्पणी इतनी भारी पड़ी है कि कतर ने भारतीय दूत को तलब कर लिया है। तमाम मुस्लिम देशों में भारतीय सामानों के बहिष्कार का अभियान चल रहा है।

बीजेपी ने रविवार को अपने दो नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिन्दल पर कार्रवाई तो कर दी लेकिन सऊदी अरब समेत कई मुस्लिम देशों से भारत के संबंध खराब होने की आशंका पैदा हो गई है। उन देशों में लोगों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है। कतर ने रविवार को भारतीय दूतावास के राजदूत को तलब कर लिया। कतर, कुवैत, बहरीन, सऊदी अरब में भारतीय उत्पाद के बहिष्कार तक की मांग उठ गई है। ओमान के ग्रैंड मुफ्ती ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। ऐसा तीसरी बार है जब भारत में इस्लामफोबिया के खिलाफ सऊदी अरब ने भारत पर दबाव बनाया और भारत कार्रवाई के लिए मजबूर हुआ। लेकिन इससे भारत के संबंध खराब हो रहे हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार और बीजेपी के तमाम नेता कुछ सीखने को तैयार नहीं हैं।

नूपुर शर्मा रविवार सुबह तक बीजेपी की प्रवक्ता थीं लेकिन दोपहर में पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता पद और तमाम जिम्मेदारियों से हटाते हुए पार्टी से सस्पेंड कर दिया। इसी तरह बीजेपी दिल्ली यूनिट के मीडिया यूनिट प्रभारी नवीन जिन्दल को पार्टी से निकाल दिया गया। हाल ही में नूपुर शर्मा ने टीवी डिबेट में पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के खिलाफ उनके विवाह को लेकर गलत टिप्पणी की थी। इसी तरह नवीन जिन्दल ने उकसाने वाले ट्वीट किए थे। इस पर भारत के मुसलमानों ने प्रदर्शन किए और एफआईआर कराई। इसके बावजूद बीजेपी अपने दोनों नेताओं की हरकत पर चुप्पी साधे रही।

करीब तीन दिनों से भारत में घट रही घटनाओं का सऊदी अरब के लोगों ने विरोध करना शुरू किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया। इस सारे मामले में ओमान के ग्रैंड मुफ्ती के बयान ने बड़ी भूमिका निभाई।

ओमान के ग्रैंड मुफ्ती के ट्वीट का कुल सार यह है कि - इस्लाम के दूत के खिलाफ भारत में सत्तारूढ़ चरमपंथी पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता की अशिष्ट और अश्लील अशिष्टता अक्षम्य है। करोड़ों विश्वास करने वालों की मां आयशा (अल्लाह उनसे प्रसन्न हों) की शान में इस गुस्ताखी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।यह एक ऐसा मामला है जो सभी मुसलमानों को एक राष्ट्र के रूप में उठने का आह्वान करता है। उनका ट्वीट अरबी भाषा में है -

ग्रैंड मुफ्ती की शनिवार को की गई यह टिप्पणी बहुत दूर तक असर कर गई है। इसमें विश्व के सभी मुसलमानों से इसके विरोध का आग्रह किया गया है। इस टिप्पणी से अरब देशों के मुसलमान हिल गए हैं। सोशल मीडिया पर खुलकर भारतीय सामानों के बहिष्कार की अपील की जा रही है। बहिष्कार की अपील सऊदी अरब में टॉप ट्रेंड में शामिल हो गई। इन अपीलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ तीखी टिप्पणियां की गई थीं। ओमान और अरब देशों में भारतीय दूतावासों ने जब भारत सरकार को सारे घटनाक्रम से अवगत कराया तो यहां भी नींद खुली।

इसके बाद नूपुर और नवीन पर एक्शन का फैसला हुआ। बीजेपी की ओर से पहले भारतीय संविधान, यहां हर मजहब और समुदाय को धार्मिक आजादी की बात कही गई। भारत ने कहा कि वो किसी भी धर्म की हस्ती के अपमान का इरादा नहीं रखती है और ऐसा करने वालों की निन्दा करती है। भारत ने नूपुर शर्मा का नाम लिए बिना खुद को उनके बयानों से अलग कर लिया। उसके बाद दूसरे स्तर पर उन्हें पार्टी से सस्पेंड कर दिया। नवीन जिन्दल को पार्टी से निकाल दिया।

ओमान में भारतीय दूतावास ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के जरिए बीजेपी के बयान के ट्वीट को दोबारा पोस्ट किया।

पहली बार नहीं हुआ ऐसा

भारत में फैल रहे इस्लामफोबिया के खिलाफ सऊदी अरब समेत तमाम मुस्लिम देशों में पहली बार नाराजगी नहीं जताई गई है। इससे पहले जब जमातियों द्वारा कोरोना फैलाने के मामले को भारतीय मीडिया ने हवा दी तो सऊदी अरब समेत तमाम देशों ने ऐतराज जताया। निजामुद्दीन के मरकज में हुए जमात के कार्यक्रम को कोरोना फैलाने का केंद्र बता दिया गया था। इस संबंध में सऊदी अरब राजघराने से जुड़ी एक राजकुमारी तक ने ट्वीट करके नाराजगी जताई थी। बाद में भारतीय अदालतों ने भी कहा कि जमातियों द्वारा कोरोना फैलाने का मामला गलत है, यह झूठ है।

इससे पहले दूसरा मामला 2020 में हुआ था। बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने 2015 में किए गए ट्वीट को 2020 में रिट्वीट किया, जिसमें सऊदी अरब की महिलाओं पर बहुत घटिया बातें कही गई थीं, जो बाद में उन्होंने चौतरफा निन्दा के बाद हटा लिया था लेकिन इससे भारत सरकार और बीजेपी की खासी किरकिरी हुई थी। सऊदी अरब ने इस पर आधिकारिक रूप से आपत्ति जताई थी।

अब पैगंबर के खिलाफ टिप्पणी का यह तीसरा मामला सामने आ गया है। इसे मामले से सऊदी अरब के अलावा बाकी मुस्लिम देश भी नाराज हो गए हैं।

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