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कलाकारों का पीछा कर रहा है डिप्रेशन, अब तन्मय हुए शिकार

कलाकारों का पीछा कर रहा है डिप्रेशन, अब तन्मय हुए शिकार

आज की इस बेहद तेज़ और भागदौड़ भरी जिंदगी में यह पैमाना बन चुका है कि जो सफल है, वही सब कुछ है। इसी वजह से लोग डिप्रेशन में आ रहे हैं। 

सोशल मीडिया के जाने-पहचाने चेहरे तन्मय भट ने फ़िल्मी दुनिया का काला सच लोगों के सामने रखा है। तन्मय ने बताया है कि वह इन दिनों अवसाद के शिकार हैं और इस हद तक हैं कि ख़ुद को पैरालाइज़्ड महसूस कर रहे हैं। इससे यह भी सच सामने आया है कि सोशल मीडिया और फ़िल्मों की दुनिया जितनी ग्लैमरस दिखती है वैसी है नहीं। टीवी और यू ट्यूब पर देखकर ऐसा लगता है कि यह दुनिया बहुत रंगीन है और इसमें पैसा है, नाम है, शौहरत है। लेकिन इस रंगीन दुनिया का एक बहुत कड़वा सच यह है कि यहाँ आपको किसी भी क़ीमत पर सफल होना है। और अगर आप सफल नहीं हो पाए तो डिप्रेशन यानी अवसाद आपकी जान ले सकता है। 

एआईबी से सोशल मीडिया पर चर्चा में आए कॉमेडियन तन्मय भट इन दिनों डिप्रेशन से गुजर रहे हैं। भट ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो के जरिये अपना दर्द साझा किया है। बता दें कि पिछले साल #Metoo में नाम आने के बाद वह एआईबी से हट गए थे। भट ने वीडियो में बताया है कि एआईबी से हटने के बाद से ही वह किस तरह की मानसिक अवस्था से गुजर रहे हैं। भट ने कहा, ‘अक्टूबर के बाद से ही मैं मानसिक रूप से परेशान हूँ। मैं ऑफ़लाइन या ऑनलाइन, ठीक ढंग से अपनी भूमिका नहीं निभा पा रहा हूँ।’

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I'm a bit of a mess. I don't know when I'll stop being a bit of a mess. But when I'm less of a mess, I will owe it to everybody who has written in being supportive. Especially those who've seen this mess up close. You know who you are.

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भट ने लिखा, ‘जिंदगी के अधिकतर समय तक मैंने एक कंपनी के लिए काम किया और उसे खड़ा करने की कोशिश की। लेकिन ऑफ़िस के बंद हो जाने के बाद, जिन भी लोगों ने मेरे साथ काम किया, उनके जाने के बाद मुझे मानसिक और शारीरिक रूप से पीड़ा हुई। पिछले साल डॉक्टर्स ने मुझे बताया कि मुझे क्लीनिकल डिप्रेशन है और मुझे कुछ करना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि अभी मैं इस स्थिति में हूँ कि कंटेंट पर काम करूं और क्या मैं दोबारा कभी पहले जैसा सामान्य हो पाऊँगा’ आप में से कई लोग सही सवाल पूछ रहे हैं कि आप आगे क्यों नहीं बढ़ जाते, आप फिर से शुरुआत क्यों नहीं करते, यह सभी सुझाव ठीक हैं लेकिन कुछ वजहों से, जिसके लिए मैं अपनी पूरी जिंदगी काम करता रहा उसे बिखरते देखा है।’ तन्मय ने अपने उन सभी फ़ैंस को शुक्रिया कहा है, जिन्होंने मुश्किल के दिनों में उनका साथ दिया।

भट ने कहा, ‘यह जानकर अच्छा लगता है कि आज भी ऐसे लोग हैं जो मेरे लिए खड़े हैं। मेरे पास अभी भी उन सवालों का जवाब नहीं है कि मैं कब वापस आऊँगा और क्या करूँगा। मुझे नहीं मालूम। मैं अभी भी पैरालाइज्ड महसूस कर रहा हूँ क्योंकि कोई भी अवसाद से भरे हुए कॉमेडियन के साथ काम करना नहीं चाहेगा। हाल ही में सोशल मीडिया पर जारी बयान में एआईबी ने बताया था कि तन्मय भट्ट अब एआईबी के सीईओ के पद से हट गए हैं और कंपनी को-फाउंडर गुरसिमरन खंभा भी इससे अलग हो गए हैं।

कुछ समय पहले इसी तरह के डिप्रेशन के शिकार फ़िल्म अभिनेता उदय चोपड़ा भी हुए थे। चोपड़ा ने तब ट्विटर पर अपना दर्द बयाँ करते हुए लिखा था, ‘मुझे लगा कि मैं मौत के करीब हूँ। मुझे लगता है कि सुसाइड करने का यह अच्छा विकल्प है। मैं जल्द ही ऐसा कर सकता हूँ।’ हालाँकि बाद में उन्होंने कहा था कि वह अब ठीक हैं और उन ट्वीट्स को डिलीट कर दिया था।

दीपिका भी थीं डिप्रेशन में

जानी-मानी अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने भी कुछ साल पहले बताया था कि वह डिप्रेशन की शिकार थीं। दीपिका ने कहा था कि वह हर उस इंसान की मदद करना चाहती हैं जो डिप्रेशन से जूझ रहा है।दीपिका ने कहा था कि डिप्रेशन से उनकी लड़ाई उनके लिए बहुत बुरा अनुभव था और वह अभी भी डरती हैं कि कि यह बीमारी फिर से वापस आ सकती है। दीपिका ने कहा था कि मुझे समझ नहीं आता था कि मेरे साथ क्या हो रहा है। मेरा ध्यान किसी भी चीज पर नहीं लगता था। मैं उस दौरान एक फ़िल्म कर रही थी और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं किन परिस्थितियों से गुजर रही थी। मैं ख़ुद को बिस्तर से खींचकर बाहर निकलती थी। दीपिका ने बताया था कि उनकी माँ ने उनमें डिप्रेशन के लक्षण देखे थे और उनका सबसे ज़्यादा साथ दिया था।

मशहूर अभिनेता टाइगर श्रॉफ़ ने भी कहा था कि जब उनकी एक फ़िल्म फ़्लॉप हुई थी तो वह एक महीने तक डिप्रेशन में थे। शाहरुख़ ख़ान भी एक बार डिप्रेशन का शिकार हो चुके हैं। इसके अलावा अनुष्का शर्मा, करण जौहर और रितिक रोशन जैसे कई सितारे ख़ुलासा कर चुके हैं कि वे डिप्रेशन से पीड़ित थे। 

क्या है डिप्रेशन और इसके लक्षण

डिप्रेशन मतलब अवसाद ऐसी स्थिति है जब इंसान को निराशा घेर लेती है। ऐसी स्थिति में इंसान को कुछ भी करना अच्छा नहीं लगता। बिना काम किए ही शरीर में थकावट महसूस होती है। कुछ लोगों को डिप्रेशन में बहुत नींद आने लगती है तो कुछ लोगों को नींद ही नही आती है। इसके अलावा डिप्रेशन में रहने के दौरान आपको दिन भर क्या काम करना है, आप भूल जाते हैं।  डिप्रेशन में आपके वजन में भी बदलाव होता है। कुछ लोगों का वजन बढ़ जाता है तो कुछ लोगों का घट जाता है। स्वभाव में चिड़चिड़ापन होना और बात-बात पर ग़ुस्सा करना आपकी आदत में आ जाता है। डिप्रेशन में इंसान किसी से बात नहीं करना चाहता और वह दोस्तों, परिवार वालों से भी मिलने से बचने की कोशिश करता है। 

क्या करना चाहिए

डिप्रेशन के ये लक्षण दिखने पर व्यक्ति के परिजनों को उस आदमी पर ज़्यादा से ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को बिलकुल अकेला न छोड़ें और उसे इस बात का भरोसा दिलाएँ कि सब उसके साथ हैं। ऐसे में जरूरी है कि डिप्रेशन के लक्षणों की पहचान करें और तुरंत मदद को आगे आएँ। ऐसे व्यक्ति की बात को गंभीरता और शांति से सुनें। उसकी भावनाओं को समझें। उसे उसके मन की बात कहने दें और उसे बेवजह की सलाह न दें। उसके मन की बात को बाहर आने दें। 

डॉक्टर्स के मुताबिक़, डिप्रेशन को ठीक करने में दवाओं से ज़्यादा उस व्यक्ति के परिजनों, दोस्तों का उसके साथ व्यवहार बेहद अहम है। डिप्रेशन से पीड़ित इंसान को आप प्यार दें। डॉक्टर्स का यह भी कहना है कि अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति को आप जितना प्यार देंगे उतनी जल्दी उसकी स्थिति में सुधार होगा।

आज की इस बेहद तेज़ और भागदौड़ भरी जिंदगी में यह पैमाना बन चुका है कि जो सफल है, वही सब कुछ है। और जो सफल नहीं है, वह कोई अहम व्यक्ति नहीं है। हर साल भारत में सैकड़ों बच्चे परीक्षाओं में सफल न होने पाने के कारण और कई लोग निजी कारणों से डिप्रेशन में आ जाते हैं और कई बार आत्मघाती क़दम उठा लेते हैं। ऐसे में ज़रूरत है कि जीवन में सफलता को ही सब कुछ न मान लिया जाए और असफलता से निराश न होकर आगे बढ़ा जाए।

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