
'सीएम मान बैठक से निकले और आधी रात छापे'; किसान नेता हिरासत में क्यों?
पंजाब में किसानों और सरकार के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को किसान नेताओं के साथ हुई बैठक को बीच में ही छोड़ दिया, जिसके बाद पुलिस ने आधी रात को छापेमारी कर कई किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया। यह कार्रवाई 5 मार्च को चंडीगढ़ में प्रस्तावित किसानों के धरने से ठीक पहले की गई है। किसानों ने 'चंडीगढ़ चलो' मार्च की योजना भी बनाई है।
किसान नेताओं का दावा है कि सोमवार को बैठक में मुख्यमंत्री के साथ किसानों की मांगों पर चर्चा चल रही थी। बैठक के दौरान तीखी बहस हुई और किसानों का कहना है कि बिना किसी ठोस समाधान के मुख्यमंत्री नाराज़ होकर बैठक से चले गए।
सोशल मीडिया पर क्रांतिकारी किसान यूनियन के राज्य महासचिव गुरमीत सिंह मेहमा का एक बयान साझा किया जा रहा है। इसमें उन्होंने आरोप लगाया, 'सोमवार शाम को सबसे पहले सीएम एसकेएम नेताओं के साथ बैठक से बाहर चले गए और बाद में पुलिस ने नेताओं के घरों पर छापेमारी शुरू कर दी। पुलिस सुबह 3 बजे फिरोजपुर में मेरे घर आई और मुझे एहतियातन गिरफ्तार कर लिया।'
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मंगलवार को एएनआई से कहा, 'कल रात से पंजाब में संयुक्त किसान मोर्चा की लगभग 35 यूनियनों के वरिष्ठ नेताओं को या तो हिरासत में ले लिया गया या नजरबंद कर दिया गया। यह लगातार तीसरी बार है जब भगवंत मान ने हमारे आंदोलन को निशाना बनाया है... वह ही पंजाब की ऐसी स्थिति के लिए ज़िम्मेदार हैं।'
एक किसान नेता ने कहा, "हमारी मांगें सुनने के बजाय सीएम ने कहा, 'जाओ, जो करना है करो,' और बैठक छोड़कर चले गए। इसके बाद रात को पुलिस ने हमारे नेताओं के घरों पर छापेमारी शुरू कर दी।"
रिपोर्टों के अनुसार पंजाब पुलिस ने मंगलवार तड़के राज्य के विभिन्न जिलों में छापेमारी की। बठिंडा, मानसा, बरनाला और संगरूर जैसे इलाकों में दर्जनों किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) उगराहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां के घर भी पुलिस पहुंची, लेकिन वह उस वक़्त मौजूद नहीं थे।
बीकेयू राजेवाल के महासचिव महेश चंद्र शर्मा और बीकेयू लाखोवाल के अध्यक्ष हरिंदर सिंह लाखोवाल को भी लुधियाना और मोहाली में उनके घरों से हिरासत में लिया गया।
बीकेयू उगराहां के नेता गुलाब सिंह ने बताया कि पुलिस मंगलवार सुबह 4 बजे बठिंडा में उनके घर पहुंची, लेकिन किसानों के मौके पर जमा होने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा।
किसानों का कहना है कि यह कार्रवाई उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने की कोशिश है। बता दें कि किसानों की प्रमुख मांगों में कृषि ऋण माफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी, और फ़सल नुक़सान के लिए मुआवजा शामिल है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार किसानों की 18 सूत्री मांगें हैं, जिनमें से करीब 12 सूत्रीय मांगें राज्य से जुड़े मुद्दों से संबंधित हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने 5 मार्च से चंडीगढ़ में अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा की थी, जिसे रोकने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का आरोप लगाया जा रहा है।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा, 'यह लोकतंत्र पर हमला है। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखना चाहते हैं, लेकिन सरकार हमें चुप कराने के लिए पुलिस का इस्तेमाल कर रही है।' कुछ इलाक़ों में किसानों ने पुलिस कार्रवाई का विरोध भी किया।
शिरोमणि अकाली दल के पूर्व अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने एक्स पर एक पोस्ट में घटनाक्रम की निंदा की। उन्होंने किसान नेताओं के घरों पर पुलिस की छापेमारी का वीडियो पोस्ट करते हुए पंजाबी में कहा, 'मैं पंजाब के अहंकारी मुख्यमंत्री द्वारा किसान नेताओं के घरों पर छापेमारी की कड़ी निंदा करता हूं। आप सरकार इस तरह की शर्मनाक हरकतें करके लोकतंत्र का गला घोंट रही है।'
पोस्ट में लिखा है, 'कल शाम किसान नेताओं के साथ हुई बदसलूकी के लिए माफी मांगने के बजाय भगवंत मान ने उन्हें गिरफ्तार करना शुरू कर दिया है। भगवंत मान, सत्ता हमेशा के लिए नहीं होती, पंजाब के गौरवशाली लोग जल्द ही आपको सबक़ सिखाएंगे।'
ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਹੰਕਾਰੀ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਵੱਲੋਂ ਕਿਸਾਨ ਆਗੂਆਂ ਦੇ ਘਰਾਂ 'ਤੇ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਛਾਪੇਮਾਰੀ ਦੀ ਮੈਂ ਸਖ਼ਤ ਨਿਖੇਦੀ ਕਰਦਾ ਹਾਂ , ਆਪ ਸਰਕਾਰ ਅਜਿਹੀ ਘਟੀਆ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਕੇ ਲੋਕਤੰਤਰ ਦਾ ਗਲਾ ਘੁੱਟ ਰਹੀ ਹੈ।
— Sukhbir Singh Badal (@officeofssbadal) March 4, 2025
ਬੀਤੀ ਸ਼ਾਮ ਕਿਸਾਨ ਆਗੂਆਂ ਨਾਲ ਦੁਰਵਿਵਹਾਰ ਦੀ ਮੁਆਫੀ ਮੰਗਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ ਨੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ।… pic.twitter.com/dyFHduSzGg
दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि वह किसानों के साथ है, लेकिन उनकी मांगें केंद्र सरकार से जुड़ी हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पहले कहा था कि विरोध प्रदर्शन किसानों का अधिकार है, लेकिन इससे राज्य को नुक़सान नहीं होना चाहिए। हालांकि, इस घटनाक्रम पर अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं और हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा नहीं किया गया, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। इस बीच, मंगलवार को लुधियाना में संयुक्त किसान मोर्चा की आपात बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होगी।
पंजाब में किसानों और सरकार के बीच यह ताजा टकराव राज्य की सियासत को और गर्म करने वाला है। सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि यह विवाद किस दिशा में जाता है।
(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)