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छत्तीसगढ़ में अप्रैल से शुरु होगा सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण 

छत्तीसगढ़ में अप्रैल से शुरु होगा सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण 

भूपेश बघेल ने लिखा कि 2011 के बाद से जनगणना नहीं हुई है जिसके कारण तमाम सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के चयन में मुश्किलें आ रही हैं। इस दौरान कई नए लाभार्थी जुड़े हैं लेकिन सटीक विवरण न होने के कारण उनको योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। 

छत्तीगढ़ में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दोबारा सत्ता में लौटने के लिए हर जतन कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पिछले दिनों राज्य में सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कराने की घोषणा की थी। घोषणा के बाद शनिवार को उन्होंने सर्वेक्षण कराए जाने को लेकर भी स्थिति साफ कर दी है।

भूपेश बघेल ने ट्वीट करके जानकारी दी की छत्तीसगढ़ सरकार अप्रैल से सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण शुरु करेगी। पिछले महीने भूपेश बघेल ने कहा था कि छत्तीसगढ़ ने बिहार से पहले ही जातिगत जनगणनी पूरी कर ली है। जल्दी ही इस संबंध में नीतियों की घोषणी की जाएगी।

भूपेश बघेल ने अपने ट्वीट में लिखा की राज्य सरकार द्वारा कराए जा रहे इस सर्वेक्षण में सभी ग्रामीण परिवारों को शामिल किया जाएगा। घोषणा से एक दिन पहले ही भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर अटकी पड़ी जनगणना को पूरा कराने का आग्रह किया था।

उन्होंने शनिवार को कहा कि, ''छत्तीसगढ़ में एक अप्रैल 2023 से ग्रामीण परिवारों का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण होगा। मैंने मुख्य सचिव को पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सर्वेक्षण के लिए तुरंत तैयारी शुरू करने का निर्देश दिया है। उन्होंने लिखा कि 2011 के बाद से जनगणना नहीं हुई है जिसके कारण तमाम सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के चयन में मुश्किलें आ रही हैं। इस दौरान कई नए लाभार्थी जुड़े हैं लेकिन सटीक विवरण न होने के कारण उनको योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।  

देशभर में जातिगत जनगणना की मांग की जा रही है। बिहार सरकार जहां यह शुरु कर चुकी है। ओडिसा और छत्तीसगढ़ इसको अप्रैल से शुरु करने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी भी इसके लिए जोर लगा रही है। उसने जातिगत जनगणना की मांग के लिए प्रदेश के सभी जिलों में व्यापक अभियान शुरु किया है, जिसमें वह प्रदेश भर में सभाओं और रैलियों का आयोजन कर रही है।

जनगणना केंद्र सरकार का विषय है, जो उसे हर दस साल में करानी होती है। 1881 से हर दस साल में जनगणना कराई जाति रही है। 1931 तक जातिगत जनगणना भी कराई जाती रही है। उसके बाद से इसे बंद कर दिया गया था। वर्तमान जातियों से संबंधित जो भी आंकड़े चलन में हैं वे 1931 हैं।  

2021 में जनगणना कराई जानी थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसे रोक दिया गया। करीब दो साल से कोरोना के चलते ऐसी कोई परेशानी नहीं हुई है, कि जनगणना जैसा जरूरी काम न कराया जा सके। इसलिए राज्य सरकारें अपने स्तर पर इसको करा रही हैं। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरका 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद जनगणना कराने की तैयारियां कर रही है।

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