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नागरिकता क़ानून: मेघालय में 3 लोगों की मौत, 10 घायल 

नागरिकता क़ानून: मेघालय में 3 लोगों की मौत, 10 घायल 

मेघालय में नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर केएसयू और ग़ैर आदिवासियों के बीच हुई झड़प में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और 10 लोग घायल हो चुके हैं। 

नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर पूर्वोत्तर एक बार फिर अशांत हो गया है। मेघालय में इस क़ानून को लेकर खासी स्टूडेंट्स यूनियन (केएसयू) और ग़ैर आदिवासियों के बीच हुई झड़प में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और 10 लोग घायल हो चुके हैं। यह झड़प शुक्रवार को राज्य के ईस्ट खासी जिले में हुई थी और इसके बाद शिलांग के कई इलाक़ों में कर्फ्यू लगा दिया गया था। नागरिकता क़ानून के अलावा इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के मुद्दे पर भी राज्य में अशांति का माहौल है। 

मेघालय पुलिस के मुताबिक़, हिंसक झड़प के मामले में अभी तक 8 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है और घटना की मजिस्ट्रेटी जांच की जा रही है। स्थिति को संभालने के लिये मेघालय के छह से सात जिलों में इंटरनेट सेवाओं को निलंबित रखा गया है। राज्य के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की है कि और कहा है कि लोग हिंसक झड़पों में शामिल न हों। मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरकार क़ानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिये सभी क़दम उठा रही है। सरकार की ओर से मारे गये लोगों के परिजनों को 2 लाख रुपये देने की घोषणा की गई है। 

अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, शुक्रवार को एक टैक्सी ड्राइवर की ईस्ट खासी हिल जिले के इचामाटी इलाके में हत्या कर दी गई थी। इसके बाद सरकार की ओर से शिलांग और इसके आसपास के इलाक़ों में 1 मार्च की सुबह तक कर्फ्यू लगा दिया गया था। सीआरपीएफ़ की दो कंपनियों को हिंसाग्रस्त इलाक़ों में तैनात कर दिया गया है। 

शनिवार को भी राज्य में हिंसा हुई थी जिसमें कुछ अज्ञात लोगों ने शिलांग के व्यस्त बाज़ार में कुछ लोगों पर छुरा घोंप दिया था। बताया गया था कि हमलावरों ने ग़ैर स्थानीय या बाहरी लोगों को निशाना बनाया था। इसके अलावा शिलांग के जाईवा, लैग्सिंग और सोहरा (चेरापूंजी) और ल्यू सोहरा बाज़ार में भी हिंसक झड़पें हुई थीं और इसमें दो ग़ैर आदिवासी लोगों के घायल होने की ख़बर आई थी। 

लगभग पूरे मेघालय को नागरिकता क़ानून में छूट मिली हुई है क्योंकि पूरा राज्य छठी अनुसूची के दायरे में आता है। खासी स्टूडेंट्स यूनियन की मांग है कि राज्य में आईएलपी को लागू किया जाये। आईएलपी गैर-स्थानीय लोगों के प्रवेश को नियंत्रित करता है। मेघालय के विभिन्न आदिवासी समूहों की लंबे समय से मांग रही है कि इसे पूरे राज्य में लागू किया जाए। नागरिकता क़ानून के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद मेघालय विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक विशेष प्रस्ताव पास किया था जिसमें केंद्र सरकार से राज्य में आईएलपी को लागू करने के लिए कहा गया था। 

आईएलपी लागू होने के बाद, देश के अन्य राज्यों के नागरिकों को मेघालय में किसी स्थान पर जाने के लिए अनुमति लेनी होती है। पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नगालैंड में भी आईएलपी लागू है। पूर्वोत्तर के असरदार छात्र संगठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने मांग की है कि असम में आईएलपी को लागू किया जाना चाहिए। 

नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में सबसे पहले पूर्वोत्तर में ही प्रदर्शन हुए थे। इसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। असम के लोगों का कहना है कि नागरिकता क़ानून से असम समझौता, 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे। पूर्वोत्तर में असरदार छात्र संगठन नॉर्थ-ईस्ट स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (नेसो) और आसू इस मुद्दे पर जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं। 

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