फिल्म स्क्रीनिंग को लेकर जेएनयू में झड़प, मूर्तियां तोड़ने का आरोप
भारतीय सिनेमा के समृद्ध इतिहास में अगर ऑल टाइम ग्रेट सौ फिल्मों की सूची बनाई जाए तो ‘जाने भी दो यारो’ शुरुआती कुछ फिल्मों में से एक होगी। फिल्म को कल्ट का दर्जा हासिल है। फिल्म अपने बेहतरीन कथानक, शानदार अभिनय उम्दा विषय के लिए जाने जाती है, जो मजाक ह्यूमरस तरीके से समाज की कड़वी सच्चाई को उजागर करती है। कुंदन शाह द्वारा बनाई इस फिल्म की कहानी मुंबई के बड़े विल्डर और वहां के नगर आयुक्त के बीच मिलीभगत को उजागर करने का प्रयास करती है। फिल्म का आखिरी हिस्सा एक नाटक के मंचन का है जहां महाभारत के द्रौपदी के चीर हरण की सीन प्रस्तुत किया जा रहा होता है। वहां कुछ लोग एक लाश को लेकर पहुंच जाते हैं।
फिल्म के रिलीज होने से लेकर अबतक इस पर कभी ऐसा विवाद नहीं हुआ। न कभी किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। लेकिन अब चालीस साल बाद इस पर विवाद हो रहा है, फिल्म देखने पर रोक लगाई जा रही है।
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार की रात नौ बजे स्टूडेंट यूनियन हॉल टेफलास में जेएनयूएसयू की तरफ से इस फिल्म को दिखाने का प्रोग्राम रखा गया था। फिल्म देखने वालों में ज्यादातर वामपंथी विचारधारा से जुड़े छात्र और छात्र संगठनों के लोग शामिल थे। जिसका दक्षिणपंथी छात्र संगठन एबीवीपी के लोगों द्वारा इसका विरोध किया गया। विरोध के दौरान कुछ छात्रों के साथ मारपीट भी गई।
फिल्म देखने के लिए इकट्ठा हुए छात्रों का आरोप है कि हमारी फिल्म की स्क्रीनिंग रात नौ बजे होनी थी, लेकिम उसके पहले शाम को छह बजे के करीब एबीवीपी से जुड़े छात्रो ने जेएनयूएसयू के कार्यालय में छत्रपति शिवाजी की जयंती मनाने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया था। रात के 8.30 बजे जब हम यूनियन कार्यालय में पहुंचे तो देखा कि वहां तोड़फोड़ की गई है। 'कॉम-अनिस्ट और सूअरों को अनुमति नहीं है' जैसे नारे दीवारों पर लिखे हुए थे।
सेंटर ऑफ स्पेनिश, पुर्तगाली और लैटिन अमेरिकन स्टडीज से पीएचडी अंतिम वर्ष की छात्रा और एचएफजी सदस्य लता कहती हैं कि कोविड के बाद इस तरह की दर्जनों स्क्रीनिंग की हैं, लेकिन यह पहली बार था जब इस तरह की घटना हुई हो।
छात्रसंघ अध्यक्ष आयशी घोष ने ट्विट कर बताया कि झगड़े के बाद एबीवीपी के सदस्यों ने कैंपस परिसर में लगी पेरियार, भगत सिंह, बाबा साहेब अंबेडकर, कार्ल मार्क्स, ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले और सहित कई हस्तियों की तस्वीरों को तोड़ दिया। उन्होंने जेएनयूएसयू कार्यालय के अंदर की दीवारों में भी तोड़फोड़ की है।
The ABVP should know that JNU is not a space for violence. ABVP is trying to disturb the communal harmony inside campus which will not be tolerated at any cost. Condemning the vandalism in SU office and violence on the student community in the strongest possible terms. pic.twitter.com/OBAv2gslfv
— Aishe (ঐশী) (@aishe_ghosh) February 20, 2023
इस झगड़े में तमिलनाड़ु के पीएचडी सेकेंड ईयर के छात्र नसीर मोहम्मद ने आरोप लगाया कि एबीवीपी के एक सदस्य ने उसे मारा और सफदरजंग अस्पताल ले गये। नसीर का कहना है कि वह वह रिजर्वेशन क्लब का सदस्य है, किसी पार्टी का नहीं। यूनियन ऑफिस में कुछ होने की खबर मिली तब हम वहां जानने के लिए पहुंचे कि हुआ क्या है।
तमिलनाड़ु के छात्र साथ हुई मारपीट में तमिलनाड़ु के मुख्यमंत्री एम.के स्टालिन ने एबीवीपी सदस्यों द्वारा कथित तौर पर तमिल छात्रों पर हमले की निंदा की और कुलपति से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने और तमिलनाडु के छात्रों को बचाने का अनुरोध किया।स्टालिन ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, ''एबीवीपी द्वारा तमिल छात्रों पर कायरतापूर्ण हमला और #JNU पेरियार, कार्ल मार्क्स जैसे नेताओं की तस्वीरों को तोड़ना बेहद निंदनीय है और विश्वविद्यालय प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग करता हूं’।
Universities are not just spaces for learning but also for discussion, debate & dissent.
— M.K.Stalin (@mkstalin) February 20, 2023
The cowardly attack on Tamil students by ABVP & vandalising the portraits of leaders like Periyar, Karl Marx at #JNU, is highly condemnable and calls for a strict action from the Univ Admin.
स्टेन ने यह भी आरोप लगाया कि जेएनयू और दिल्ली पुलिस के सुरक्षाकर्मी छात्रों पर हुई हिंसा पर मूकदर्शक बने रहे। यह बेहद चिंताजनक है कि विश्वविद्यालय प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग करता है। जेएनयू के सुरक्षा गार्ड और और दिल्ली पुलिस अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं और केंद्रीय भाजपा शासन की आलोचना कर रहे छात्रों पर की जा रही हिंसा के दौरान मूकदर्शक बनकर देखती रही।
रविवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्यों ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उनकी तस्वीर को अपवित्र किए जाने के पीछे वामपंथी समर्थित सहयोगी संगठनों के छात्रों का हाथ होने का आरोप लगाया था। एबीवीपी ने आरोपों से इनकार किया और 'वाम समूह' पर छत्रपति शिवाजी महाराज की तस्वीर से माला हटाकर फेंकने का आरोप लगाया। एबीवीपी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के अवसर पर एक समारोह का आयोजन किया था। कार्यक्रम के तुरंत बाद वाम दलों के छात्र वहां आए और तस्वीर से माला हटाकर फेंक दी।
कैंपस में हुए झगड़े के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि छात्रावास, छात्र गतिविधि केंद्र (टेफलस) और खेल मैदानों के परिसर में किसी भी गतिविधि के लिए पहले से परमिशन लेनी होगी। बिना परमिशन लिए किसी भी प्रकार की गतिविधी में शामिल होने वालों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।