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बदनामी के डर से निचली कोर्ट के जज जमानत नहीं देतेः CJI

बदनामी के डर से निचली कोर्ट के जज जमानत नहीं देतेः CJI

अपनी स्पष्टवादिता के लिए मशहूर भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ का कहना है कि निचली अदालतों के जज बदनामी के डर से जघन्य मामलों में जमानत नहीं देते हैं। और क्या कहा, जानिएः

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने का कहना है कि निचली अदालतों के जज खुद को टारगेट किए जाने के डर से आरोपियों को जमानत देने में हिचकते हैं।

शनिवार शाम को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में जमानत अर्जियों की इसलिए भरमार है कि निचली अदालतों में जमानत अर्जियां खारिज हो जाती हैं। निचली अदालतों के जज जमानत देने में इसलिए आनाकानी नहीं करते हैं कि कि वे उस क्राइम को नहीं समझते हैं। वो लोग जघन्य मामलों में जमानत देने से इसलिए डरते हैं कि कहीं उन्हें निशाना न बना लिया जाए, कोई आरोप न लग जाए।

भारत के मुख्य न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने जजों के ट्रांसफर वाले कॉलेजियम के फ़ैसले का विरोध करने वाले वकीलों की आलोचना की है। गुजरात उच्च न्यायालय के एक जज के पटना हाई कोर्ट में ट्रांसफर किए जाने का गुजरात हाई कोर्ट के वकील विरोध कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने सीजेआई से मिलने का समय मांगा है और सीजेआई ने उनसे मिलने की हामी भी भर दी है।

काउंसिल ऑफ इंडिया यानी बीसीआई द्वारा शनिवार को आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए सीजेआई ने वकीलों के विरोध प्रदर्शन का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि हड़ताल 'न्याय के हकदार लोगों को पीड़ा' देती है। एएनआई के अनुसार, सीजेआई ने न्यायिक नियुक्तियों की कॉलेजियम प्रणाली का समर्थन करते हुए कहा कि यह 'राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य' को ध्यान में रखते हुए प्रशासनिक निर्णय लेती है। उस कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे। बता दें कि किरेन रिजिजू ने पहले कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत है। 2015 में एनडीए सरकार कॉलेजियम सिस्टम के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाने की तैयारी कर रही थी जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति का काम करती। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसको रद्द कर दिया था। 

जजों के ट्रांसफर पर वकीलों के प्रदर्शन को लेकर सीजेआई ने कहा, 'यह एक व्यक्तिगत मुद्दा हो सकता है लेकिन अगर यह सरकार द्वारा समर्थित कॉलेजियम के हर फ़ैसले के लिए बार-बार की मिसाल बन जाता है तो फिर क्या होगा? पूरी चीजें बदल जाएँगी।'

सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया लंबे समय से सवालों के घेरे में रही है, कुछ लोगों ने इस बारे में आपत्ति जताई है कि यह पारदर्शी नहीं है क्योंकि न्यायाधीश आपस में निर्णय लेते हैं।

बार काउंसिल के इस कार्यक्र में केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू भी मौजूद थे। उन्होंने केस ट्रांसफर को लेकर कई वकीलों के सीजेआई से मिलने पर चिंता जताई। केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा- मैंने सुना है कि कुछ वकील केस ट्रांसफर के मामले में सीजेआई से मिलना चाहते हैं। कुछ मामले व्यक्तिगत मुद्दा हो सकतें हैं, लेकिन अगर ऐसा हर केस में किया जाने लगेगा तो इसका अंत क्या होगा। जबकि सरकार कॉलिजियम को सरकार का समर्थन प्राप्त है। यानी केंद्रीय मंत्री ने यह संकेत दिया कि हर केस में जज बदलने की मांग बढ़ती जा रही है और इसके लिए वकील सीजेआई से अक्सर मिलते हैं। तो ऐसे में हर कोई अपने पसंद के जज की अदालत में केस लगवाना चाहेगा।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवंबर को भारत के 50वें सीजेआई बने। उनका कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 तक होगा। उन्होंने यूयू ललित का स्थान लिया, जो 9 नवंबर 2022 को रिटायर हुए थे।

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