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नागरिकता क़ानून: हिंसा की आशंका पर क्यों अलर्ट नहीं हुई दिल्ली पुलिस?

नागरिकता क़ानून: हिंसा की आशंका पर क्यों अलर्ट नहीं हुई दिल्ली पुलिस?

नागरिकता क़ानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों में हो रही हिंसा को रोक पाने में दिल्ली पुलिस विफल रही है। हिंसा में शामिल लोगों पर वह कार्रवाई क्यों नहीं करती?

नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों के कारण पूरी दिल्ली में दो महीने से ज़्यादा समय से तनाव का माहौल है। सोमवार को एक बार फिर दिल्ली में मौजपुर-जाफ़राबाद इलाक़े में हिंसक प्रदर्शन हुए और इसमें एक हेड कांस्टेबल समेत चार लोगों की मौत हो गई है। सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि एक युवक ने हाथ में रिवॉल्वर ली हुई है और वह एक पुलिसकर्मी को धमका रहा है। वीडियो में यह साफ़ नहीं है कि उसने पुलिसकर्मी पर गोली चलाई है या नहीं। लेकिन जितना बेख़ौफ होकर वह पुलिस को धमका रहा है, उससे कई सवाल खड़े होते हैं। बताया जा रहा है कि इस शख़्स ने 8 राउंड फ़ायरिंग की है। इस शख़्स की पहचान शाहरूख के रूप में हुई है और वह स्थानीय निवासी है। पुलिस ने शाहरूख को हिरासत में ले लिया है। 

दिल्ली देश की राजधानी है, यहां की सुरक्षा व्यवस्था केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास है। इसलिये अगर क़ानून व्यवस्था को लेकर कोई भी सवाल उठेगा तो उसका जवाब स्वाभाविक रूप से केंद्रीय गृह मंत्रालय से ही मांगा जाएगा।

पिछले महीने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में खुलेआम नक़ाबपोश गुंडे घुस गये थे और उन्होंने टीचर्स और छात्रों को जमकर पीटा था। लेकिन दिल्ली पुलिस आज तक इस मामले में किसी को गिरफ़्तार नहीं कर सकी है। जबकि इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन में जेएनयू के दो छात्रों ने दावा किया कि हिंसा में उनका हाथ था और वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए हैं। लेकिन आज भी वे छुट्टे घूम रहे हैं। ऐसे में पुलिस पर ढेरों सवाल उठेंगे ही उठेंगे। 

जेएनयू में हुई हिंसा के बाद एक लड़की का फ़ोटो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हुआ था। लड़की का नाम था - कोमल शर्मा। पुलिस आज तक उस लड़की को पूछताछ के लिये पुलिस स्टेशन तक नहीं बुला सकी है।

कार्रवाई नहीं करना चाहती पुलिस

मौजपुर इलाक़े में हुई हिंसा को लेकर सोशल मीडिया पर कई और वीडियो वायरल हुए हैं जिनमें हाथों में लाठी-डंडे लिये हुए लोग दिखते हैं और वे जमकर नारेबाज़ी कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि दिल्ली पुलिस क्या कर रही है। पुलिस कहती है कि उसके पास पर्याप्त संख्या में पुलिस बल है लेकिन उसके बाद भी कैसे देश की राजधानी में एक शख़्स खुलेआम रिवॉल्वर लेकर पुलिसकर्मी को धमका रहा है। इसका सीधा मतलब यह है कि नागरिकता क़ानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों में हो रही हिंसा को रोक पाने में पुलिस विफल रही है और शायद वह हिंसा फैलाने वालों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती। 

दिल्ली पुलिस को इस बात का पता था कि नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में महिलाएं जाफ़राबाद इलाक़े में धरना दे रही हैं। पुलिस को इस बात का भी पता था कि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने रविवार को धमकी भरे अंदाज में कहा था कि पुलिस तीन दिन के अंदर प्रदर्शनकारियों को हटा ले, वरना वे लोग सड़कों पर उतरेंगे। तो इसके बाद भी पुलिस अलर्ट क्यों नहीं हुई। 

पार्षद के घर में घुसे प्रदर्शनकारी

इंडिया टुडे के मुताबिक़, कुछ प्रदर्शनकारी नेहरू विहार से आम आदमी पार्टी के पार्षद मुहम्मद ताहिर हुसैन के घर में घुस गए और वहां उन्होंने तोड़फोड़ की। उस दौरान हुसैन अपने परिवार के साथ घर पर ही थे। पुलिस इस मामले में भी अभी तक किसी की पहचान नहीं कर पाई है।

मिश्रा को क्यों नहीं किया गिरफ़्तार 

आख़िरकार क्यों पुलिस ने कपिल मिश्रा पर पहले ही कार्रवाई नहीं की। पुलिस ने क्यों मिश्रा को गिरफ़्तार नहीं किया इसके अलावा रविवार को कपिल मिश्रा के साथ आए लोगों और नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच पत्थरबाज़ी भी हुई थी लेकिन इसके बाद भी पुलिस नहीं चेती और उसने सोमवार को कपिल मिश्रा और उनके समर्थकों पर सख़्ती नहीं की। क्योंकि सोशल मीडिया में वायरल हो रहे वीडियो इस बात की तसदीक करते हैं कि नागरिकता क़ानून के समर्थन में उतरे प्रदर्शनकारी पूरी तैयारी से आए थे और पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की। 

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