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नागरिकता संशोधन विधेयक: आसान नहीं राह, सुप्रीम कोर्ट में मिलेगी चुनौती

नागरिकता संशोधन विधेयक: आसान नहीं राह, सुप्रीम कोर्ट में मिलेगी चुनौती

नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों से तो पास हो गया है लेकिन इसकी आगे की राह आसान नहीं है। इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने की तैयारी है।

नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों से तो पास हो गया है लेकिन इसकी आगे की राह आसान नहीं है। विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने की तैयारी है। इंडियन यूनियन मुसलिम लीग (आईयूएमएल) ने विधेयक के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।  

जमीअत उलेमा-ए-हिंद भी देगा चुनौती 

आईयूएमएल के बाद जमीअत उलेमा-ए-हिंद की ओर से भी कहा गया है कि उनका संगठन इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा। जमीअत का कहना है कि यह विधेयक संविधान के मूल ढांचे के ख़िलाफ़ है। राज्यसभा से विधेयक के पास होने के बाद जमीअत के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि विधेयक का पास होना बेहद दुखद है और इसे शीर्ष अदालत में चुनौती देने के लिए वकील से संपर्क किया गया है और याचिका तैयार की जा रही है। मदनी का कहना है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है। मौलाना मदनी ने कहा कि यह विधेयक धार्मिक भेदभाव और पूर्वाग्रह के आधार पर तैयार किया गया है। 

बीजेपी के सहयोगी दल विरोध में उतरे

एनडीए में बीजेपी की सहयोगी और असम के बड़े राजनीतिक दल असम गण परिषद का कहना है कि इस विधेयक के क़ानून बनने के बाद बांग्लादेशी हिंदुओं के आने से असम बर्बाद हो जाएगा। बीजेपी के एक अन्य सहयोगी दल इंडीजीनस पीपल फ़्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (आईपीएफ़टी) ने भी विधेयक के विरोध में आवाज़ बुलंद की है। 

कांग्रेस भी जा सकती है शीर्ष अदालत 

कांग्रेस भी इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का रुख कर सकती है। संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस ने विधेयक का भारी विरोध किया और पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने विधेयक के राज्यसभा में पास होने के बाद इस दिन को काला दिन बताया। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा है कि पार्टी इस बारे में विचार कर सकती है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यूज़ चैनल आज तक से कहा कि उनकी पार्टी नागरिकता संशोधन विधेयक को अदालत में चुनौती देगी। देश के पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का भी कहना है कि यह विधेयक क़ानून के सामने नहीं टिकेगा। 

आसू, नेसो विरोध में 

विधेयक के विरोध को लेकर असम में जोरदार आंदोलन कर रहे छात्र संगठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) की कुछ दिन पहले इस मुद्दे पर बैठक हो चुकी है। आसू की ओर से भी विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। आसू के अलावा पूर्वोत्तर में अच्छा प्रभाव रखने वाला छात्र संगठन नॉर्थ-ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (नेसो) भी विधेयक की जोरदार मुख़ालफत कर रहा है। असम के लोगों का कहना है कि इस विधेयक के क़ानून बनने से असम समझौता, 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे। 

इससे पहले बुधवार रात को राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया। दिन भर चली चर्चा के बाद विधेयक को लेकर वोटिंग हुई और विधेयक के पक्ष में 125 जबकि विरोध में 99 मत पड़े। अब इस विधेयक को हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और हस्ताक्षर के बाद यह क़ानून बन जाएगा। लेकिन उससे पहले सुप्रीम कोर्ट में इस विधेयक को चुनौती मिलने से मोदी सरकार के सामने मुश्किल खड़ी हो गई है। 

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