नागरिकता संशोधन: असम, त्रिपुरा के बाद मेघालय में भी इंटरनेट बंद, शिलांग में कर्फ़्यू
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलन की आग मेघालय पहुँच गई है। यहाँ कई गाड़ियों में आग लगाने और मशाल जुलूस निकालने की ख़बर है। विरोध प्रदर्शन को देखते हुए असम, त्रिपुरा के बाद अब मेघालय में भी मोबाइल, इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं को बंद कर दिया गया है। राज्य की राजधानी शिलांग के कुछ हिस्सों में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ़्यू लगाना पड़ा है। गुरुवार को राज्य में ज़बरदस्त प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने यह क़दम उठाया है।
मेघालय में इंटरनेट बंद किए जाने से पहले सोशल मीडिया पर विरोध प्रदर्शन के कई वीडियो वायरल हो गए। एक वीडियो में प्रदर्शनकारी दो कारों को आग लगाते हुए और बाज़ार बंद करने के लिए लोगों से उलझते हुए दिखते हैं। ट्विटर पर डाले गए एक पोस्ट में दावा किया गया है कि शहर में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में मशाल जुलूस निकाला गया। इसमें बड़ी संख्या में लोग देखे जा सकते हैं।
The fire spreads! Protests against #CAB in #Shillong #Meghalaya #NEResists pic.twitter.com/NIIBYlo2hv
— Anupam Bordoloi (@asomputra) December 12, 2019
इस बीच मेघालय पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे ग़लत सूचना न फैलाएँ।
'एनडीटीवी' की रिपोर्ट के अनुसार, शिलांग से क़रीब 250 किलोमीटर दूर विलियमनगर में प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री कोनरैड संगमा के साथ बदतमीजी की, उस समय संगमा हेलिकॉप्टर से उतर रहे थे। वह वहाँ एक स्वतंत्रता सेनानी की बरसी के कार्यक्रम में भाग लेने गए थे। लोगों ने मुख्यमंत्री काफिले के सामने 'कोनरैड वापस जाओ' के नारे लगाए।
इन तमाम विरोध प्रदर्शनों और आन्दोलन के बीच गुरुवार की रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। गुरुवार रात को ही आधिकारिक तौर पर अधिसूचना जारी कर दी गई। अब यह क़ानून बन चुका है।
असम में बड़े स्तर पर आंदोलन चल रहा है। गुरुवार की शाम गुवाहाटी के लाचित नगर में आंदोलनकारियों पर सुरक्षाकर्मियों ने गोलियाँ बरसाईं, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हुए हैं।
गुवाहाटी में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू है। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं, उन्होंने जगह-जगह टायर जलाकर यातायात बाधित किया है। बीजेपी विधायकों के घरों पर पथराव किए गए हैं। चबुवा के विधायक विनोद हजारिका के घर में आग लगा दी गई। कई जगहों पर बीजेपी और आरएसएस कार्यालयों पर हमले किए गए हैं।
नागरिकता संशोधन क़ानून के तहत यह प्रावधान है कि 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आए हुए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता दी जा सकेगी। इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। पूर्वोत्तर के लोगों का कहना है कि इससे बाहर से आए लोग उनके यहाँ छा जाएंगे और स्थानीय लोग अपने ही इलाक़ों में अल्पसंख्यक बन जाएंगे, जिससे उनकी पहचान और संस्कृति ख़तरे में पड़ जाएगी। इस क़ानून के विरोधियों का यह भी कहना है कि धार्मिक आधार पर भेदभाव किया जा रहा है, जो संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है।