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पेगासस केस में हस्तक्षेप के लिए 500 लोगों ने सीजेआई को लिखा ख़त

पेगासस केस में हस्तक्षेप के लिए 500 लोगों ने सीजेआई को लिखा ख़त

इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के लिए देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों सहित 500 लोगों ने मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना को खुला ख़त लिखा है।

इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के लिए देश के सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों सहित 500 लोगों ने मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना को खुला ख़त लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि जज, नेता, पत्रकार, एक्टिविस्ट और दूसरे लोगों की पेगासस से जासूसी नागरिकों के निजता, जिंदगी और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के ख़िलाफ़ है।

खुला ख़त पर हस्ताक्षर करने वालों में अरुणा रॉय, तीस्ता सीतलवाड़, हर्ष मंदर, रोमिला थापर, अरुंधति रॉय, अनुराधा भसीन, पेट्रीसिया मुखिम जैसे लोग शामिल हैं। ख़त में मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना के उस कथन को याद दिलाया गया है जिसमें उन्होंने कहा था- 'जब चीजें ग़लत होंगी तो न्यायपालिका उनके साथ खड़ी होगी'।

पत्र में कहा गया है, 'सुप्रीम कोर्ट के पास ये सवाल पूछने की शक्ति और कर्तव्य है, और इसे हमारे लिए बोलना चाहिए - जैसा कि आपने हाल ही में जुलाई के मध्य में एक कार्यक्रम में हमें आश्वासन दिया था, 'लोगों को विश्वास है कि उन्हें राहत और न्याय मिलेगा। वे जानते हैं कि जब चीजें ग़लत होंगी तो न्यायपालिका उनके साथ खड़ी होगी। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय सबसे बड़े लोकतंत्र का संरक्षक है।' 

इसमें यह भी कहा गया है कि पेगासस परियोजना और इसके बारे में सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी सर्वोच्च न्यायालय की स्वतंत्रता सहित संवैधानिक संस्थाओं की अखंडता की चिंताओं को उजागर करती है।

पत्र में कहा गया है, 'मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने बार-बार दावा किया है कि इस तरह की हैकिंग के साथ-साथ पद के अन्य प्रकार के दुरुपयोग के कारण दुर्भावनापूर्ण केस, ग़लत कारावास, हिरासत में यातना और राजनीतिक कैदियों की हिरासत में मौत हुई है।'

हस्ताक्षर करने वालों में छात्र, शोधार्थी, सेवानिवृत्त अधिकारी, सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, उद्यमी, आरटीआई, मानवाधिकार और महिला अधिकार कार्यकर्ता, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवर और सामाजिक संगठनों के सदस्य भी शामिल हैं।

उस ख़त में कुछ सवाल उठाए गए हैं- 

  • क्या किसी भारतीय संस्था ने पेगासस, इजरायली स्पाइवेयर खरीदा है जिसे केवल सरकार या सरकार से जुड़ी एजेंसियाँ ​​ही खरीद सकती हैं? 
  • यदि हां, तो किस संस्था ने सॉफ्टवेयर खरीदा? इसका भुगतान कैसे किया गया? 
  • यदि यह वास्तव में खरीदा गया था तो हैकिंग के लक्ष्य कैसे चुने गए और इस प्रकार प्राप्त जानकारी का क्या उपयोग किया गया?
  • इस तरह के निशाने के लिए स्वीकार्य औचित्य क्या थे, और उन्हें किस संवैधानिक अधिकार के सामने प्रस्तुत किया गया था?
  • किस संवैधानिक प्राधिकरण ने इतने सारे व्यक्तियों की गोपनीयता के आपराधिक उल्लंघन की निगरानी या समीक्षा की।

खुले ख़त पर हस्ताक्षर करने वालों में लोकतांत्रिक स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाली अरुणा रॉय व अंजलि भारद्वाज; मानवाधिकार कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव, तीस्ता सीतलवाड़ और हर्ष मंदर; वकील वृंदा ग्रोवर और कल्पना कन्नबीरन; बुद्धिजिवी झूमा सेन, अपर्णा चंद्रा और प्रतीक्षा बक्सी; शिक्षाविद और वैज्ञानिक जोया हसन, नीरजा गोपाल जायल, उत्सव पटनायक, जयति घोष, रोज़मेरी डिज़िवुचु, रोमिला थापर, सुकांत चौधरी और राम रामास्वामी; लेखक अरुंधति रॉय, वी. गीता, गीता हरिहरन और अमित चौधरी; संगीतकार और कलाकार टी.एम. कृष्णा, पुष्पमाला एन, प्रेम चंदावरकर और विवियन सुंदरम; राजनेता कविता कृष्णन और मनोज झा; और पत्रकार अनुराधा भसीन, पेट्रीसिया मुखिम और जॉन दयाल आदि शामिल हैं।

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