जॉली एलएलबी वाले सुभाष कपूर हुमा क़ुरैशी को बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से मिलते-जुलते किरदार में ढाल कर लाये हैं सोनी लिव पर बिहार की राजनीति पर बनी वेब सीरीज़ महारानी में। निर्देशक के तौर पर हालाँकि करन शर्मा का नाम है। हुमा क़ुरैशी अनुराग कश्यप की फ़िल्म गैंग्स ऑफ़ वासेपुर से चर्चा में आई थीं और जाॅली एलएलबी-2 में अक्षय कुमार की पत्नी की भूमिका में दिखी थीं। महारानी में हुमा मुख्य भूमिका में हैं और अपने ग्लैमरस व्यक्तित्व से बिल्कुल उलट बिहार के मुख्यमंत्री की घरेलू पत्नी से राज्य की राजनीति के अहम किरदार के रूप में उनका कायाकल्प दिलचस्प है। ‘गूँगी गुड़िया' से दबंग नेता के रूप में काम भी ठीक किया है।
कहानी नब्बे के दशक के आख़िरी हिस्से में शुरू होती है। पहले एपिसोड की शुरुआत ही अगड़ा बनाम पिछड़ा के जातीय घृणा और हत्या से होती है। पुलिस अफ़सर कहता है- जाति बिहार का सबसे बड़ा सत्य है। ऊँची जात वाला जूनियर पुलिस अफ़सर पिछड़ी जाति के अपने सीनियर पुलिस अधिकारी से कहता है- सरकार भले आप लोगों का है, सिस्टम हमारे हाथ में है। जातीय संघर्ष, भूमि सेनाएँ, फिरौती, वसूली, घोटाला- बिहार जिन बातों के लिए सुर्खियों में रहा है, वे सब मुख्य कहानी की उपकथाओं के रूप में दिखते रहते हैं।
छठ पूजा के दौरान मुख्यमंत्री पर जानलेवा हमला होता है। मुख्यमंत्री चौका-चूल्हा संभाल रही अपनी पत्नी को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित करके सियासी दाँव चलते हैं।
सीएम आवास में घुसते हुए नेता कहता है- यह सीएम हाउस है या तबेला? भीमा का सहयोगी मिश्रा उनके प्रतिद्वंद्वियों को 'आपदा में अवसर' तलाशने का ताना मारता है।
मुख्यमंत्री भीमा भारती बने सोहम शाह के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी नवीन बाबू के किरदार में अमित स्याल सबसे ज़्यादा प्रभावित करते हैं। तजुर्बेकार अभिनेता विनीत कुमार, अतुल तिवारी, प्रमोद पाठक, मलयालम सिनेमा की अभिनेत्री कन्नी कुसुरती का काम भी अच्छा है।
पंकज झा को देखकर ख़ुशी हुई।
दस एपिसोड की वेब सीरीज़ जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, स्क्रिप्ट की कसावट ढीली पड़ने लगती है। फिर भी, तमाम तरह की फ़ालतू वेब सीरीज़ के शोरगुल के बीच बेहतर और देखने लायक है। राजनीतिक ड्रामा के तौर पर अमेज़न के तांडव से बहुत बेहतर है। अभिनेताओं ने संभाल लिया है। जाॅली एलएलबी में काम कर चुके कई कलाकार इस वेब सीरीज़ में अहम भूमिकाओं में हैं।
(अमिताभ के फ़ेसबुक वाल से)