हिन्दी फ़िल्म उद्योग के सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाज़ा गया है। यह पुरस्कार भारत का सबसे बड़ा फ़िल्म पुरस्कार समझा जाता है।
सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने ट्वीट में कहा, 'दो पीढ़ियों का मनोरंजन करने वाले और उन्हें प्रेरित करने वाले अमिताभ बच्चन को दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए आम सहमति से चुन लिया गया है। पूरा देश और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर खुश है। उन्हें मेरी हार्दिक बधाई!'
अमिताभ बच्चन ने 1969 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'सात हिन्दुस्तानी' से अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत की। उनकी अगली फ़िल्म 'आनंद' थी, जो 1971 में रिलीज़ हुई। उन्हें इस फ़िल्म के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार मिला।
अमिताभ बच्चन को पहचान मिली प्रकाश मेहरा की फ़िल्म 'जंजीर' से, जिसमें उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर विजय खन्ना की यादगार भूमिका निभाई थी।
यह फ़िल्म 1973 में रिलीज़ हुई थी। इसी दौरान उनकी फ़िल्में 'अभिमान' और 'नमक हराम' भी आईं। उन्हें 1975 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'शोले' के जय की भूमका के लिए भी याद किया जाएगा।
अमिताभ बच्चन की हिट फिल्मों में शामिल हैं, 'दीवार', 'सिलसिला', 'कालिया', 'दोस्ताना', 'शान', 'ख़ुदागवाह'।
बाद में अमिताभ बच्चन ने अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी एबीसीएल की भी स्थापना की। यह कंपनी फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में आई और इसकी पहली फ़िल्म 'तेरे मेरे सपने' बुरी तरह फ़्लॉप हुई।
फ़्लॉप अमिताभ!
इस कंपनी ने मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता भी एक साल आयोजित की। एक के बाद एक हिट फ़िल्में देने वाले अमिताभ बच्चन इस कारोबार में बुरी तरह फ़्लॉप हुए। बाद में वह इस कारोबार से बाहर निकल आए।'बिग बी' नाम से मशहूर इस अभिनेता ने साल 2000 में 'कौन बनेगा करोड़पति?' कार्यक्रम को होस्ट किया। यह शो ज़बरदस्त रूप से हिट हुआ। यह शो एक बार अभी फिर चल रहा है और अमिताभ ही इसे होस्ट कर रहे हैं।
कॉमेडियन अमिताभ
'एंग्री यंग मैन' नाम से मशहूर अमिताभ बच्चन ने ज़बरदस्त कॉमेडी फ़िल्में भी की हैं। 'शराबी' 'नमक हलाल' और 'लावारिश' में उनकी कॉमिक भूमिकाएँ याद की जाएंगी। 'शराबी' का उनका मशहूर डॉयलॉग 'मूँछें हो तो नत्थू लाल जैसी, वर्ना न हों', लोगों की जुबान पर चढ़ गया और इसे आज भी याद किया जाता है।अमिताभ बच्चन ने एक्टिंग के अलावा कुछ गाने भी गाए और वे गाए हिट भी हुए। 'मेरे अँगने में तुम्हारा क्या काम है', 'तू मयके मत जइयो मेरी जान' जैसे गीत आज भी लोगों को याद हैं।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि अमिताभ बच्चन की शुरुआती फ़िल्में हिट होने की वजह है उनकी 'एंग्री यंग मैन' की इमेज। इस छवि के स्थापित होने की वजह उस समय की सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि है। सत्तर और अस्सी का दशक युवा असंतोष का युग समझा जाता है, जब युवा वर्ग अपनी आकांक्षाओं और सपनों के पूरा न होने से परेशान था। यही समय गुजरात और बिहार के छात्र आंदोलनों का भी समय है और इमर्जेंसी का भी समय है।
युवा वर्ग व्यवस्था से नाराज़ था, उसे बदलना चाहता था। लेकिन वह ऐसा नहीं कर पा रहा था। ऐसे में फ़िल्मों में एक उसे एक ऐसा हीरो मिला जो अकेले व्यवस्था से टकराता था और सबके लिए लड़ता था। उसमें युवा वर्ग को अपनी छवि दिखती थी। समाज ने इस छवि को हाथोंहाथ लिया। अमिताभ बच्चन हिट हो गए।
लेकिन बाद में जब समय बदला, स्थितियाँ बदलीं तो अमिताभ की इस 'एंग्री यंग मैन' की छवि को भुनाने की कोशिश नाकाम हुई। यही वजह है कि 'बुढ्ढा होगा तेरा बाप' जैसी फ़िल्म बुरी तरह नाकाम रही। साठ साल के बुजुर्ग अमिताभ बच्चन को एक्शन भूमिका में लोगों ने खारिज कर दिया।
अमिताभ बच्चन को दादा साहब फाल्के पुरस्कार अपने जीवन के 75वें साल में मिला है। वह अभी भी सक्रिय हैं और 'कौन बनेगा करोड़पति' जैसी सुपर हिट शो को होस्ट कर रहे हैं।