बीजेपी के ‘भरोसे’ पर ही टिका है चिराग का सियासी करियर?
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में नीतीश कुमार की सियासी दुकान बंद करने के लिए उतरे चिराग पासवान की एलजेपी 1 सीट हासिल कर सकी और वह भी सिर्फ़ 65 वोट से। चिराग अपनी चुनावी सभाओं में जोर-शोर से दावा करते थे कि 10 नवंबर के बाद बिहार में बीजेपी-एलजेपी की सरकार बनेगी।
बीजेपी का वरदहस्त हासिल होने के आरोपों का सामना करने वाले चिराग यह तक कह चुके थे कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जेल भिजवा देंगे। जिस तरह उन्होंने बीजेपी से टिकट पाने से वंचित रहे कई नेताओं को एलजेपी के टिकट पर लड़ाया, उससे एलजेपी से बड़े प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही थी लेकिन वह फ़ेल रहे।
सवाल यह है कि चिराग को हासिल क्या हुआ। इसका जवाब उन्होंने चुनाव नतीजे आने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेन्स करके दिया है। चिराग ने बुधवार को कहा, ‘नतीजों से एक बात साफ है कि बिहार की जनता ने मोदी जी को जनादेश दिया है। आंकड़े बताते हैं कि जेडीयू को नुक़सान पहुंचाने में एलजेपी कितनी सफल हुई है। बिहार में बीजेपी अब बड़े भाई की भूमिका है।’
चुनाव प्रचार के दौरान चिराग के हमलों से घबराए नीतीश कुमार ने बीजेपी के नेताओं से उन्हें वोट कटवा भी कहलवाया और पीएम मोदी ने चुनावी रैलियों में कई बार एनडीए में शामिल दलों का नाम लेकर भी अपील की कि वोट इन्हीं को देना है।
चिराग ने 137 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनमें से 115 सीटें वे थीं, जहां पर जेडीयू के उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। पूरा जोर लगाने के बाद एलजेपी को 5.7% वोट मिले।
अपनी छाती में पीएम मोदी की तसवीर होने का दावा करने वाले चिराग को अगले 5 साल तक नीतीश कुमार भी चैन से जीने नहीं देंगे, यह तय है।
रहम नहीं करेंगे नीतीश!
नीतीश एक बात साफ जानते हैं कि बीजेपी उन्हें छोड़कर जा नहीं सकती क्योंकि उसके पास कोई विकल्प ही नहीं है। विकल्प बनने की कोशिश करने वाले चिराग 1 सीट ला पाए हैं। ऐसे में नीतीश कम सीटें आने के चलते बीजेपी के सामने तो झुके रहेंगे लेकिन ये जख़्म देने वाले चिराग से किसी तरह की मुरव्वत नहीं करेंगे, यह भी तय है।
बीजेपी की शह
राजनीति की सामान्य जानकारी रखने वाला शख़्स भी यह समझ सकता है कि जिस गठबंधन में मोदी-शाह जैसे सियासी घाघ नेता हों, उसमें रहते हुए गठबंधन के ही एक साथी को दूसरा साथी अगर जो मन में आए वो बक रहा है तो, इसका सीधा मतलब है कि उसे ऊपर से शह मिली हुई है।
लेकिन सवाल यह है कि मोदी और बीजेपी पर आंख बंद करके भरोसा करने वाले चिराग के अपने सियासी करियर का क्या होगा। पिता रामविलास पासवान की मौत के बाद एलजेपी के कोटे से जो केंद्रीय मंत्री का पद खाली हुआ है, उस पर उनकी ताजपोशी हो सकती है। लेकिन ऐसे में बीजेपी क्या नीतीश के नाराज़ होने का ख़तरा मोल लेगी।
हालांकि बीजेपी को पता है कि अब झुकने का वक़्त नीतीश का है और वह मनचाहे फ़ैसले ले सकती है लेकिन फिर भी नीतीश यह क़तई नहीं चाहेंगे कि उनकी सियासत चौपट करने में जुटे चिराग को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया जाए।
बीजेपी जानती है कि अगर उसने चिराग को केंद्र सरकार में मंत्री बनाया तो नीतीश इससे भड़क सकते हैं और उससे नाता तोड़ सकते हैं। इसका मतलब, मुसीबत बीजेपी के लिए भी कम नहीं है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि चिराग को बीजेपी कब तक ‘शह’ देती है। जब उसने चुनाव प्रचार के दौरान चिराग को एनडीए से बाहर नहीं निकाला तो वह आगे भी ऐसा नहीं करेगी। लेकिन नीतीश को और ज़्यादा कमजोर करने के लिए चिराग का सियासी इस्तेमाल वह आगे करेगी ज़रूर लेकिन किस तरह से, इस पर नज़रें टिकी रहेंगी।