क्या भारत भी चिनूक हेलिकॉप्टरों का ऑपरेशन रोकेगा?
अमेरिका ने चिनूक हेलिकॉप्टरों की पूरी फ्लीट का ऑपरेशन रोक दिया है। इस फ्लीट में 400 हेलिकॉप्टर हैं। इसके इंजनों में लगातार आग लग रही थी, इसलिए यह कदम उठाया गया। अमेरिका ने जब वियतनाम से युद्ध लड़ा और इराक पर चढ़ाई की तो इन्हीं चिनूक हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल किया था। विश्व मीडिया में इस हेलीकॉप्टर की कहानियों की जबरदस्त मार्केटिंग होती रही है।
अमेरिका के चिनूक हेलिकॉप्टर 60 साल पुराने हैं। लेकिन भारत ने 2020 में 15 हेलिकॉप्टर खरीद लिए। दो साल बाद ही यह बुरी खबर आ गई। भारत की पहली प्रतिक्रिया ये है कि उसने अमेरिका से चिनूक के बारे में पूरी सूचना मांगी है। यानी भारत में इस जोखिम भरे हेलिकॉप्टर को हटाया जाएगा या नहीं, यह तस्वीर साफ नहीं है। हालांकि भारत का दिल इस चिनूक हेलिकॉप्टर पर इतना आ गया था कि वो करीब 20 चिनूक अमेरिका से खरीदने वाली थी। जाहिर है कि अब उस पर विराम लग सकता है। लेकिन आप नहीं जानते कि अमेरिका ऐसे सौदों की मार्केटिंग या फाइनल स्थिति तक पहुंचाने के लिए क्या-क्या कर सकता है।
सेना की भाषा में इसे हैवी मशीन भी बोला जाता है। इस हेलिकॉप्टर की खासियत ये है कि ये दुर्गम क्षेत्रों में सेना के भारी भरकम साजोसमान भी ले जा सकता है। भारत के पहाड़ी इलाकों में इसका ऑपरेशन आसान माना गया है।
Indian Air Force Chinook helicopter fleet is still operational. India has sought details of the reasons which have led to the grounding of the entire fleet of US Army’s Chinook CH-47 helicopters because of a risk of engine fires: Government officials
— ANI (@ANI) August 31, 2022
(File photo) pic.twitter.com/oUmEkOriab
देश में 2020 में जब लॉकडाउन लगने वाला था और उससे पहले अमेरिका में कई हजार लोग कोविड 19 से मर चुके थे। इसके बावजूद रक्षा सौदे हो रहे थे। हालांकि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के फौरन बाद 2015 में भारत अमेरिका के बीच जो पहला रक्षा सौदा हुआ, उसमें 22 बोइंग एएच 64 ई और 15 चिनूक हेलिकॉप्टर शामिल थे। कुल सौदा 21900 करोड़ का था। इसमें से चिनूक को मार्च 2020 तक सौंपा जाना था। अमेरिका से सबसे पहले मार्च 2020 में पांच चिनूक हेलिकॉप्टर आए। उसके बाद धीरे-धीरे बाकी खेप आई। अब करीब 20 चिनूक के लिए बात जारी थी।
भारत में जो चिनूक हेलिकॉप्टर सेना के पास हैं, उनके बारे में कभी कोई ऐसी सूचना नहीं आई कि इंजन में आग लगी हो या कोई बड़ी तकनीकी समस्या आई हो। इसलिए फिलहाल भारत में चिनूक को सुरक्षित माना जा रहा है। लेकिन 60 साल से जो तकनीक अमेरिका में मौजूद है, उसके इंजनों में जब समस्या आने लगी तो भारत उससे कैसे अछूता रह सकता है। यहां चिनूक आए हुए ही दो साल हुए हैं। इसलिए यह कहना जल्दबाजी होगी कि भारत में मौजूद 15 चिनूक असुरक्षित हैं। इसलिए भारतीय सेना भी चिनूक को तुरंत ग्राउंड पर नहीं उतार सकती है।
देखना यह है कि यूएस में इसे बनाने वाली बोइंग कंपनी कितनी पारदर्शिता से चिनूक के बारे में अपनी रिपोर्ट भेजती है। अगर यूएस स्थायी तौर पर चिनूक को ग्राउंड कर देता है तो भारत को भी इसके बारे में सोचना ही पड़ेगा और चिनूक के अगले सौदों पर विराम लगाना होगा।
भारत के अलावा चिनूक ब्रिटेन और 20 अन्य देशों के पास भी है। अभी अन्य देशों की ओर से चिनूक हेलिकॉप्टरों को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। अमेरिका में भी यह मामला वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट में खुलासा किया गया है। यानि बोइंग के इन विमानों के बारे में किसी देश के पास पहले से कोई सूचना नहीं है।