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भारत का कड़ा संदेश- सीमाई इलाकों में हालात सामान्य करे चीन 

भारत का कड़ा संदेश- सीमाई इलाकों में हालात सामान्य करे चीन 

गलवान में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते खराब हुए हैं। देखना होगा कि चीनी विदेश मंत्री के भारत दौरे के बाद क्या दोनों के रिश्ते फिर से बेहतर होते हैं।

भारत ने शुक्रवार को चीन को कड़ा और साफ संदेश दिया कि जब तक सीमाई इलाकों में हालात सामान्य नहीं हो जाते तब तक दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। चीन के विदेश मंत्री वांग यी अपने भारत दौरे के दौरान दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मिले। दोनों नेताओं के बीच लगभग 3 घंटे तक बातचीत हुई। इस दौरान एस. जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के रिश्ते तभी सामान्य हो सकते हैं जब सीमाई इलाकों में शांति कायम हो।

भारत ने चीन से कहा कि वह लद्दाख में संघर्ष वाले सभी क्षेत्रों से अपने जवानों को जल्द से जल्द हटाए। जयशंकर और वांग यी के बीच रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी बातचीत हुई। 

साल 2020 में लद्दाख के गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक मुठभेड़ के बाद चीन के विदेश मंत्री का यह पहला भारत दौरा था। उसके बाद से भारत और चीन के सैन्य अफसरों के बीच सीमाई इलाकों में शांति कायम करने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन अभी भी सीमा विवाद का मसला पूरी तरह नहीं सुलझ सका है। चीन के विदेश मंत्री ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी मुलाक़ात की। 

कश्मीर पर दिया बयान

इससे पहले भारत ने बुधवार को चीनी विदेश मंत्री के पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया दी थी। चीनी विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद में आयोजित ओआईसी की कॉन्फ्रेंस में कहा था, “कश्मीर पर हमने फिर से कई इस्लामिक दोस्तों की बात सुनी है और चीन भी ऐसी ही आशा करता है।” 

इस पर भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि जम्मू और कश्मीर पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है और चीन सहित अन्य देशों को इस पर प्रतिक्रिया देने का कोई हक नहीं है। 

भारत आने से पहले चीनी विदेश मंत्री अफगानिस्तान भी गए और वहां की हुकूमत में बैठे नेताओं से मिले। इस दौरान राजनीतिक और आर्थिक हालात पर बातचीत हुई।

गलवान में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्ते खराब हुए हैं और पाकिस्तान ने चीन से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश की है। देखना होगा कि चीनी विदेश मंत्री के भारत दौरे के बाद क्या दोनों के रिश्ते फिर से बेहतर होते हैं।

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