भारत के साथ लद्दाख में ख़ूनी झड़प के पहले तिब्बत में चीनी सेना का युद्ध अभ्यास
ऐसे समय जब भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच ख़ूनी झड़पें हुई हैं, जिनमें दोनों पक्षों के सैनिक मारे गए हैं और घायल हुए है, चीन ने युद्ध अभ्यास किया है। इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि यह युद्ध अभ्यास उस लद्दाख से थोड़ी दूर पर ही किया गया है, जहाँ दोनों सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं। यह युद्ध अभ्यास उसी तिब्बत मिलिटरी कमांड में किया गया है, जिसके तहत चीनी सेना लद्दाख के पास के इलाक़ों में तैनात है।
चीनी अख़बार 'ग्लोबल टाइम्स' के अनुसार, इस युद्ध अभ्यास में टैंक, तोप, ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवाई जहाज़ को गिराने वाले हथियार और इलेक्ट्रॉनिक वारफ़ेअर के उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है।
लाइव ड्रिल
चीन ने 4,700 मीटर की ऊँचाई पर बसे तिब्बत के नियानकिंग तांग्गुला या न्येनचेन तोंगल्हा इलाक़े में यह अभ्यास किया है। यह लाइव ड्रिल था, यानी वास्तविक युद्ध की तरह अभ्यास किया गया, जिसमें 'दुश्मन' के ठिकानों को निशाना बनाया गया।
चीनी सेना के इस युद्ध अभ्यास में लंबी दूरी तक मार करने वाले आर्टिलरी हथियार, ज़मीन से हवा में मारने वाली मिसाइलें, हवाई टुकड़ी, इलेक्ट्रॉनिक और एन्टी- केमिकल वारफेअर को लगाया गया।
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक़, कई दर्जन किलोमीटर के दायरे में हुए इस युद्ध अभ्यास में दर्जनों टैंक, बख़्तरबंद गाड़ियों और स्नाइपर का इस्तेमाल किया गया। इसमें टाइप-15 हल्के टैकों का इस्तेमाल भी किया गया।
भारत को चेतावनी
यह बेहद चिंता की बात है कि जिस समय तिब्बत में यह युद्ध अभ्यास किया गया, उसके एक दिन बाद ही चीन के वेस्टर्न थिएटर कमांड ने भारत को कड़े शब्दों में चेतावनी दी। इस थिएटर कमांड के प्रवक्ता सीनियर कर्नल झांग शुइली ने ग्लोबल टाइम्स से कहा.
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'भारत को हर तरह की भड़काऊ गतिविधियाँ रोक देनी चाहिए, चीन से बराबरी के स्तर पर बात करनी चाहिए और बातचीत के ज़रिए विवादों को सुलझाने का सही रास्ता अपनाना चाहिए।'
झांग शुइली, प्रवक्ता, वेस्टर्न थिएटर कमांड, पीएलए
हॉवित्ज़र तोप
बता दें कि पिछले हफ़्ते ही चीन ने हॉवित्ज़र तोपों की नई खेप अपनी सेना में शामिल की है। ये तोप 155 मिलीमीटर कैलिबर की हैं, इन्हें ट्रक जैसी किसी भी गाड़ी पर फिट कर कहीं भी ले जाया जा सकता है।
चिंता की बात यह है कि ऊँचाई वाले इलाक़े में जहाँ ऑक्सीजन की कमी होती है, वहाँ भी यह तोप बखूबी काम कर सकती है, इसका इंजन इस तरह बनाया गया है। यानी, इन तोपों को लद्दाख में भी तैनात किया जा सकता है।
पीपल्स लिबरेशन आर्मी के ब्रिगेड 75वें ग्रुप आर्मी में इन तोपों को शामिल करने के लिए बीते दिनों एक ख़ास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके बाद इन तोपों को चीन के उत्तर में स्थित रेगिस्तानी इलाक़े नानजियांग हाओजियाओ में अभ्यास के लिए भेजा गया। इस तोप को पीएलए ने पीसीएल-181 नाम दिया है।
इन तमाम घटनाओं को एक सूत्र में पिरो कर देखने की ज़रूरत है। भारत-चीन में झड़प, चीनी सेना की चेतावनी, चीनी सेना का युद्ध अभ्यास और ऊँचाई पर तैनात किए जाने वाले तोपों को चीनी सेना में शामिल करना। यह महज संयोग नहीं हो सकता।