भारत के साथ संबंधों को सुधारने, व्यापार करने को क्यों उत्सुक है चीन?
पिछले महीने ही पाँच साल में पहली बार मोदी और जिनपिंग के बीच बैठक हुई। चार साल बाद सैनिकों की वापसी के बाद एलएसी पर देपसांग, डेमचोक में गश्त फिर से शुरू हुई है। इसी बीच अब विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांगी यी ने भारत-चीन संबंधों में अगले कदम पर चर्चा की है। अब जो क़दम उठाए जाने पर चर्चा की गई है उसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा तीर्थयात्रा को फिर से शुरू करना, सीमा पार नदियों पर डेटा साझा करना, भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें और मीडिया एक्सचेंज शामिल हैं। तो इस सबके संकेत क्या हैं?
ये सब तब हो रहा है जब डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने वाले हैं और चीन की अर्थव्यवस्था में मंदी दिख रही है। इसी बीच चीन का अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध बढ़ने की संभावना है। तो सवाल है कि क्या यही वे हालात हैं जो भारत-चीन के बीच संबंधों के नये संकेत दे रहे हैं?
रिपोर्ट है कि बीजिंग, शंघाई और शेनझेन के कारोबारी और राजनीतिक नेता भारत के साथ चीन के आर्थिक संबंधों में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं। चीनी अधिकारियों और शीर्ष कारोबारी अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सीमाओं पर तनाव कम होने से भविष्य की ओर देखने का अवसर मिला है।
अमेरिका में ट्रंप के आने की आहट के बीच ही बीजिंग ने अपनी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिए पहले ही दो दौर के मौद्रिक और राजकोषीय पैकेज की घोषणा कर दी है। अगले साल की शुरुआत में और पैकेज की घोषणा की संभावना है। बीजिंग की मजबूरी न केवल अपनी धीमी होती अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है, बल्कि व्यापार और निवेश के लिए बड़े बाजारों के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करना भी है। खासकर ऐसा इसलिए कि ट्रंप ने चीनी वस्तुओं के आयात पर 60 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव दिया है।
चीन के व्यापारिक नेताओं ने कहा कि बीजिंग को भारत जैसे बड़े मध्यम वर्ग के बाजारों की संभावनाओं का लाभ उठाना चाहिए। चीन को भारत के साथ व्यापार में लाभ मिलता है, ऐसा इसलिए कि व्यापार संतुलन चीन के पक्ष में है।
चीन के साथ ऐसा व्यापार असंतुलन लंबे समय से भारत के लिए चिंता का विषय रहा है। भारत चीन के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करने की कोशिश में है।
2023 में लगभग 3 प्रतिशत की गिरावट के बाद भी चीन से भारत का आयात 99.59 बिलियन डॉलर रहा और इसका निर्यात 7.13% बढ़कर 16.23 बिलियन डॉलर हो गया। नई दिल्ली लंबे समय से चीन के बाज़ार तक अधिक पहुँच की मांग कर रही है।
इंडियन एक्सप्रेस ने अन्य मीडिया के साथ शंघाई, शेनझेन और बीजिंग में कई प्रभावशाली चीनी व्यवसायियों और राजनेताओं से बातचीत की। बीजिंग चीन की राजनीतिक राजधानी है, शंघाई वित्तीय राजधानी है जिसमें लगभग 1,000 बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय हैं और शेनझेन तकनीकी राजधानी है। रिपोर्ट के अनुसार शंघाई नगरपालिका के विदेश मामलों के प्रमुख और शंघाई के एक शीर्ष नेता फुआन कोंग ने कहा कि चीन विदेशों से निवेश और आयात आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है और हाल ही में उसने चीन में आयात पर केंद्रित एक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी आयोजित की। उन्होंने कहा, 'चीन व्यापार के लिए खुला है।'
शंघाई के शीर्ष नेता फुआन कोंग ने कहा, 'हम शांति और स्थिरता को महत्व देते हैं... सीमा पर हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें भविष्य की ओर देखना चाहिए।' चीन के पूर्व नेता देंग शियाओपिंग, जिन्होंने चीन को खोलने का नेतृत्व किया था, का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, 'हम अपने मतभेदों को अलग रख सकते हैं। आइए हम अपनी भविष्य की योजनाओं के लिए हाथ मिलाएँ।'
इसी बीच अब विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांगी यी ने भारत-चीन संबंधों में अगले कदम पर चर्चा की है। अब जो क़दम उठाए जाने पर चर्चा की गई है उसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा तीर्थयात्रा को फिर से शुरू करना, सीमा पार नदियों पर डेटा साझा करना, भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें और मीडिया एक्सचेंज शामिल हैं।