5 नागरिकों के अपहरण पर चीन ने कहा, अरुणाचल भारत का हिस्सा नहीं, दक्षिण तिब्बत का इलाक़ा
भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच चीन का रवैया लगातार कड़ा होता जा रहा है। वह रोज़ नए-नए मोर्चे खोल रहा है, जिससे स्थिति सुलझने के बजाय उलझती जा रही है। अरुणाचल प्रदेश से 5 भारतीयों के गायब होने के मुद्दे पर चीन ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा नहीं है, वह चीन के दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है।
बता दें कि दो दिन पहले अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी ज़िले से 5 लोगों के अपहरण करने की खबर आई थी। स्थानीय मीडिया ने ख़बर दी थी कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी के लोगों ने इन 5 लोगों को पकड़ लिया और अपने साथ ले गए। इसके बाद स्थानीय प्रशासन ने पुलिस का एक दल इसका पता लगाने भेजा था।
रिजिजू को चीन का जवाब
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने चीनी सेना से इन गायब लोगों के बारे में पूछा था। चीनी सरकार के नियंत्रण में चलने वाले अख़बार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा है कि 'चीन ने कथित अरुणाचल प्रदेश को कभी भी मान्यता नहीं दी, यह चीन के दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है।'China has never recognized so-called "Arunachal Pradesh," which is China's south Tibet region, and we have no details to release yet about question on Indian army sending a message to PLA about five missing Indians in the region: Chinese FM spokesperson Zhao Lijian pic.twitter.com/PqFdV5zp60
— Global Times (@globaltimesnews) September 7, 2020
दरअसल, एक पत्रकार ने ट्वीट कर रिजिजू से पूछा था, 'पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी द्वारा अरुणाचल प्रदेश से पांच भारतीयों के कथित अपहरण को लेकर क्या अपडेट है क्या विदेश मंत्रालय, किरेन रिजिजू, प्रेमा खांडू इस पर कोई अपडेट साझा करेंगे' इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने चीनी सेना से इस बाबत पूछा है।
The Indian Army has already sent hotline message to the counterpart PLA establishment at the border point in Arunachal Pradesh. Response is awaited. https://t.co/eo6G9ZwPQ9
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) September 6, 2020
बता दें कि चीन दोनों देशों को बाँटने वाली मैकमोहन लाइन को नहीं मानता है। वह अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा शुरू से ही मानता आया है। इसमें नया कुछ भी नहीं है। लेकिन जिस तरह चीन के साथ तनाव बढ़ रहा है, उसमें चीन का यह कहने से तनाव और बढ़ेगा।
स्टैपल्ड वीज़ा
एक बार भारतीय सासंदों का एक प्रतिनिधिमंडल जब चीन जा रहा था तो उसमें शामिल अरुणाचल के सांसद को चीन ने वीज़ा देने से यह कह कर इनकार कर दिया था कि वह चीन के एक हिस्से में ही रहते हैं, उन्हें वीज़ा की ज़रूरत नहीं। वह सांसद उस प्रतिनिधिमंडल में नहीं गया।बाद में जब भारत-चीन व्यापारिक रिश्ते आगे बढ़े तो चीन ने इसमें थोड़ा लचीला रुख अपनाया। वह अरुणाचल प्रदेश के लोगों को स्टैपल किया हुआ वीज़ा देने लगा, उसका कहना था कि यह उसका ही हिस्सा है। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 2015 में चीन के साथ यह मुद्दा उठाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी साल चीन गए तो समझा जाता था कि इस पर कोई बातचीत होगी, नहीं हुई।
अब चीन ने साफ शब्दों में कह दिया है कि अरुणाचल प्रदेश को उसने मान्यता नहीं दी है, वह तिब्बत का हिस्सा है।