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चीन ने कहा, 'सीमा के मुद्दे पर भारत के साथ सकारात्मक सहमति बनी'

चीन ने कहा, 'सीमा के मुद्दे पर भारत के साथ सकारात्मक सहमति बनी'

चीन ने बुधवार को कहा कि दोनों सेनाओं के आला अफ़सरों के बीच बनी सहमति को सैनिकों ने लागू करना शुरू कर दिया है।

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम हो रहा है और दोनों देशों की सेनाएं मामले को आपसी बातचीत से निपटाने के रास्ते पर चल रही हैं। इतना ही नहीं, दोनों देशों के बीच कुछ मुद्दों पर सहमति भी बन गई है। यह इससे साफ़ होता है कि चीन ने बुधवार को कहा कि दोनों सेनाओं के आला अफ़सरों के बीच बनी सहमति को सैनिकों ने लागू करना शुरू कर दिया है।

क्या है मामला

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बुधवार को बीजिंग में प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति सामान्य करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा,

'हाल ही में भारत और चीन के कूटनीतिक व सैन्य माध्यमों ने सीमा पर स्थिति सामान्य करने के लिए प्रभावी ढंग से काम किया और उसका सकारात्मक नतीजा सामने आया है।'


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उन्होंने इसके आगे कहा कि दोनों ही पक्ष सीमा पर तनाव कम करने के लिए बनी सहमतियों को मान रहे हैं। 

इसके पहले मंगलवार को यह कहा गया था कि गलवान घाटी की तीन जगहों से सैनिक हटाए जा रहे हैं। 

कमांडरों  में बातचीत

इसके पहले 6 जून को दोनों सेनाओं के बीच लेफ़्टीनेंट जनरल स्तर के अफ़सरों के बीच बातचीत हुई थी। भारतीय सेना की उत्तरी कमान के 14वीं कोर के जीओसी लेफ़्टीनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने चीनी सेना के शिनजियांग सैन्य ज़िले के प्रमुख मेजर जनरल लिन लिउ से बात की थी।

बातचीत के बाद दोनों देशों ने तय किया है कि वे मौजूदा समस्या का निपटाना पहले हुए समझौतों के आधार पर करेंगे। 

सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर  सैनिक व साजो सामान के जमावड़े के बाद उपजे तनाव को दूर करने के लिए यह फ़ार्मूला निकाला गया है। 

दोनों देश इस पर भी सहमत हैं कि राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर भी बातचीत की जाएगी और इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

बता दें कि अप्रैल महीने में चीनी सैनिक लद्दाख और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेख के पास भारतीय सीमा में घुस आए और वहाँ से पीछे हटने से इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं ने अपने सैनिक और सैन्य साजो-सामान वहां जमा कर लिए। इससे तनाव बढ़ता गया।

स्थानीय कमांडर स्तर की बातचीत नाकाम रही, राजनीतिक व कूटनीतिक स्तर पर हुई बातचीत का भी कोई ख़ास नतीजा नहीं निकला। इन बैठकों में यह तय हुआ कि दोन सेनाओं के लेफ्टीनेंट जनरल स्तर के अफ़सर बात करें। 

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