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चीन ने शांति की बातें कीं, भारत ने कहा-  दोनों पक्ष एलएसी तक पीछे लौटेंगे

चीन ने शांति की बातें कीं, भारत ने कहा-  दोनों पक्ष एलएसी तक पीछे लौटेंगे

लगता है चीन को समझ में आ गया है कि पूर्वी लद्दाख में भारत से लगे सीमांत इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा का एकतरफा उल्लंघन कर जबरदस्ती घुसना उसके लिए महंगा पड़ेगा। 

तक़रीबन दो महीने तक भारत-चीन के बीच सैन्य, राजनयिक, राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों में भारी तनातनी पैदा करने के बाद लगता है चीन को समझ में आ गया है कि पूर्वी लद्दाख में भारत से लगे सीमांत इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा का एकतरफा उल्लंघन कर जबरदस्ती घुसना उसके लिए महंगा पड़ेगा। 

क्या यही वजह है कि दस जुलाई को नई दिल्ली में चीन के राजदूत को अपनी ओर से एक विशेष वीडियो जारी कर भारतीयों को यह संदेश देना पड़ा कि भारत और चीन के बीच दो हजार साल से दोस्ताना रिश्ता रहा है, इसलिए भारत चीन को दुश्मन और सामरिक खतरा नहीं समझे। लेकिन इसके साथ ही चीनी राजदूत ने फिर दोहराया है कि दोस्ताना रिश्तों के लिए दोनों देश बीच का रास्ता तलाशें।

चीनी राजदूत के इस बयान के जारी होने के कुछ देर बाद ही भारत ने एक बयान जारी कर दोनों देशों के बीच सीमा मसलों पर संयुक्त सचिव स्तर की शुक्रवार को हुई बातचीत का विवरण जारी करते हुए कहा कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा तक अपने सैनिकों को पूरी तरह पीछे हटा लेंगे। 

इसके अलावा भारत-चीन सीमांत इलाकों से उकसाने वाली सैन्य तैनाती को खत्म करेंगे। ताकि द्विपक्षीय समझौतों और सहमतियों के अनुरूप सीमांत इलाकों में शांति व स्थिरता को बहाल कर सकें।

भारत-चीन में जारी मौजूदा सैन्य तनातनी के बीच चीन ने पहली बार अपने तेवर नरम करने के संकेत दिए हैं और कहा है कि गत पांच जुलाई को दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता में सीमा मसले पर जो आम सहमति बनी है, उसे लागू किया जाएगा।

चीनी राजदूत सुन वेई तुंग के मुताबिक़, ‘भारत और चीन का दो हजार सालों का दोस्ताना आदान-प्रदान का इतिहास रहा है। भारत और चीन दोनों के लिए विकास और पुनरुद्धार ही सबसे बड़ी प्राथमिकता है क्योंकि हम दोनों एक समान दीर्घकालीन सामरिक हितों को साझा करते हैं।’ 

राजदूत के मुताबिक़, ‘नब्बे के दशक से ही भारत और चीन के नेताओं में यह सहमति बनी है कि भारत और चीन एक-दूसरे के लिए खतरे की नहीं बल्कि विकास की सम्भावनाएं पैदा करते हैं।’

चीनी राजदूत ने भारतीय हलकों में चल रही चर्चा के मद्देनजर कहा कि उन्होंने नोटिस किया है कि सीमा से जुड़ी घटनाओं के मद्देनजर भारत-चीन दोस्ताना रिश्तों की भावनाओं के प्रतिकूल बातें की जा रही हैं।

चीनी राजदूत के मुताबिक़, ‘इन चर्चाओं में चीन के इरादों को लेकर गलत आकलन किया जा रहा है, संघर्षों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है और टकरावों को उकसाया जा रहा है। हजारों साल से एक नजदीकी पड़ोसी को दुश्मन और सामरिक खतरे के तौर पर पेश किया जा रहा है।’ राजदूत ने कहा कि इसमें सच्चाई नहीं है। 

एक-दूसरे के सम्मान की बात 

चीनी राजदूत ने कहा कि परस्पर भरोसा बनाने के लिए हमें एक-दूसरे का सम्मान करना होगा और बराबरी का रिश्ता रखना होगा। उन्होंने कहा, ‘हमें मतभेदों को किनारे रखते हुए समान विचारों को प्रमुखता देनी होगी और एक-दूसरे पर एक-दूसरे की इच्छाओं को थोपना नहीं होगा, हमें एक-दूसरे के साथ किए गए वादों का भी सम्मान करना होगा।’ 

राजदूत ने कहा कि जब तक हम नेताओं के दिशा-निर्देशों का पालन करते रहेंगे और विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमतियों को लागू करते रहेंगे, दोस्ती और सहयोग पर जोर देते रहेंगे, शंकाओं और गलतफहमियों को दूर करेंगे और मतभेदों और संवेदनशील मसलों का ठीक से प्रबंध करेंगे, हम आपसी रिश्तों में आज जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं उनका समुचित तरीके से मुकाबला कर सकेंगे और ठोस और सतत विकास के लिए द्विपक्षीय रिश्तों को सही पटरी पर वापस ला सकेंगे।

चीन को हुआ भूल का अहसास 

भारत-चीन के विदेश मंत्रालयों के संयुक्त सचिव स्तर की बातचीत के खत्म होने के साथ ही चीनी राजदूत के ताजा बयान के पीछे यदि कोई छिपी मंशा नहीं हो तो इससे संकेत मिलता है कि चीन को अपनी सामरिक भूल का अहसास हुआ है और अब वह भारत के साथ शांति और सहयोग की बातें कर विश्व रंगमंच पर अपनी खराब होती छवि को और धुंधला नहीं करने से बचने की कोशिश कर रहा है।

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