भारत की 60 वर्ग किमी ज़मीन चीन के कब्जे में, मोदी सरकार चुप, बीजेपी चुप
जिस तरह साल 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ कर सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण ठिकाने पर कब्जा कर लिया था, वैसा ही 2020 में चीन ने लद्दाख में किया है। भारत की वही चूकें, वही सामरिक गल़तियाँ एक बार फिर उजागर हुई हैं। इतना ही नहीं, चीनी सेना ने भारत के नियंत्रण के लगभग 60 किलोमीटर इलाक़े पर कब्जा भी कर लिया है।
रक्षा विशेषज्ञ अजय शुक्ल ने रेडिफ़.कॉम में छपे एक लेख में इस पर विस्तार से चर्चा की है।
4/4. Who’s to blame The govt that pursued a misguided diplomacy of “informal summits” with China
— Ajai Shukla (@ajaishukla) June 8, 2020
Or the army, which, despite steadily rising manpower numbers was taken by surprise, just as in Kargil
Or “anti-national” journalists who exposes this debacle
Answer: Obviously No3
क्या है दौलत बेग ओल्डी
चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने गलवान नदी और पेगांग झील के किनारे वाले इलाक़े को अपने कब्जे में ले लिया है।
चीनी सेना अपने कब्जे वाली जगह से रणनीतिक रूप से बेहद अहम दार्बुक-शायोक-दौलतबेग ओल्डी (डीएसडीबीओ) पर नज़र रख सकेगी। वह कराकोरम दर्रे के पास के इलाक़े सब सेक्टर नॉर्थ को भारत से पूरी तरह काट सकेगी।
चीन के लिए संवेदनशील इलाक़ा
कराकोरम दर्रा का इलाक़ा चीन के लिए अधिक संवेदनशील इसलिए है कि यह अक्साइ चिन के पास है, जो पहले भारत के नियंत्रण में था। अक्साइ चिन का थोड़ा सा हिस्सा चीन ने पाकिस्तान को लीज़ पर दे रखा है। चीन के शिनजियांग से पाकिस्तान - अधिकृत कश्मीर को जोड़ने वाला चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा इसी रास्ते गुजरता है।भारत ने दार्बुक-शायोक-दौलतबेग ओल्डी में सभी मौसम में काम करने वाली पक्की सड़क बना ली है। लेकिन अभी चीन के सैनिक जहाँ जमे हुए हैं, वह इस सड़क से सिर्फ 1.50 किलोमीटर दूर है। गलवान घाटी में यह वह जगह है, जहाँ गलवान नदी में शायोक नदी आकर मिलती है।
चीन के कब्जे में भारतीय ज़मीन
पीएलए की रणनीति साफ़ है, वह इस इलाक़े पर कब्जा कर चुकी है और वहाँ से हटना नहीं चाहती है। इतना ही नहीं, वह इस इलाक़े में बंकर बना रही है और वास्तविक नियंत्रण रेखा तक पहुँचने के के उपायों पर काम कर रही है।
“
पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने 60 किलोमीटर के इलाक़े पर कब्जा कर लिया है। यह वह इलाक़ा है जिस पर भारतीय सेना गश्त लगाया करती थी। अब वहां चीनी सैनिक हैं।
अजय शुक्ल, रक्षा विशेषज्ञ
नतीजा यह हुआ कि भारतीय सैनिक जिन जगहों तक गश्त लगाया करते थे, वैसे 4 बिन्दु इसके पहुँच से बाहर हो चुके हैं। ये हैं, पीपी 14, 16, 18, 19। इन जगहों पर भारतीय सैनिक दशकों से गश्त लगाया करते थे।
कारगिल जैसी चूक
वैसे गर्मी के इस मौसम में इस इलाके में सरगर्मी बढ़ जाया करती थी। उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के सैनिक यहाँ आकर प्रशिक्षण किया करते थे। यह प्रशिक्षण दिखावा होता था, असली मक़सद अपनी मौजूदगी बनाए रखना होता था ताकि चीनी सेना यहाँ तक न आ जाए।
कोरोना महामारी की वजह से इस बार वहाँ भारतीय सेना का प्रशिक्षण नहीं हुआ। वह जगह खाली थी, मौक़ा देख पीएलए के सैनिक पहुँच गए और कब्जा कर लिया।
यह ठीक वैसा ही है जैसे कारगिल में भारतीय सैनिकों ने ठंड समझ कर उस जगह को खाली छोड़ दिया और उसी समय पाकिस्तानी सैनिक वहाँ पहुँच गए।
फ़ेल ख़ुफ़िया एजेंसियाँ
भारतीय सेना के आला अफ़सर सारा दोष उत्तरी कमान के प्रमुख पर डाल देना चाहते हैं। वे यह तर्क दे रहे हैं कि उनके स्तर पर चूक हुई और वह जगह खाली छोड़ दी गई।कारगिल घुसपैठ के बारे में सरकार ने माना था कि ख़ुफ़िया एजंसियाँ समय पर सही सूचना देने में नाकाम रही। इस बार भी यह कहा जा रहा है।यह सवाल भी उठ रहा है कि जब भारत ने डीएसडीबीओ सड़क बनाई तो गलवान नदी के पूर्वी किनारे पर सेना को तैनात क्यों नहीं किया गया ये सैनिक चीनी सेना की गतिविधियों पर नज़र रख सकते थे।
भारतीय सेना के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने आशंका जताई है कि सरकार चीन को उस इलाक़े पर कब्जा रखने देगी, उसे पाने का हर मुमकिन उपाय नहीं करेगी।
दो किलोमीटर पीछे हटी चीनी सेना
इस बीच समाचार एजेंसी एएनआई ने ख़बर दी है कि दोनों सेनाओं के बीच हुई बातचीत के बाद पीएलए तकरीबन 2-2.5 किलोमीटर पीछ हट गई है। इसके अनुसार दोनों सेनाएं 3 जगहों पर पीछे हटने को तैयार हो गई हैं।Indian, Chinese troops disengage at three locations in Eastern Ladakh; China moves back troops by 2-2.5 km
— ANI Digital (@ani_digital) June 9, 2020
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चुप क्यों है सरकार
पर्यवेक्षकों का कहना है कि नरेंद्र मोदी सरकार की चुप्पी बहुत कुछ कह देती है। स्वयं प्रधानमंत्री ने इस पर अब तक कुछ नहीं कहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह माना है कि 'पर्याप्त संख्या में' चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेख पर जमे हुए हैं।The most shocking aspect of the Chinese intrusions is this: Many Indians clearly love @narendramodi more than they love their country.
— Ajai Shukla (@ajaishukla) June 4, 2020
They would close their eyes and allow China to capture chunks of Indian territory, rather than admit such a thing had happened on Modi’s watch.
सरकार की ओर से कोई यह नहीं कह रहा है कि आगे क्या होगा बात-बात पर पाकिस्तान और नेपाल तक को चेतावनी देने वाले थल सेना प्रमुख और चीफ़ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ़ की चुप्पी गजब है। उग्र राष्ट्रवाद को हवा देने वाले और उस पर अपनी राजनीति करने वाले बीजेपी के प्रवक्ता चुप हैं। और तो और, पिछली बार लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पाकिस्तान को 'अंदर घुस कर मारने वाले' प्रधानमंत्री भी चीनी घुसपैठ पर शांत हैं।