चीन में लॉकडाउन हटा तो 13-21 लाख मौतें संभव: रिपोर्ट
चीन में कोरोना वायरस का संक्रमण बेतहाशा तेज़ी से बढ़ा है। चीन से ऐसी रिपोर्टें सामने आ रही हैं कि अस्पताल में बेड भर गए हैं और मुर्दाघरों में शव रखने की जगह भी कम पड़ने लगी है। इस बीच लंदन स्थित ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स फर्म ने कहा है कि अगर चीन अपनी ज़ीरो कोविड नीति को हटाता है तो 13 लाख से 21 लाख लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है।
दो दिन पहले महामारी विशेषज्ञ एरिक फीगल-डिंग ने कहा है कि चीन में अस्पताल पूरी तरह से चरमरा गए हैं और अगले 90 दिनों में चीन की 60 प्रतिशत से अधिक आबादी के संक्रमित होने और लाखों लोगों की मौत होने की आशंका है। तो सवाल है कि ऐसी स्थिति क्यों आन पड़ी? आख़िर चीन में ऐसा होने की आशंका क्यों है?
ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स फर्म की रिपोर्ट को जानने से पहले यह जान लें कि चीन में स्थिति क्या रही है। पिछले कुछ महीनों से चीन में मामले बढ़ने शुरू हुए तो सरकार ने सख्त लॉकडाउन व अन्य पाबंदियाँ लगाईं। लेकिन जैसे ही इसने उसमें ढील दी, ज़ीरो कोविड नीति में ढील दी तो संक्रमण बेतहाशा बढ़ा। अस्पताल मरीजों से अटे पड़े हैं और श्मशान और कब्रिस्तान में शवों की तादाद काफ़ी ज़्यादा बढ़ गई है।
चीन के संदर्भ में ज़ीरो कोविड नीति का मतलब था कि इसने कोरोना को फैलने से रोकने के लिए बेहद सख़्त क़दम उठाए थे, इसने सख़्त लॉकडाउन लगाया था। जहाँ कोरोना संक्रमण के मामले आए वहाँ पूरे शहर के लोगों को घरों में बंद कर दिया गया। इसी वजह से जब पूरी दुनिया में कोरोना फैल रहा था तो चीन में सक्रमण उस तेजी से नहीं फैला था और वहाँ बेहद कम संक्रमण के मामले आए थे। लेकिन अब पिछले दिनों जब वहाँ इस सख्ती के ख़िलाफ़ प्रदर्शन शुरू हुए तो ज़ीरो कोविड नीति को त्याग दिया गया।
सख्त लॉकडाउन लगाए जाने से यह हुआ था कि बहुत बड़ी आबादी को स्वाभाविक रूप से इम्युनिटी नहीं मिली। चीन में जो वैक्सीन लगाई गई वह भी चीन में ही बनी हुई थी और जिसकी प्रभाविकता पर सवाल उठते रहे हैं।
ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स फर्म ने चीन में कोरोना फैलने के पीछे इन्हीं वजहों को माना है। एएनआई ने एयरफिनिटी के विश्लेषण के हवाले से लिखा है, 'चीन की आबादी में प्रतिरक्षा का स्तर बहुत कम है। इसके नागरिकों को घरेलू स्तर पर उत्पादित वैक्सीन सिनोवैक और सिनोफार्म के टीके लगाये गये, जो काफी कम प्रभावकारिता वाले साबित हुए हैं और ये संक्रमण और मृत्यु के खिलाफ कम सुरक्षा प्रदान करते हैं।'
रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल हेल्थ इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स फर्म ने कहा कि चीन की जीरो कोविड रणनीति का मतलब यह भी है कि आबादी ने पिछले संक्रमण से स्वाभाविक रूप से इम्युनिटी यानी प्रतिरक्षा हासिल नहीं की है।
इसने आगे कहा है, 'इन वजहों से हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि अगर चीन फरवरी में हांगकांग जैसी लहर का सामना करता है, तो इसकी स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमता पर दबाव पड़ेगा क्योंकि देश भर में 167 और 279 मिलियन मामले आ सकते हैं। इस वजह से 13 लाख से 21 लाख के बीच मौतें हो सकती हैं।'
एयरफिनिटी के टीके और महामारी विज्ञान के प्रमुख डॉ. लुईस ब्लेयर ने कहा कि चीन के लिए यह ज़रूरी है कि वह अपनी जीरो कोविड नीति को हटाने के लिए पहले प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए टीकाकरण को तेज करे, विशेष रूप से यह देखते हुए कि इसकी बुजुर्ग आबादी बहुत बड़ी है।