6 साल के न्यूनतम जीडीपी पर सरकार ने कहा, अर्थव्यवस्था मजबूत
आर्थिक बदहाली को बयां करती सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर और फटेहाल कोर सेक्टर को दर्शाती शून्य से नीचे की वृद्धि दर पर सरकार का रवैया समझ से परे है। सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के. वी. सुब्रमण्यण ने कहा है कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद अभी भी मजबूत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जीडीपी वृद्धि दर अगली तिमाही में बढेगी।
Chief Economic Advisor KV Subramanian on Gross Domestic Product (GDP) data: We are saying again that the fundamentals of the Indian economy continue to be strong. GDP is expected to pick in Quarter 3. (file pic) pic.twitter.com/6mOst3sec9
— ANI (@ANI) November 29, 2019
इसके तीन दिन पहले यानी बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में दावा किया, ‘आर्थिक गतिविधियाँ थोड़ी धीमी ज़रूर हो गई हैं, पर आर्थिक मंदी शुरू नहीं हुई है, मंदी संभव ही नहीं है।’
उन्होंने तर्क दिया कि 2009-14 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत थी, जो 2014-19 के दौरान बढ़ कर 7.5 प्रतिशत हो गई।
याद दिला दें कि 2009-14 के दौरान मनमोहन सिंह की सरकार थीं और उसके बाद से नरेंद्र मोदी की सरकार है। निर्मला सीतारमण के कहने का मतलब यह है कि जीडीपी वृद्धि दर मनमोहन सिंह के समय की तुलना में ज़्यादा है, यानी पहले से अधिक तेज़ी से विकास हो रहा है।
वित्त मंत्री ने एक और दिलचस्प आँकड़ा पेश किया। उन्होंने कहा कि 2014-19 के दौरान 283.90 अरब डॉलर का विदेशी पूंजी निवेश हुआ, जबकि 2014-19 के दौरान 304.20 अरब डॉलर का विदेशी पूंजी निवेश हुआ। यानी, देश में निवेश पहले से अधिक हुआ है, ज़ाहिर है, आर्थिक गतिविधियाँ भी पहले से तेज़ ही हुई हैं।
लेकिन मशहूर अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह इससे सहमत नहीं है, उसके उलट वह अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद चिंताजनक है। पर मैं तो कहूंगा कि हमारे समाज की स्थिति का और बुरा हाल है।
Former Prime Minister Dr Manmohan Singh: The state of our economy is deeply worrying but I will argue how the state of our society is even more worrisome. pic.twitter.com/iuW67Ux4yB
— ANI (@ANI) November 29, 2019
जीडीपी यानी गोडसे डिवाइसिव पॉलिटिक्स!
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'जीडीपी गिर कर एकदम निचले स्तर पर 4.5 प्रतिशत तक पहुँच गया है। यह एकदम धड़ाम से गिरा है। यह न्यूनतम स्तर पर है। पर बीजेपी खुश क्यों है इसकी वजह यह है कि उनका जीडीपी यानी गोडसे डिवाइसिव पॉलिटिक्स ऊंँचाई पर है।'सुरजेवाला ने इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज किया और उनके 'सब चंगा सी' वाली उक्ति पर व्यंग्य किया।
भाजपा सरकार के 6 सालों में विकास केवल भाजपा के उन पूँजीपती मित्रों का हुआ है, जिन्होंने भाजपा को ‘अरबपति पार्टी’ बना दिया।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 29, 2019
आम आदमी व ईमानदार करदाताओं के लिए तो बचा है - ‘सब चंगा सी’।
पर असल में देश में ‘मंदी और तालाबंदी’ के चलते - ‘सब मंदा सी’। pic.twitter.com/4GtVjvUMwk
लेकिन पहले प्रधानमंत्री, उसके बाद वित्त मंत्री और उसके बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार अर्थव्यवस्था की बदहाली की बात से भला इनकार क्यों करते हैं। वह भी तब ख़ुद सरकारी आँँकड़े उनके दावे को ग़लत साबित करते हैं। जब ख़ुद सरकारी एजेंसियाँ और रिज़र्व बैंक आर्थिक स्थिति से जुड़े चिंताजनक आँकड़े देते हैं, सरकार क्यों लगातार इनकार कर रही है। यदि सरकार आर्थिक बदहाली की बात मानेगी ही नहीं, उसे ठीक करने के लिए कोई कदम कैसे उठाएगी
राजनीतिक कारणों से ग़लत दावे करने की बात तो फिर भी समझ में आती है, पर जब किसी तरह की कोई राजनीतिक मजबूरी न हो, सामने कोई बड़ा चुनाव न हो, सरकार के पास पूर्ण बहुमत हो, एकदम लुंजपुंज पड़ा विपक्ष हो, फिर सरकार क्यों सच नहीं मानती, सवाल तो यह है। यदि मजबूत सरकार भी मजबूत फ़ैसले नहीं ले तो क्या किया जाए, सवाल यह है। यदि ऐसी सरकार ठोस कदम न उठाए तो अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारा जा सकता है, यह चिंता की बात है। निर्मला सीतारमण का बयान अधिक चिंताजनक इस लिहाज से है।