'सरकार कोई सबूत तो पेश करे', कार्ती चिदंबरम की चुनौती
आईएनएक्स मीडिया मामले में फँसे पी चिदंबरम के परिवार ने मीडिया को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि तमाम ख़बरें मनगढंत, बग़ैर पड़ताल के और बेबुनियाद आरोपों पर आधारित हैं। चिट्ठी में पूर्व वित्त मंत्री को दानव की तरह पेश करने के लिए सरकार को ज़िम्मेदार माना गया है तो प्रेस की भूमिका पर भी सवाल खड़ा किया गया है।
पत्र में कहा गया है, 'आज़ादी के बुनियादी सिद्धान्तों में एक है, हर आदमी तब तक निर्दोष माना जाता है जब तक उसे अदालत में दोषी नहीं साबित कर दिया जाता है।'
कार्ती चिदंबरम ने सरकार पर ज़ोरदार हमला बोलते हुए कहा है कि वह कोई तो सबूत पेश करे।
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हम सरकार को चुनौती देते हैं कि वह एक भी विदेशी बैंक खाते या बेनामी कंपनी या अनजान जगह पर किसी जायदाद से जुड़े किसी सबूत का एक टुकड़ा भर पेश कर दे।
कार्ती ने यह भी कहा कि उनका परिवार छोटा है और उनके पास पर्याप्त पैसे हैं, उनका परिवार पैसे के पीछे नहीं भागता है और ग़ैरक़ानूनी तरीके से धन इकट्ठा करने की कोई ज़रूरत ही नहीं है। इसलिए परिवार के लोग अलग-अलग जगहों पर, अलग-अलग बैंक खातों के होने के आरोप से हतप्रभ हैं।
पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए आईएनएक्स मीडिया को नियम क़ानून का उल्लंघन करते हुए विदेशी निवेश की इजाज़त दिलवाई और इसके बदले उनके बेटे कार्ती ने उस कंपनी से 7 लाख डॉलर यानी 400 करोड़ रुपए बतौर फीस ली। उन पर सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने मामले दायर किए हैं। वे फिलहाल सीबीआई की हिरासत में हैं और 30 अगस्त तक वहीं रहेंगे।
गिरफ़्तारी से पहले ही राहत के लिए दायर की गई चिदंबरम की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया है। यह याचिका दिल्ली हाईकोर्ट के द्वारा अंतरिम जमानत रद्द होने के फ़ैसले के खिलाफ दायर की गई थी। फ़िलहाल सीबीआई कोर्ट के फ़ैसले के बाद चिदंबरम सीबीआई की हिरासत में हैं। बता दें कि आईएनएक्स मामले में दो एजेंसियाँ सीबीआई और ईडी यानी एनफ़ोर्समेंट डायरेक्टरेट चिदंबरम की गिरफ़्तारी में जुटी रही थीं। चिदंबरम ने गिरफ़्तारी से बचने के लिए पहले दिल्ली हाई कोर्ट में अग्रिम ज़मानत के लिए याचिका लगाई और जब यह ख़ारिज हो गई तब सुप्रीम कोर्ट में। सुप्रीम कोर्ट से भी तत्काल राहत नहीं मिलने पर सीबीआई ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया था, लेकिन ईडी गिरफ़्तार नहीं कर पाई थी। ईडी के मामले में गिरफ़्तारी पर मंगलवार को सुनवाई होनी है।
पिछली सुनवाई में भी सीबीआई ने 5 दिन की हिरासत माँगी थी। तब उसे 4 दिन की हिरासत मिली थी। अदालत ने कहा कि तथ्यों को देखते हुए चार दिनों की हिरासत वाजिब है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि हर दो दिन पर चिदंबरम के स्वास्थ्य की जाँच की जाएगी और उनके परिवार वालों को रोज़ाना आधे घंटे तक उनसे मुलाक़ात करने की छूट मिलेगी। सीबीआई ने चिदंबरम को 5 दिनों की पुलिस हिरासत में भेजने की माँग करते हुए तर्क दिया था कि चिदंबरम उनसे पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं। वह पूछे गए सवालों के जवाब नहीं दे रहे हैं। उन्होंने ज़रूरी काग़जात भी पेश नहीं किए हैं।